Skip to main content

उलझनों में जिंदगी।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹
उलझनों में जिंदगी है कुछ बहुत मशगूल सी।
न हम इधर देख सकते है ना उधर जा सकते है।।
चाहतें बहुत है जिंदगी से निभा नही सकते हम।
कभी यू ही उदास होते है हम जिंदगी फिर हँसा देती है।।
ये जिंदगी मुबारक भी लगती है अफसाना भी लगती है ।
कभी मंजर जेबा लगता है और कभी नातमाम।।
किसी पल दिल को किसी के एहसास का शुबा होता है।
अगले ही पल ये फिर उलझ के उलझन सा रह जाता है।।
इच्छाएं तमाम शामिल थी ये किसी को समझाने में।
उसका यकीन था किस्मत से केवल अकेले ही रहने में।।
मेरे मन की चंचलता कभी मुझे रोक ही न सकी उलझने से।
ये तो सिर्फ तुम थी के हम जज़्बातों में उलझ गये।
तुम गमगीन होती हम तेरे रुख को बदलने की कोशिश तो करते ।।
यहीं कहीं उलझ के कभी हम बेदर्द दुनिया मे खो भी जाते है।
कुछ तो दोस्त है जो आज भी हमे कहीं न कहीं से ढूंढ़ ही लातें है।।
बहुत देखी तस्सली उनकी जो हमे उलझाते हैं।
हमे भी गुस्सा तो आता है मगर हम चुप हो जाते  हैं।।
यू तो तम्मनाओं के गुल यहां दिल मे रोज खिलते है।
मगर उनकी आंखों के दीदार से कुछ कह के निकल जाते है।।
हम रोज नई  खूबसूरत सी सोच के साथ होते है।
कुछ दिल साफ होता है और हम अपनी राह के पक्ष हो लेते है।।
सब कुछ अपनी चाहों का मिलेगा नही ये पता है मुझे।
उलझनों से उलझ रोज पार उतरना ये ही जिंदगी है मेरी।
सोचता हूँ तुझे ही ये दिल पढ़ा दू और उलझनें कुछ सुलझा दूं।।
मगर फिर भी उलझनों में जिंदगी है बहुत मशगूल सी।
न हम इधर देख सकते है ना उधर जा सकते है।।
जय हिंद।
****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62 तक आज हम बात करेंगे।संक्षिप्त में इस भाग को जान लेते है। भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपत...

भावनाएँ।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣ भावनाओ के समुद्र में डुबकियां लगा रहा हूँ। कुछ अपनो की अपने से कहता सुन रहा हूँ। इश्क़ में है जो मेरे रिश्तों में गोते लगा रहा हूँ। उनसे दिल का हाल सुना कर...

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्म...