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सबे अपने को बुद्धिमान समझने की बुरी बीमारी है।
दुख ये है के सारी दुनिया इसकी बुरी तरह मारी है।
कुछ अपने को बेहतरीन समझने का शौक सबको है ही।
उसपे ये दुनिया को न दिखे कैसे संभब हो सके है भाई।
कुछ लॉजिक लगाकर कुछ उम्दा जानकारी जुटा कर दिखा रहे है भाई।
कुछ दिमागी खेल कुछ ज्ञानी ज्ञान तो कुछ अपनी हांक साबित कर रहे है।
कुछ बेहद चालाक चुप रहकर किले ढा रहे है भाई।
कुछ बहुत ध्यान से सुन समझ अगले को पागल भीतर से कह रहे है।
बहुत आम है सब एक दूसरे से बेहद ज्यादा समझदार है।
ऐसे में कुछ शरीफ भी पाये जाते है जो इनसब से बिना बोले दुत्कारे जाते है।
बस प्रॉब्लेम ये है अपने को इनसब से ज्यादा समझदार कहलवाने से घबराते है।
हर वक़्त अपनी कमियां अपने को ही गिनवाते है।
समझदारों में गरीब सही मगर जमीर से बेहद अमीर हो जाते है।
कुछ झुक के इनसब से बहुत ऊपर उठ जाते है।
समझदारों की भीड़ में रहते भी सबसे अलग नज़र आते है।
इनके जैसे कुछ को ये सब अच्छे से समझ आते है।
दिल से अपना दिल ये मिलाते है सच्चे हितेषी कहलाते है।
दुनिया की भीड़ में सीधे साधे बेचारे कहलाते है।
यहां अपने को बुद्धिमान समझने की सबको बुरी बीमारी है।
दुख ये है के सारी दुनिया इसकी बुरी तरह मारी है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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