🌹🙏🌹🌺🌺🌺🌺🌺🇮🇳🌺🌺🌺🌺🌺🌹✍️🌺 पत्रकारिता मेरे जीवन मे जब से मुझे होश है उसके निचले स्तर पर है। कहाँ तक गिरेगी पता नही।पिछले कुछ दिनों से जो माहौल है बेहद गम्भीर है। हर और शब्द गूंज रहा है दंगा। चलो आज उसी पे कुछ बात करते है।समाचार का विश्लेषण तभी कर सकते है जब विषय साफ रूप में दिमाग मे हो। दंगा उन्माद का ही हिस्सा है। दंगा सामाजिक विकार का एक रूप है जिसमें सामान्यतः एक हिंसक समूह प्रशासन, संपत्ति या लोगों के खिलाफ सार्वजनिक अशांति का माहौल पैदा कर देता है। दंगों में आम तौर पर बर्बरता और सार्वजानिक या निजी संपत्ति का विनाश देखने को मिलता है। संपत्ति का प्रकार इसमें शामिल लोगों के हठ पर निर्भर करता है। लक्ष्य में दुकानें, कारें, रेस्तरां, राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं और धार्मिक इमारतों भी शामिल हो सकतीं हैं। दंगे के लिए सरकार के पास बेहतर कानून मौजूद है।उसका पालन करना या न करना प्रशासन और कानून व्यवस्था के हाथ मे है। किसी भी शहर की कमिशनरी इससे निपटने के लिए पूर्ण अधिकार के साथ स्वतन्त्र है।कहीं मुहँ ताकने की जरूरत नही। इस आर्टिकल में मै आपको भारतीय दंड संहिता की बहुत ही म