Skip to main content

पता ही न चला।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹
बस वक़्त बदल रहा है और हम चले जा रहे है।
तहजीब रोज नये नये रंग लिए है और हम  देख रहे है।।
जो कभी राम राम बहुत  आम हुआ करती थी कहाँ खो गयी पता ही न चला।
जो कभी प्रणाम नमस्कार आम हुआ करते थे कल की बात हुए पता ही न चला।।
आज ये बदल कर हेलो हाय कब हो गयी  मुझे पता ही न चला।
माँ पिता मॉम डैड पोप्स कब हो गए मुझे पता ही न चला।।
कब रिश्तों ने नई करवट नई अंगड़ाई ली दोस्त पता ही न चला।
कब दोस्त यार मित्र सखा  सखी ब्रो बेब्स  हो गये पता ही न चला।
कब बहन दीदी  नए रिश्तों  से सिस हो गयी पता ही न चला।।
कब रिश्तों ने अपनी खामोशी तोड़ी मुझे कुछ पता ही न चला।
कब रिश्तों ने भाषा मर्यादायें लांघी मुझे  पता ही न चला।।
कब साफ हवाओं में जहर घुला के मुझे ही पता न चला।
कब मन जल दूषित हो गया बस मुझे पता ही न चला।।
कब मन सिकुड़े कब तन पे लत्ते छोटे हुए मुझे पता ही न चला।
कब नज़रों से शर्म की विदाई हुई मुझे पता ही न चला।।
कब कंक्रीट के जंगल में सब खो गये  मुझे पता ही न चला।
कब मैं हावी हो हमसे ऊपर निकल गयी पता हो न चला।।
कब दुनिया ऊपर से पुती अंदर से बुझी मुझे पता ही न चला।
कब सब अंग्रेजी अंग्रेजी हो गये मुझे पता ही न चला।।
हम ये सब सोचते रहे और वक़्त गुजरा कब मुझे  पता ही न चला।
और तो और अपनी पहचान कब भूले ये मुझे ही पता न चला।।
बस वक़्त बदल रहा है और हम चले जा रहे है।
तहजीब रोज नये नये रंग लिए है और हम  देख रहे है।।
जय हिंद।
****🙏🏼 ****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62 तक आज हम बात करेंगे।संक्षिप्त में इस भाग को जान लेते है। भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपत...

भावनाएँ।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣ भावनाओ के समुद्र में डुबकियां लगा रहा हूँ। कुछ अपनो की अपने से कहता सुन रहा हूँ। इश्क़ में है जो मेरे रिश्तों में गोते लगा रहा हूँ। उनसे दिल का हाल सुना कर...

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्म...