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जन्मदिन भी क्या मुशायरा है।
महफ़िल सजती है मुबारकेँ होती है।।
दिन में दोस्तों से महफ़िल सजती है।
शाम कुछ अपनो में रंगीन होती है।।
सुबह का आगाज़ होते ही बधाई आती है।
सांझ होते ही बधाई जम के मनाई जाती है।।
कही तो तोहफे शब्दों की राह पकड़ते है।
कही ये पत्रों कार्डो गिफ्टों से सजते है।।
कही ये आस तो कहीं प्यास लिये होते है।
ये वो तराने है जो झूम के बजते है।
आप भी गाते हो शामिल हो लुत्फ लेते है।।
तारीफों के पुल बंधते है आप करीब आतें है।
कुछ दूरियां केक का एक पीस मिटाता है।।
मोमबत्ती बुझाते ही मन रोशन हो जाता है।
तालियां बजती है दिल खुश हो जाता है।।
मन बार बार कहता है हम भी अगर बच्चे होते।
बचपन कुछ वक्त के लिए फिर लौट आता है।
मुशायरा और भी हसीन से हसीन हो जाता है।।
जन्मदिन के शायर को किसी का प्यार मिलता है।
कभी किसी का दिल से प्यारा आशीर्वाद मिलता है।।
हर उम्र में उमंगे कुछ क्षणों की जवानी लेती है।
बड़े हो या बच्चे सब आप के चेहरे पे केक का दंगल करते है।
कुछ प्यार से लकीर मारते है बाकी केक से चेहरा मसाज करते है।।
स्कूल कॉलेज में तो गिनके बम्प मिलते है।
कभी कभी तो दबा के लाते भी पड़ती है।।
घर मे शालीनता होती है आफिस में जेब कटती है।
याद यहीं आता है बस महफिलें सजती है और मुबारकेँ होती है।।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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