🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🙏🌹 बहुत शिद्दत से गया मैं माता रानी की चौकी भरने । बहुत जी से लगा भजन की मस्ती में मां तुझे भजने। आनंद की बेला में संगीत की धुन में लगा गुनगुनाने । चारो और जयकारों की गूंज थी राधे थे राम थे मां भी थी। चौकी की गूंज में धुन लगा के सब राम राम जपने लगे। कुछ लम्पट भी अब इस मां की चौकी में योगी योगी करने लगे। मां कही दूर छूटी ये लम्पट राम के राजनीतिक भक्क्त की महिमा गाने लगे। गांधी के इस मुल्क की असल रूह का मजाक उड़ाने लगे। मां की महिमा तो कही दूर छूटी यूपी की राजनीतिक महिमा गाने लगे। जो माँ के चरणों मे चौकी बनी थी उसे राजनीतिक अखाड़ा बनाने लगे। इसे "राजनीति से न जोड़ना" ये कह जय श्री राम का नारा लगाने लगे। भक्तो की महफ़िल में कुछ लम्पट राजनीतिक परिहास बनाने लगे। अब माँ तेरे चरणों मे शीश मेरा झुका रहे एहसास मुझे आने लगे। इन लम्पटों की महफ़िल से कह अलविदा बस तुझे भजने लगे। धर्म की कुलषित पतन की राजनीति से अपने को दूर करने लगे। जो आज तेरे दर पे मुझे दर्शन मिले हे काली उसका सुख लेने लगे। धर्म की तलवार से चलती राजनीति को त्याग अपने मन मंदिर का आनंद ले