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भावनाओ के समुद्र में डुबकियां लगा रहा हूँ।
कुछ अपनो की अपने से कहता सुन रहा हूँ।
इश्क़ में है जो मेरे रिश्तों में गोते लगा रहा हूँ।
उनसे दिल का हाल सुना करीब आ रहा हूँ।
खुशियों की महक से रास में मगन हो रहा हूँ।
दीदार सेे आंखों की गहराइयों में गुम रहा हूँ।
दिन में जागती आंखों से ख्वाब देख रहा हूँ।
हर और ये जलवा उनका महसूल कर रहा हूँ।
मन ढक लिया है मीठा एहसास कर रहा हूँ।
भावनाएं उबाल मारती कैसे में रोक रहा हूँ।
घुमा फिरा के पकड़ दिल के पास ला रहा हूँ।
भावना से चेतना का सफर सुहाना लग रहा है।
बहकने से पहले होश लौट सामने आ रहा है।
हर और पूर्णतय घेरा इनका पड़ने को हो रहा है।
प्रबल है ये शुद्घ है ये नेक है महसूस कर रहा हूँ।
भावनाओ के समुद्र में डुबकियां लगा रहा हूँ।
कुछ अपनो की अपने से कहता सुन रहा हूँ।
कुछ आप को दिल की गहराइयों से सुना रहा हूँ।
कुछ सपने भावनाओ में लपेट सहेज रहा हूँ।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62 तक आज हम बात करेंगे।संक्षिप्त में इस भाग को जान लेते है। भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपत...
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