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यादों के झरोखों से कभी कभी जिंदगी को झांकते है।
कुछ भूले रिश्ते वक़्त की कब्र में दफन नज़र आते है।
कुछ टूटे सपने कब के स्वाह हुए है दिखने लगते है।
कुछ गैर जरूरी तकल्लुफ जो निभाये समझ आते है।
जो इरादें नेक तो थे उनकी दुआ मिलती सी लगती है।
जो दिल तोड़े उनकी आंच आज भी दिल पे लगती है।
जो झूठ बोले उनसे रिश्तों की तबाही नज़र आती है।
जो चोटें लगी और मिली उनके दर्द की टीस उठती है।
मूक गवाही आज कुछ कृत्यों पे रोती सिसकती दिखती है।
यादें हमेशा हसीन भी नही होती मन टटोलती रहती है।
मगर आज यादें बहुत से किस्से छिपाये नज़र आती है।
आज एल्बम खुली तो बहुत सी तस्वीरें नज़र आती है।
ऐसा नही कुछ अच्छा नही बहुत अच्छा भी नज़र आया है।
अच्छे की यादें रोज सुबह शाम मन बहला के निकल लेती है।
यादों में कल की तरह ही सदा आगे पीछे बनी रहती है।
बस अपने को और भीतर देखने की इच्छा भी कभी होती है।
जब जब मैं अपनी और देखता हूँ कुछ गलतियों से रूबरू होता हूँ।
कुछ पिछली यादों से कुछ अपनी गलतियां सुधार लेता हूँ।
बस इसलिये यादों के झोरखों से अपने आप को देख लेता हूँ।
कुछ बेमतलब हुई जिंदगी आगे के लिए संवार लेता हूँ।
सोचा फिर आज कुछ दिल की कह सुन लू किसने रोका है।
रात अपनी है वक़्त को किसने रोका है जिंदगी महीन झरोखा है।
इसलिये यादों के झरोखों से कभी कभी जिंदगी को झांकते है।
कुछ दिल की दिल से सुनते है कुछ अपनी कह लेते है।
यादों के झरोखों से कभी कभी जिंदगी को झांकते है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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