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Showing posts from August, 2017

लखनऊ के ये भी कुछ अंदाज़।

💐******✍🏼आज शाम काम खत्म कर बाहर खाने का कार्यक्रम बना। आज मेरी टीम साथ थी। कहाँ चला जाये ?तह हुआ की रॉयल कैफ़े चला जाये। रॉयल कैफ़े हज़रतगंज की मशहूर दुकान है। इसकी यादें बहुत पुरा...

मेरा देश मेरी जिम्मेवारी।

💐******✍🏼देश की तरक्की उस के द्वारा जनता को दी जा रही सुविधिओं से आंकलन में आती है। ये हम प्रत्यक्ष देख भी सकते हैं। दुनिया में सुविधिओं को लेकर एक जंग लड़ी जा रही है। दुनिया के कु...

क्रोध और मेरी स्तिथि।

💐**********✍🏼क्रोध बहुत ही  अहंकारी है। क्रोध मूलतः अहँकार से ही जन्म लेता है। इसमें मैं का बड़ा अंश होता है।  और ये मैं हमारी ज्ञान की विसंगतियों के कारण सदा हमारे आस पास रहती है। क...

स्वार्थ से मोह और व्यथित मन।

💐****✍🏼हम सब अपने जीवन में बहुत सी इच्छाओं से बंधे है। अपनी खुशियां तलाशते कही न कहीं उन्हें ढूंढते कई बार स्वार्थी हो जाते है। स्वार्थ वश कहीं न कहीं किसी की कोई न कोई भावना आ...

काम क्रोध माया से वासना तक यात्रा।

💐****✍🏼काम क्रोध माया ये वासना के सबसे ज्यादा छुपे हिस्से या पहलू है। बात वासना पे हो रही है। वासना कोई बुरा शब्द नही है पर उसकी व्याख्या ऐसी चीज़ों के साथ कि जाती है जिससे इस शब...

सड़कों पे बंटता ज्ञान।

आज सुबह हर बार की तरह एक यात्रा फिर शुरू हुई। टैक्सी बुलाई गई। आज मौसम बहुत हि सुहाना हुआ जाता था। सारी रात बारिश होती रही बादल गरजते रहे बिजलियाँ गिरती रही और धरा शीतलता ग्...

एक उन्माद क्या भीड़ तो क्या अदालत।

😞****✍🏼कुछ अजीब सा हो रहा है न आस पास। इंसान अपनी आस्था से वहशी हुआ जाता है। नैतिकता और कानून का तराज़ू एक इंसाफ के रास्ते किंतनी जानो का दुश्मन बन सकता है। भीड़ और उसके उन्माद के ...