Skip to main content

प्रसन्नचित।

🌹🙏🏼*******************✍🏼🌹
कभी कभी मन हंसता रहता है हम चाहे न चाहे खुशी अपने आप आती है। बिना कारण।और मन प्रफुलित हो खूब खिलखिलाता है।कारण मुझे बड़ा सादा सा लगा ।जब दिमाग शांत हो कोई बोझ न हो और आस पास हल्का फुल्का माहौल हो।तो शायद दिमाग कि स्तिथि बहुत सामान्य हो जाती है।जब दिमाग सामान्य स्तिथि में पहुंचता है तो मान लीजीये ये इसकी सबसे सौहार्द की स्तिथि है।हर तरफ सब अच्छा अच्छा महसूस होता है। जो हल्की फुल्की बातें हमारे चारों तरफ होती है वो भी मनोरंजक सी लगती है।अगर आस पास दोस्त मित्र मिल जाते है तो समाँ बांध देते है।हम उम्र की बातें तफरी का मूड बना देती है।मित्रों सहयोगियों सेहकर्मियों के साथ खाने की टेबल छप्पन भोग सी महसूस होती है ।सारे डिब्बे खुल जाते है।कई स्वाद ज़ुबान पे चढ़ जाते है।इन सब के बीच दिमाग पूरे मजे ले रहा है।जब आप हंसते हो।खून का दौरा अपनी प्राकृतिक चाल पकड़ लेता है।जीवन वायु को मस्तिष्क तक खूब इकठ्ठी कर ले जाता है।हृदय हसने के साथ ही अपनी कसरत शुरू कर देता है।कसरत करता हृदय बेहद स्वस्थ और तारो ताज़ा महसूस करता है।दिमाग को सकारत्मक संदेश भेजने लगता है।हर हंसी का पल पूरा आप का बन जाता है।सारे गम कुछ समय के लिये कहीं वक़्त की काल कोठरी में कैद हो जाते है।और शरीर हल्का हो जाता है।रक्तचाप नियंत्रित हो सही महसूस करवाता है। आस पास के अच्छे वातावरण का सुखद एहसास हमारे दिमाग रूपी मन को खुश करता है।प्रफुलित करता है। ये छोटी छोटी सी फैली खुशियां इसके बोझ को कुछ समय के लिए हटा देती हैं।ये हटा बोझ हमे आनंद की शीतलता में ले जाता है।हमे रोमांच महसूस होता है। ये रोमांच जब तक बना रहता है जब तक कोई असहज स्तिथि न उतपन्न हो जाये।दूसरा ये प्रसन्नता की स्तिथि आप के अपनो की खुशी की गवाह भी है।आप के अपने प्रसन्न मुद्रा में हों तो आप का प्रसन्न रहना तेह है।और जब आप प्रसन्न है तो अनावश्यक बातों पे ध्यान नही जाता।और जब ऐसी बातों भाग भिगंवाओं से आप दूर रहते हो तो दिमाग नकरात्मक स्तिथि के एहसास को नही पकड़ता । शांत रहता है।ये शांत  स्तिथि ही प्रसन्न मुद्रा है।ये प्रसन्न मुद्रा सारे बोझों को दूर रखे है।ये दूरी जब तक बनी है आप प्रसन्नता के शीतल के आगोश में है।ये शीतलता तन मन को खिला के रखे है।ये खिला खिला मन ही आप के प्रसन्नचित होने और रहने का कारण है।इसे बनाये रखने का भरकस प्रयत्न करें।जहां तहां मौका मिले खुशी के छल्ले बिखेरते रहे और बिखेरते चलें।खुद भी खुश और आस पास का माहौल भी सहज।आप खुश अपने भी खुश।अपने खुश तो दर्द दुख कहाँ। खुश बने राहिये और सब को खुश रखिये।
जय हिंद।
****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62 तक आज हम बात करेंगे।संक्षिप्त में इस भाग को जान लेते है। भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपत...

भावनाएँ।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣ भावनाओ के समुद्र में डुबकियां लगा रहा हूँ। कुछ अपनो की अपने से कहता सुन रहा हूँ। इश्क़ में है जो मेरे रिश्तों में गोते लगा रहा हूँ। उनसे दिल का हाल सुना कर...

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्म...