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भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 5–राज्यों के उच्च न्यायालय अनुच्छेद 214 से 17 तक।

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भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 5–राज्यों के उच्च न्यायालय अनुच्छेद 214 से 17 तक। आइये जाने उच्च न्यायालय के विषय मे।
214. राज्यों के लिए  उच्च न्यायालय–[43]* * * प्रत्येक राज्य के लिए  एक  उच्च न्यायालय होगा ।
[44]* * * * *
215. उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना–प्रत्येक उच्च न्यायालय अभिलेख न्यायालय होगा और उसको अपने  अवमान के लिए  दंड देने की शक्ति  सहित ऐसे  न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी ।
216. उच्च न्यायालयों का गठन—प्रत्येक उच्च न्यायालय मुख्य न्यायमूार्ति और ऐसे  अन्य न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा जिन्हें राष्ट्रपति  समय-समय पर  नियुक्त  करना आवश्यक समझे ।
[45]* * * *
217. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति  और उसके पद  की शर्तें–(1) भारत के मुख्य न्यायमूार्ति से, उस राज्य के राज्यपाल से और मुख्य न्यायमूार्ति से भिन्न किसी न्यायाधीश की नियुक्ति  की दशा में उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूार्ति से परामर्श  करने के पश्चात्, राष्ट्रपति  अपने  हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र  द्वारा उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को नियुक्त  करेगा और वह न्यायाधीश [46][अपर या कार्यकारी न्यायाधीश की दशा में अनुच्छेद 224 में उपबंधित   रूप  में पद  धारण करेगा और किसी अन्य दशा में तब तक पद  धारण करेगा जब तक वह [47][बासठ वर्ष ]की आयु प्राप्त नहीं  कर लेता है]
परंतु —
(क) कोई न्यायाधीश, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ;
(ख) किसी न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए अनुच्छेद 124 के खंड
(4) में उपबंधित रीति से उसके पद से राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकेगा ;
(ग) किसी न्यायाधीश का पद , राष्ट्रपति  द्वारा उसे उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किए  जाने पर या राष्ट्रपति  द्वारा उसे भारत के राज्यक्षेत्र में किसी अन्य उच्च न्यायालय को, अंतरित किए  जाने पर  रिक्त हो जाएगा।
(2) कोई व्यक्ति , किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप  में नियुक्ति  के लिए  तभी अर्हित  होगा जब, वह भारत का नागिरक है और—
(क) भारत के राज्यक्षेत्र में कम से कम दस वर्ष तक न्यायिक पद  धारण कर चुका है ;या
(ख) किसी [48]* * * उच्च न्यायालय का या ऐसे  दो या अधिक न्यायालयों का लगातार कम से कम दस वर्ष तक अधिवकक़्ता रहा है ;[49]* * *
2* * * * *
स्पष्टीकरण —इस खंड के प्रयोजनों के लिए —
[50][(क) भारत के राज्यक्षेत्र में न्यायिक पद  धारण करने की अवधि की संगणना करने में वह अवधि भी साम्मिलित की जाएगी   जिसके दौरान कोई व्यक्ति  न्यायिक पद  धारण करने के पश्चात्  किसी उच्च न्यायालय का अधिवकक़्ता रहा है या उसने किसी अधिकरण के सदस्य का पद  धारण किया है अथवा संघ या राज्य के अधीन कोई ऐसा  पद  धारण किया है जिसके लिए  विधि का विशेष ज्ञान अपेक्षित  है ;]
[51][(कक) किसी उच्च न्यायालय का अधिवकक़्ता रहने की अवधि की संगणना करने में वह अवधि भी साम्मिलित की जाएगी   जिसके दौरान किसी व्यक्ति  ने अधिवकक़्ता होने के पश्चात् [52][न्यायिक पद  धारण किया है या किसी अधिकरण के सदस्य का पद  धारण किया है अथवा संघ या राज्य के अधीन कोई ऐसा पद  धारण किया है जिसके लिए  विधि का विशेष ज्ञान अपेक्षित  है ;]
(ख) भारत के राज्यक्षेत्र में न्यायिक पद  धारण करने या किसी उच्च न्यायालय का अधिवकक़्ता रहने की अवधि की संगणना करने में इस संविधान के प्रारंभ से पहले  की वह अवधि भी साम्मिलित की जाएगी जिसके दौरान किसी व्यक्ति  ने, यथास्थिति, ऐसे  क्षेत्र में जो 15 अगस्त, 1947 से पहले  भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में समावि−] था, न्यायिक पद  धारण किया है या वह ऐसे किसी क्षेत्र में किसी उच्च न्यायालय का अधिवकक़्ता रहा है।
[53][(3) यदि उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश की आयु के बारे में कोई प्रश्न उठता है तो उस प्रश्न का विनिश्चय भारत के मुख्य न्यायमूार्ति से परामर्श  करने के पश्चात्  राष्ट्रपति  का विनिश्चय अंतिम होगा ।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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