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भारतीय संविधान भाग 8 अनुच्छेद 239 कख़ व ख।

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भारतीय संविधान भाग 8 अनुच्छेद 239 कख़ व ख।
239कख. सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध —यदि राष्ट्रपति का, उप-राज्यपाल  से प्रतिवेदन मिलने पर  या अन्यथा, यह समाधान हो जाता है कि,–
(क) ऐसी  स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र का प्रशासन अनुच्छेद 239कक या या उस अनुच्छेद के अनुसरण में बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अनुसार नहीं  चलाया जा सकता है ;या (ख) राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के उचित प्रशासन के लिए  ऐसा  करना आवश्यक या समीचीन है, तो राष्ट्रपति , आदेश द्वारा, अनुच्छेद 239कक के किसी उपबंध  के अथवा उस अनुच्छेद के अनुसरण में बनाई गई किसी विधि के सभी या किन्हीं उपबंधों के प्रवर्तन को, ऐसी  अवधि के लिए  और ऐसी  शर्तों के अधीन रहते हुए , जो ऐसी  विधि में विनिर्दिष्ट  की जाएं , निलंबित कर सकेगा, तथा ऐसे  आनुषंगिक और पारिणामिक  उपबंध  कर सकेगा जो अनुच्छेद 239 और अनुच्छेद 239कक के उपबंधों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रशासन के लिए  उसे आवश्यक या समीचीन प्रतीत हों ।]
[7][239ख. विधान-मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित  करने की प्रशासक की शक्ति –(1) उस समय को छोड़कर  जब [8][पांडिचेरी संघ राज्यक्षेत्र का विधान-मंडल सत्र में है, यदि किसी समय उसके प्रशासक का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं जिनके कारण तुरंत कार्रवाई करना उसके लिए  आवश्यक हो गया है तो वह ऐसे  अध्यादेश प्रख्यापित  कर सकेगा जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित  प्रतीत हों :
परंतु  प्रशासक, कोई ऐसा  अध्यादेश राष्ट्रपति  से इस निमित्त अनुदेश अभिप्राप्त करने के पश्चात्  ही प्रख्यापित  करेगा, अन्यथा नहीं  :
परंतु  यह और कि जब कभी उक्त विधान-मंडल का विघटन कर दिया जाता है या अनुच्छेद 239क के खंड
(1) में निर्दिष्ट विधि के अधीन की गई किसी कार्रवाई के कारण उसका कार्यकरण निलंबित रहता है तब प्रशासक ऐसे विघटन या निलंबन की अवधि के दौरान कोई अध्यादेश प्रख्यापित नहीं करेगा ।
(2) राष्ट्रपति के अनुदेशों के अनुसरण में इस अनुच्छेद के अधीन प्रख्यापित अध्यादेश संघ राज्यक्षेत्र के विधानमंडल का ऐसा  अधिनियम समझा जाएगा जो अनुच्छेद 239क के खंड (1) में निर्दिष्ट विधि में, उस निमित्त अंतर्विष्ट  उपबंधों का अनुपालन करने के पश्चात् सम्यक् रूप से अधिनियमित किया गया है, किंतु प्रत्येक ऐसा  अध्यादेश–
(क) संघ राज्यक्षेत्र के विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा  और विधान-मंडल के पुनः समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले विधान-मंडल उसके अननुमोदन का संकल्प पारित कर देता है तो संकल्प के पारित होने पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा ;और
(ख) राष्ट्रपति से इस निमित्त अनुदेश अभिप्राप्त करने के पश्चात्  प्रशासक द्वारा किसी भी समय वापस  लिया जा सकेगा ।
(3) यदि और जहां तक इस अनुच्छेद के अधीन अध्यादेश कोई ऐसा  उपबंध  करता है जो संघ राज्यक्षेत्र के विधान-मंडल के ऐसे अधिनियम में, जिसे अनुच्छेद 239क के खंड (1) में निर्दिष्ट विधि में इस निमित्त अंतर्विष्ट  उपबंधों का अनुपालन  करने के पश्चात्  बनाया गया है, अधिनियमित किए  जाने पर विधिमान्य नहीं होता तो और वहां तक वह अध्यादेश शून्य होगा ।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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