Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2019

एक सच अपने आप से।

🌹🙏❣🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❣✍🌹 एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। कितनी बार बुरा सोचा आज मन खोलू। कितनी बार भूलें की सबसे रूबरू हो लूँ। ख्यालों की दुनिया से लुटा कुछ सह लूँ एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। अपनो का दिल दुखाया आज सह लूँ। किसी का विश्वास तोड़ा सजा ले लूँ। किसी की उम्मीद को तोड़ा दुखी हो लूँ। एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। नाजायज चाहतो को थोपा अपना लूँ। वादे न निभाये चल आज वादा कर लूँ। किसी आस से भागा चल आज आस ले लूँ। एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। दम्भ में रहा दम्भ पाया आज मुक्त हो लूँ। लालचों के वश रहा चल त्याग ले लूँ। भगवान से डरता रहा चल आराम ले लूँ। एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। अपनी असलियत से दूर रहा सोचा मिल लूँ। अपनी काबलियत को बोना रखा आज बड़ी कर लूं। कुछ लंबी भी छोड़ी चल आज समेट लूँ। एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। खुदा की मेहरबानियां बहुत है मुझ पे शायद। इसलिए भूला था सब अब तक शायद। जब याद आ ही गयी है अपनी गैरत ले लू शायद। एक सच चल मैं अपने आप से बोलूं। जय हिंद। ✨🌟💫****🙏****✍ शुभ रात्रि। ❣❣❣❣❣🇳🇪❣❣❣❣❣

रिश्तों में ठंडक।

🌹🙏❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🌹 रिश्तों में ठंडक बड़ गयी है। चारों और अजीब धुंद छाई हुई है। राहें तो है मगर नज़र नही आती। अजीब सी शून्यता छाई हुई है। मन घोर कड़वाहटों से भर गया है। सारे रिश्ते गहरी खाई में धसे है। अजीब सी मैं पाल ली गयी है। देख तूने किया अब मेरी बारी है। पड़ोसी की आवाज़ जहर हो गयी है। हर बात झूठ और झूठ लग रही है। चारों और अफरा तफरी मच रही है। काल के ग्रास में कपालों की लाइन है। कुछ अपने कुछ उनके दिखाई देते है। जनूनी हद ने अच्छे से भ्रमा दिया है। शून्यता को चारों और फैला दिया है। विवेक अब जरूरी नही लगता है। शांति अब शूल लाई लग रही है। दुश्मन की मौत बहुत लुभा रही है। पड़ोसी एक आंख नही भा रहा है। ये जानकर भी के बदला जायेगा नही। अब उसका घर तोड़ा जाये तो मजा आयेगा। ऐसी दहशत फैले के हर वक़्त सहमा रहे। ऐसे डर में प्रेम कहीं गुम गया है। संतुलन कही सारा बिगड़ गया है। पड़ोसी बिगड़ैल सा गुंडा हो गया है। मैंने भी नफ़रतें पाल ली है। गुंडे की पैंट जो फाड़नी है। इज़्ज़त उसकी सरे बाजार उछालनी है। मनसूबे बना रहा हूँ तरकीबे ले रहा हूँ। मगर मंसूबे तो वहां भी बन रहै हैं। खटास रोज़ बड़ा

बदरवा।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 उमड़ घुमड़ आये बदरवा कारे कारे मतवाले आये बदरवा। ठंडी पवन के शीतल झोंके लाये गरजते बरसते बदरवा। मन मे उमंगे भरते जाते शीतल हवा तन को छूती बदरवा। मीठी मीठी ठंडक तन से टकराती दिल को आकर लगती बदरवा। हम गुनगुनाने लगे कारे बदरवा शब्दों से भिगोने लगे बदरवा। उधर बूंदे गिरती रही इधर हम तन भिगोते रहे गुनगुनाते रहे बदरवा। हर तरफ खूबसूरत बहारों नज़ारों का मंजर बन गया बदरवा। मिट्टी भी अपनी सोंधी सोंधी महक छोड़ के शीतलता ले रही बदरवा। डेलिया गेंदे बाबुनिये पे भी मस्त मौसम की छाई बहार बदरवा। हर तरफ फ़ूलों की दस्तक से गुलशन गुलज़ार हों रहा बदरवा। नयन कभी आसमां देखते कभी गुलों की बहार देखते बदरवा। शीतल हवा से पनपती हर बनस्पति का लुत्फ उठाते लेते बदरवा। मौसम ने भी क्या मिजाज बदला है जब हर और छाई शाम बदरवा। प्रकृति के आगोश में लिपटी अरावली की पथरीली पहाड़ियां बदरवा। सर्द हवाएं जा चुकी मौसम भी बदल गया शीतल बयार बह रही बदरवा। रंगों के त्यौहार होली दुल्हेंडी के आने की आहट सुना रही बदरवा। टेसू के फूल भी अपनी रंगत से अरावली को रंगने को तैयार बदरवा। अब लग रहा है कारे कारे बदरव

कंचे।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣🌹✍ एक वो भी दौर था जब बचपन के खेलों में कंचे शामिल होते थे। भरी दोपहर मिट्टी में जम के खेले जाते  थे। कुछ कंचो के भी सुंदर सुंदर नाम हुआ करते।थे। कोई सोडियल कोई परियल हुआ करते थे। हरे लाल नीले पीले तो खूब हुआ करते थे। कुछ छोटे कुछ मोटे भी हाथ मे हुआ करते थे। क्या मजा आता जब अंट पिल खेला जाता था। एक की रानी में कोई भाई सब लूट जाता था। निशाने लगाने का मजा भी बहुत आता था। कभी एक आंख टेडी बंद निशाना साधा जाता था। अलग अलग कोणों से घुमा निशाना लगाया जाता था। अंट पिल में कंचे खूब जोर जोर घुमाये बुलाये जाते थे। उंगलियों को खींच खींच निशाने लगाये जाते थे। गुची बनाने का मजा भी बहुत निराला था। समतल धरती कर गोलाई ढाल बनाई जाती थी। दूर बैठ कर कंची उसमें एक बार मे डाली जाती थी। फिर निशाना लगाने की बारी हमारी आती थी। फिर आषाढ़ का सूरज जब चमकता धरती तमतमाती थी। कहीं छांव में बैठ कर कली जोट लगाई जाती थी। थोड़े बड़े हुए तो नक्का पूर भी सीख लिया। नये नये कंचे इकठे करने का दौर शुरू हुआ। डब्बे भर भर कंचे जीते सुबह दोपहर शाम जीते। गिनती करते खुली आँखों से सपनो में रहते

दिल झूम झूम।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 दिल झूम झूम झूमने लगा। समा मस्त मस्त लगने लगा। दिल मे कुछ कुछ होने लगा। तेरे इश्क़ का नशा होने लगा। दिल धक धक धक करने लगा। इसका सरूर मुझपे होने लगा। दिल की धड़कन बढ़ने लगी। तेरे आने की आहट होने लगी। दिल का पंछी उड़ उड़ने लगा। पलकें झुक झुक झुकने लगी। तेरी परछाई मुझे दिखने लगी। एहसास मेरे गर्म गर्म होने लगे। होश कही गुम गुम गुम होने लगे। दिल झूम झूम झूमने लगा। समा मस्त मस्त लगने लगा। हर तरफ तू बस तू ही दिखने लगी। जिंदगी हसीन और हसीन लगने लगी। बहारों के झरोखे मेर्री और खुलने लगे। मन मे हल्की हल्की गुदगुदी होने लगी। प्यार के हल्के हल्के एहसास जगने लगे। हर बात तेरी सामने सामने आने लगी। हर तेरे साथ गुजरा पल मेरा होने लगा। तू कहीं भी था मगर मेरे साथ होने लगा। ये बहारें नज़ारें मुझे हर वक़्त घेरने लगी। मैंने भी मूंद ली है आंखे जब तेरी लगी । तुझे क्या बतायें ए हमदम मेरे..सोचों में तेरी दिल झूम झूम झूमने लगा। समा मस्त मस्त लगने लगा। जय हिंद। 💫🌟✨****🙏****✍ शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

नामाकूल लोग।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 आज कल लोग बहुत नामाकूल हो गये है। कमबख्त आहे बगाहे धमकाते नज़र आते है। जिसे देखो चौधराहट चढ़ी नज़र आती है। सिर्फ अपनी बात ही सही नज़र आती है। अबे ओ नामकूलो बीवी पे ये दिखाओ तो जरा। छट्टी का दूध न याद आ जाये तो बताओ जरा। रात छोड़ दिन भी काला न हो जाये तो बताओ जरा। तुम्हारी दाल सूप न बन जाये बताओ तो जरा। चाय का भी मूत न हो जाये समझाना तो जरा। जलीं रोटियों का स्वाद मजा भी बताना तो जरा। बिना इस्त्री के वस्त्र का आनंद लेना तो जरा। एक शब्द  बोलो उसके के हज़ार सुनना तो जरा। सोमरस का जूस कैसे बनता है देखना तो जरा। बिना पिये नशा कैसे चढ़ता है समझना तो जरा। न समझ आये तो बीवी से पंगा दुबारा लेना तो जरा। फसबुकिये दबंग बनते हो फालतू बाते बनाते हो जरा। इसलिए आज कल लोग बहुत नामाकूल हो गये है। कमबख्त आहे बगाहे धमकाते नज़र आते है। जिसे देखो चौधराहट चढ़ी नज़र आती है। सिर्फ अपनी बात ही सही नज़र आती है। न समझ आया तो कोई बात नही तो जरा। बस मेरे ये शब्द भाभी जी को सुना देना तो जरा। इसलिए कहता हूँ पहले घरवाली से निपटो फिर मेरे पास आना तो जरा। पता है न निपटो  गे न........समझ

रण हो रहा है।

🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। दुश्मन सरहद पे खड़ा  चुनौती दे रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। दहशत कर रहा है नफरत फैला रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। हिंसा का दौर चल रहा खून बह रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। तोड़ने की साजिशें रच रहा है खेल हो रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। साजिशों का दौर है साजिशें रच रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। जवान खड़े है सीना ताने डटके खड़े है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। गोलियां चल रही है शहादतें हो रही है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। सीना खड़ा है तन के मजबूत हम है मन से। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। सरहद पे गोलियों से रोज़ रण हो रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। घर मे बैठे द्रोही सीना छलनी करवा रहे है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। हर एक गोली से मजबूत प्रण हो रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। सरहदों नापने का इरादा मजबूत हो रहा है। आक्रमण हो रहा है आक्रमण हो रहा है। दुश्मन के घर घुस के मारन

रोज़ रोज कुछ यूं ही।

आज लेखनी के सात सौ दिन पूरे हुए।एक लक्ष्य साधा था पूर्ण हुआ। जबरदस्ती बहुत मित्रो को पढ़ने को भेजा। बहुतों ने प्यार से फालतू कह के बंद भी करा दिया। मन रोशन रहा।कलम चलती रही।लक्ष्य सधने लगा।आप सब का इस यात्रा में धन्यवाद।आप सब मेरे ब्लॉग पोस्ट https://rajeevkumarprasher.blogspot.com/2019/02/blog-post_20.html?m=1 पे जा कर मेरे लेख मन करे तो पड़ सकते है।सहने के लिये धन्यवाद।मन से आदर सम्मान। भूल चूक माफ। यात्रा जारी रहेगी।धन्यवाद। 🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳💫🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 रोज रोज कुछ गुनगुनाते रहे तुझे याद करते रहे। मन मनाते रहे दिल बहलाते रहे तुझे याद करते रहे। वादियों में तुझे ढूंढते रहे मन मनाते रहे तुम याद आते रहे। हम सोच सोच मुस्कुराते रहे दिल बहलाते रहे। जिधर देखते हम तुझे नज़र के सामने पाते रहे। मंद मंद कहीं ख्यालों में गुम तुम्हे याद करते रहे। एहसास जागते रहे हमे जगाते रहे तुम पास आते रहे। सपनो की दुनिया मे तुम्हे ढूंढते ढूंढते गुम होते रहे। गुनगुनाते रहे मुस्कुराते रहे होश भूलते भुलाते रहे। तुम याद आते रहे हमे सुहाते रहे सपने लाते रहे। तुम्हारी मस्त अदाएं लुभात

प्रधानसेवक जी।

🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 प्रधान सेवक होना बड़ी बात है। कहे को निभाना उत्तम बात है। निभा के सफल होना खरी बात है। जनता है कुछ भी सोच लेती है। जितने मुह उतनी बाते होती है। हज़ारों आप से ख्वाईशें पाल लेती है। सुनने बेठो तो दिशाएं नप जाती है। पहले आप के सात काम बताते थे। एक आप ने कर दिया बाकी भी हो जाएंगे। ऐसा कुछ बड़े बडे सपने दिखाते थे। चलो जो हुआ सो हुआ भूल जाते है। इसबार तो सब ने आप से आस लगा ली है। चार टुकड़ों की बात कह दी है। एक हफ्ते में कश्मीर पूरा हमारा होगा। मन मे जम के ये बात बिठा ली है। कोई गीता का संदेश दे रहा है। बस अपने पे लागू नही कर रहा है। कोई ठिकाने बता रहा है उकसा रहा है। कोई शब्दो मे द्रोह खोज रहा है। शायद अपना पाप छुपा रहा है। कोई खुली छूट दे रहा है ललकार रहा है। कोई सरहदें लांघ रहा है खत्म कर रहा है। कोई हुक्का पानी बन्द कर रहा है। कोई दुनिया को चेता रहा है। कोई इसे मच्छर कोई भिखारी बता रहा है। कोई इसे कटोरा थमा रहा है। कोई इसे नासूर बता रहा है। कोई इसे फेल मुल्क समझा रहा है। क्या बतायें सेवक जी सौ मुँह सौ बातें। सुन रहे हो

रोष में होश।

🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 रोष में होश गुम है। सुलह की आवाज़ सुन्न है। कोई सुनने को तैयार नही है। रोष बहुत है होश गुम है। कोई सुनवाई ही नही है। युद्ध की ललकार बहुत है। फना होने की तमन्ना प्रबल है। बिल से निकालने की धारणा प्रबल है। कुछ भी हो जाये मरने मारने का जस्ब है। निकाल बाहर मार डालने का महाप्रण है। एक एक को ठोकने का मन है। मंज़िलें आज ही हांसिल करनी है। तबाही तबाही और तबाही करनी है। उसकी बर्बादी और बर्बादी देखनी है। इल्म नही रोष में होश गुम हैं। हर कीमत पे उसे झगड़ना बस है। अपना घर जले उसका भी जलाना बस है। सहनशीलता को किनारे लगाना बस है। ताक़त के परचम से दूसरा घर जलाना बस है। रोष में खोते होश ने धम्ब सीख लिया अब है। सोचने का वक़्त गया ऐसा लगने लगा  अब है। महाभारत का शंखनाद हो गया है जैसे अब है। बहुत वक़्त हुआ धरती लाल नहीं हुई। इस कुरुक्षेत्र में आंखें लाल हुई है देखो अब है। भावनाओ का ज्वालामुखी उफान पे है। क्रोध का लावा सब निगलने को है। मन आंदोलित और बाजुएं फड़फड़ा रही है अब है। हिसाब तो बराबर होना अब है। इन विचारों ने घर कर लिया बस है।

नफरतों का दौर।

🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 ये मुल्क किस और जा रहा है। नफरतों का दौर आ रहा है। हर कोई बेमतलब क्रोधित है। न सुन रहा न समझ रहा है। एक आक्रोश सा भरा हुआ है। हर किसी के हिस्से नफ़रतें है। कुछ अपनो से कुछ पड़ोस से है। हर पल दुश्मनी पाल रहा है। हर रोज़ दीवार और बड़ी कर रहा है। बहकावे का खेल जोरो पर बना है। बहकाने वाले ही तमाशबीन है यहाँ। आग लगा के मजा ले रहे है। नफरतों में तो हम जल रहे है। हर पल आग लगा सुलगा रहे है। मौका लगते ही घी डाल रहे है। देशद्रोह नफरत से समझा रहे है। आग उगलकर शांति ला रहे है। चालाक बहुत खुश खुश हो रहे है। कुछ के तो वोट जोर से आ रहे है। भड़के क्रोध ने बुद्धि को हर लिया है। हर और क्रोध ही दिखाई दे रहा है। अफवाहों का बाजार भी बहुत गर्म है। लांछन लगाने में कोई भी कम नही है। एक ही मिट्टी के सपूत ये खून प्यासे है। भाई से भाई लड़ने लड़ाने को जान प्यासे है। नफरतों का दौर है सिर चढ़ के बोल रहा है। कुछ कहने से पहले बिना सुने ठोक रहा है। आंखों में नफरत दिल मे बदला भरा है। नफरतो का दौर है इंसान जल उठा है। पैसे ने बुद्धि विवेक रिश्ते सब हर लिए

नेता।

🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 इन देश के नेताओं से हर कोई बचके रहे। इनकी बुद्धि हमेशा सामने पड़ते ही सतर्क रहें। चालों चलने में नेता सदा बहुत व्यस्त रहें। हर वक़्त सिर्फ अपना ही सोचत मस्त रहें। जान सबसे कीमती बस इनकी ही बनी रहे। बाकी कोई मरे इनको काहे फर्क पडता रहे। इनका काम इतना की बस ताक़त हाथ मे रहे। साम दण्ड भेद विद्या सब इनके आगे पानी भरे। जनता सदा डंडे से हाँकी इनसे लगी चिपकी रहे। सिपाही मुस्तैद हमेशा सलूट मारता इन्हें रहे। सीमा पे जवान इनका जोश देखता देखता रहे। अपनी जान इनकी नाकामियों पे देता रहे। सवाल पे अपनी छोड़ दूसरे की ये सुनाता रहे। हर शख्स को जलेबी सी बातों में उलझाता रहे। फिर कहे था जलेबी सा सीधा पर था बड़ा मीठा। कोन है इस दुनिया मे जिनको इन्होंने नही लूटा। कोई बात का झूठा कोई अपनी औकात का झूठा। कोई चोर तो कोई बड़ा सीनाजोर नज़र जाता। कुल मिला के नेता बड़ा ताक़तवर कहलाता। कुछ समझदार इनसे बच निकल जाते। बाकी सब इनकी लच्छेदार में उलझ जाते। भाषण बड़ा जोर जोर से दे कर जाते। हर बार नया वायदा कर पुराने सब भुला जाते। शहीदों की चिंताओं पे मगरमच्छी आंसू ब

तेरे चेहरे पे।

🌹🙏❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🌹 तेरे चेहरे पे खुशी देख कर दिल झूम झूम जाता है। तेरे पास आने से मजा भी तो ज्यादा हो जाता है। तेरे चेहरे की रंगों रंगत और भी हसीन हो जाती है। हम देखते देखते और बस तुझे देखते रह जाते है। तू छमछम से चली आती है हम झूम झूम जाते है। तेरे चेहरे पे खुशी देख कर दिल झूम झूम जाता है। क्या मुक़दस वक़्त होता है जो तेरा आना होता है। हर और छाया नूर और बिखरा तेरासरूर होता है। तेरे पैरों की मदभरी आहट से मन यूँ गूंज जाता है। दिल के तार छिड़ जाते है मन गाने लग जाता है। तुम में डूब के यूँ कुछ दिल का करार आ जाता है। सारी ख्वाईशें तेरी इक अदद नज़र ही मोहताज़ है। हमपे जब डलती है तो हमारी भी कीमत होती है। तेरे होने से हम है इसकी भी वजह बस तू होती है। कभी नाराज़ होते भी है के दूरी बर्दाश्त नही होती। ये गुलिस्तां तेरी महक से है वरना रात नही होती। तेरे चेहरे पे खुशी देख कर दिल झूम झूम जाता है। मेरा सारा जहां तेरे होनेभर से आबाद हो जाता है। जय हिंद। ✨💫🌟****🙏****✍ शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

शहीदों को नमन।

🔥🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳✍🔥 शहीदों को नमन है परिवारों को सांत्वना। आज बहुत आक्रोश है शोक की घड़ी है। ऐसा लगता है बड़ी मुसीबत आन पड़ी है। जिनके गये उनमे तो गुस्सा भरा ही पड़ा है। चालीस के बदले चालीस हजार की बात हो रही है। एक लाल उजड़ा दूसरे को उजाड़ने की तैयारी की जा रही है। कोई मजहब की रोटियां सेक रहा है। कोई अपने इंतकाम को दिखा रहा है। कोई घुंन को पीस कर सीना चौड़ा कर रहा है। हर कोई अपना किसीका दिमाग गर्म कर रहा है। अपने विरोधी को बड़ा देशद्रोही बता रहा है। टी वी का शोर बहुत तेज़ शोर कर रहा है। किसीके टुकड़े करने को उतावला हो रहा है। आज जवानों की याद है। कल उनके परिवार तक जायेगी। कुछ दिन बाद बस सब भूल जायेगी। जिंदगी फिर दौड़ने लगेगी। इंसान को ये बात भी औरों सी भूल जायेगी। कुछ लोग वाकई कलाकार होते है। सुबह को हंसते झंडी दिखाते है । शाम होते आंसू दिखा श्रद्धाजंलि दे जाते है किसे चला रहे हो? क्यों बहका रहे हो? तुमने भी तो अपने कर्मो की फसल बोई है। समझ लो काट रहे हो। युवा आक्रोशित है। जनता भ्रमित। जवान शोक संतप्त। नेता का दिमाग लग चुका है। चुनावी विग