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ये मास्टर जी भी बड़े कमाल के होते है जनाब।
जहां मौका मिलता है शिक्षा दे डालते है बस ।।
वक़्त का तकाजा है और मास्टर बदल गए है।
विद्यार्थी वही के वही ढोर से कुछ रह गये।।
मास्टर पढ़ाने से कहीं बड़ा चूक गए है।
विद्यार्थी नटखट के नटखट बेपरवाह रह गए।।
मास्टर आज कल ट्यूशन के ज्यादा एक्सपर्ट हो गए है।
विद्यार्थी बेचारे बिना टीयूशन बेकार हो गए है।।
मास्टर के डंडे से क्या खौफ आता था हमको।
आज कल तो मास्टर ही घबराये फिरत रहे है।।
कभी हमे चोक डंडी छिटी डंडे का खौफ खाया करते थे।
आजकल तो सुना है अपन के बापू की चलती है।।
पहले शिक्षक विद्यार्थी का पहला अधिकारी हुआ करता था।
आजकल तो माता पिता ही स्कूल में अधिकारी बने बेठे है।।
प्रार्थना के साथ हमे व्यवहारिक ज्ञान रोज मिलता था।
आज व्यवहार तो बच्चे छोड़ अब सब मास्टर भी भूले बेठे है।।
हम पड़ा करते थे शिक्षार्थ आइये सेवार्थ जाईये।
अब तो पैसे लगाइये अच्छा स्कूल बच्चे के नाम लिखाइये।।
किसे पड़ी है तुम्हें समग्र शिक्षार्थ करने की।
जब कोचिंग की किताब ही सब मूल हुई जाती है।।
हम तो आज भी वही मास्टर शिक्षक ढूंढ़ रहे है।
जो हाथ आयी वो भी कोई पैसे बनाने की मशीन ही दिखी।।
इसीबीच उबहुत ढूंढा के कोई ज्ञान दान मास्टर ही मिल जाये।
मिले तो सही और कहते पाये गये "आप का बच्चा पड़ने में और अच्छा हो सकता है जरा मेरी मार्किट वाली क्लास में भेज देना।ये मेरा पर्सनल नंबर है अपना भी दिजीये मैं बात कर लूंगा"।।
मैं अभी भी एक विद्वान शिक्षक ढूंढ़ रहा हूँ।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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