Skip to main content

कभी कभी।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹
कभी कभी बहुत आंदोलित होता हूँ मैं।
व्यवस्थाओं के शिखर का बोझ ढोता हूँ मैं।
हर और फैले मैले को शायद ढोता हूँ मैं।
कभी नगवार गुजरे तो  बेमन होता हूँ मैं।
हर और अहंकार भयं की फैली ज्वाला है।
हर इंसान अपने मे दुबक जीवन जीता है।
खोखले संदेशों की माला घूमता पिरोता है।
झूठ कपट धोखों को ओढे रहता फिरता है।
हर शख्श अपने झूठ में सच को ढूंढता फिरता है।
महान बनने को फिरता है पर सच बोलने से डरता है।
आनंद की अनुभूति में दुख की बेकदरी करता है।
वक़्त लौट के आता है इसकी फिक्र कब करता है।
फरेबों ने जिंदगी झूठ की इमारत बना के रखी है।
हर कोने में जिसके जिंदगी बुझी सी छुपी पड़ी है।
मुस्कराता हूँ मैं शायद अपने सच को छुपाते हुए।
कोशिश भी की शायद डर के शायद गुम हो गया मैं।
बस एक पहचान को ढूंढ रहा हूँ मै जो मिलती नही।
इतनी दलदल भर ली है के ढूंढने को पैर चलाता हूँ औऱ डूब जाता हूँ ।
कहीं तो ईश्वर कोई एक सहारा दे दे मुझे।
पकड़ जिसे मैं भी बाहर आ सकूं कुछ दिन सच की जिंदगी जी भर जी सकूं।
जय हिंद।
✨🌟⚡💫****🙏****✍
शुभ रात्रि।
❣❣❣❣❣🎸🎻🎺🎷❣❣❣❣❣

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 52 से 62 तक आज हम बात करेंगे।संक्षिप्त में इस भाग को जान लेते है। भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपत...

भावनाएँ।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣ भावनाओ के समुद्र में डुबकियां लगा रहा हूँ। कुछ अपनो की अपने से कहता सुन रहा हूँ। इश्क़ में है जो मेरे रिश्तों में गोते लगा रहा हूँ। उनसे दिल का हाल सुना कर...

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्म...