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दुनिया वाकई बहुत बड़ा बाजार है सजा दरबार है।
हर और हर कुछ न कुछ सब कुछ देखो बिक रहा है ।
कीमत देने वाला चाहिए सब मिल रहा सब बिक रहा है।
हर कोई अपनी दुकान सजाए लगाये जो देखो खड़ा है।
कोई दिल बेच रहा है कोई इमान का सौदा कर रहा है।
कोई धर्म की आड़ में फ़क़ीरीं बेच रहा है कोई विश्वास बेच रहा ।
कोई रिश्तों को ही बेच गया कोई लहू का सौदा कर रहा है।
कोई ज्ञान बेच रहा है कोई साधना और ध्यान बेच रहा है।
कोई अपना पेशा बेच रहा है हर कोई अपनी कला बेच रहा है।
कोई चमड़ी बेच के दमड़ी बना रहा है कोई चेहरे बेच रहा है।
अब तो शायद भगवान से लेकर इंसान तक अपनी अदालत बेच रहा है।
कोई पद बेच रहा कोई सच के सहारे भ्रष्टाचार बेच रहा है।
कोई जुमले बेच रहा कोई बर्बाद आंखों को सपने बेच रहा है।
कोई अपनी पहचान हो बेच रहा कोई भूख बेच रहा है।
कोई झूठ पे झूठ बेच रहा बचा तो झूठ का प्रचार बेच रहा है।
कोई संताने बेच रहा कोई तो कोख ही बेच जीवन चला रहा है।
कोई अंग दान में जीवन से खेल अंग बेच रहा कोई
मुफ़्लसी बेच रहा है।
बोलो क्या खरीदोगे ये बाजार ये दुनिया वाकई बहुत बड़ा बाजार बना हुआ है।
हर और हर कुछ न कुछ सब कुछ देखो बिक रहा है ।
मोल देने का दम तो भरो देखो ये संसार बिक रहा है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62 तक आज हम बात करेंगे।संक्षिप्त में इस भाग को जान लेते है। भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपत...
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