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कुछ लम्हे ये भी।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹
कभी किसी शख्स की खुशी का कोई भी  पैमाना नही।
मिले तो एक मुस्कुराहट से मिल जाये न मिले तो  बेशकीमतीे भी बेकार।

न पूछो चाहतो से किस कदर ये इंसान लुटा है।
जिधर देखता है बस छला ही जाता है चला जाता है।

मुकद्दस बहुत से ख्वाब ये पाल लेता है हसरतों के।
न जाने कब चोट लगती हैंऔर ख्वाब टूट जाते है।

उम्मीद तो अपनो से होती है के नउम्मीद न करेंगे।
मगर हर बार नाउम्मीदी का सबब बस वही अपने होते है।

हम अपना समझ उनसे बेतकलुफ़ हों लेते है कभी कभी।
न जाने कब ये बेतकलुफी परेशानी की वजह हो जाती है उनकी।

हमारे इरादे तो उन्हें हंसाने के ही रहे आज तक।
मगर हर बार रोने की वजह हम ही बन जाते हैं।

शायद मेरे बोल ही मुझसे रूठ जाते है आजकल।
मेरी खुशी को भी कमबख्त आंसुओं में बदल जाते है।

फिर सोचता हूँ कोन है अपना जो हंस के सुन ले हर बात मेरी।
हंसे मुस्कुराये सोचा लानत भेजो ऐसी सोच पे किसे जरूरत है मेरी।

न पहले हम कभी अपने को सही समझ पाए।
आज पता चला ये नाकामियों का दौर बहुत लंबा रहा है।

हम फिर हंसे मुस्कुराये सोचा क्यों नाकामियों पे पछतायें।
जिंदगी घट रही है हर पल बीत रही है चल खुद से ही जरा मजाक करें और मुस्कुरायें।

जय हिंद।
🔥****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
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