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ये नींद नही टूटनी चाहिये।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹
कुछ भी हो जाये ये मेरी नींद नही टूटनी चाहिये।
सामने दौलत पड़ी हो चाहे अप्सरा खड़ी हो भले।।
मुकद्दर बहुत बेहतर हो या ऐश्वर्य द्वार खड़ा हो।
कुछ भी हो जाये नींद नही टूटनी चाहिये।।
बालाएँ रिझाती हो सोमरस मन पिघलाता हो।
धूम्रपान भीतर समाने को आतुर हो मन तैश खाता हो।
कुछ भी हो जाये मेरी ये नींद नही टूटनी चाहिये।।
दोस्त बहकाने को प्रयत्नशील हो या माहौल ही रंगीन हो।
बेईमानियों का चारों और मेला लगा हो नोट नाचते हो।।
झूठ मन बहलाने को आतुर हो फरेब की चादर रखी हो।
कुछ भी हो जाये दोस्तो ये नींद नही टूटनी चाहिये।।
अविद्या मेरेे चारो और फैली मुझे ललचा लूटने को तैयार हो।
रिश्ते फरेब कर लूटने मारने के मंसूबो से तैयार होते हो।।
छल कपट की दुर्गंध मेरे भीतर समाने को आतुर हो।
कुछ भी हो जाये मगर मेरी नींद नही टूटनी चाहिये।।
धोखे हर वक़्त मेरे पे सवार होने को प्रयत्नशील हो।
व्यवस्थाएं मुझे बहकाने के लिए यत्नशील हो।।
अकाल मुझे काल के ग्रास से निगलने को कार्यशील हो।
कुछ भी हो जाये यार मेरी ये नींद नही टूटनी चाहिये।।
ये नींद है मेरी सचाई की जिसे मैं उम्र भर सोने को आतुर हूँ।
क्या अच्छा क्या बुरा क्या शांति क्या तूफान ।।
क्या राजा क्या रंक क्या मोहब्बत क्या नफरत।
ये डिग्रियां मुझे डिगा नही सकती क्योंकि ये नींद नही टूटनी चाहिये।।
मैं इस नींद के लिए बरसो से भीतर यत्नशील हूँ।
अब जा के कही आयी है सोने दो मुझे न जगाओ इससे ।।
जागते ही मेरे भीतर इंसान जाग उठता है ।
ये नींद लगे तो मुझमें खुदा का वास होता है।।
दोस्तो कुछ भी हो जाये ये हसीन नींद नही टूटनी चाहिये।
इस इख्लास के हसीन ख्वाब और गहरे हों।।
खजालत ए मुहब्बत से भरे सपने और रंगीन हो।
मेरे अदब आदाब में मेरी अब्सार अब्द तक मूंदी रहे।।
क्या है ना के दोस्तो कुछ ख्वाब हमने नींद से पाले है।
तो अब आने दो इसे मुनासिब येही है ये नींद अब टूटनी नही चाहिये।।
जय हिंद।
****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
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