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Showing posts from September, 2017

शुभचिंतक।

💐🙏🏾********************✍🏼💐 हमारे जीवन में कुछ व्यक्ति विशेष का बड़ा महत्व होता है उन्हें हम अपना शुभ चिंतक मित्र कहते है।ये प्राय वो व्यक्ति होते हैं जो आप को  अपने नज़दीक समझते है और आप के साथ भावनात्मक जुड़ाव रखते है। आप के खट्टे मीठे अनुभव आप को एक दूसरे की समझ पैदा करवाते है। दिमाग में बेहतर विचारों के साथ रिश्ता रखते है। उनमें लगाव होता है पर ऐंठन नही होती। उनके भीतर  लचकील मन आप को भावनात्मक फैलाव देता है। एक छतरी हर समय तैयार है उसका सुखद एहसास होता है। पैसा हर चीज़ का मकसद नही हो सकता ये आप शुभचिंतकों के माध्यम से आसानी से समझ सकते हो। आप का एक बुलावा ही काफी है। रिश्ता कोई कैसे बनेगा इसका आप को पता नही पर वक़्त कब आप को रिश्तों की डोर में बांध देगा ये आप के एहसास जरूर करा जायेगा । आप का रिश्ता एक शुद्ध स्वच्छ साफ आचरण की देन है। इसे आप को समझने की बेहतर जरूरत है। जो रिश्ता जितना साफ सुथरा होगा उसमे शुभेच्छा जितनी होगी आप की शुभचिन्ता भी उतनी या उससे ज्यादा होगी। एक प्रेम का तत्व आप के प्रति उदार भाव स्थापित करेगा। एक मजबूत डोर सा रचनात्मक बंधन होगा। आप की जरा से टीस का एहसास

पाककला।

💐🙏🏾*******************✍🏼💐 भगवान ने ये शरीर काया दी । एक बेहद जटिल मशीन बना दी। इसे आज तक विज्ञान पूरी तरह समझ नही पायी। इस मशीन को चलाने के लिए भी तरह तरह के ईंधन लगते है।वायु पानी भोजन इत्यादि इत्यादि। और बचपन में माँ के गर्भ से बाहर आने के बाद से ये सिलसिला शुरू हो जाता है। बच्चा पैदा होने के साथ मां के दूध के सेवन से ताकत पाता है। मशीन चल पड़ती है। बनने लगती है । धीरे धीरे मशीन भोजन के तरफ बढ़ती है। ये भोजन में मशीन वही और उसी तरह का स्वाद ढूंढती है जो पैदा होने के समय और अपने बचपन में लिया था। जीभ की स्वाद ग्रंथियां जैसे जैसे इंसान रूपी मशीन बढ़ती है अपना स्वाद ढूंढ़ लेती है। अब यहां से एक कला समाज को मिलती है। वो है पाक कला।पाक कला में निपुणता एक ऐसी कला है जो किसी के भी दिल में बहुत आसानी से उतर जाती है। पाक कला को जानने वाला इंसानी स्वाद को बखूबी समझता है। और जो इसे समझ गया समझिये अपने आधे जीवन का स्वामी हो गया। और प्रेम मुफ्त में पा जाता है। आज का मेरा संधर्ब हमारे घर में विराजे पाक महारथियों पे है। और एक बात और याद आ रही है। जो जैसा भोजन ग्रहण करता है उसका व्यवहार भी वैसा ही

निराला।

आज एक प्यारा शब्द सुना 'निराला' । जो कुछ आम दुनिया से अलग हो एक अलग सोच का मालिक हो एक अलग हुनर लिए हो एक अलग पहचान रखता हो। रोज़ आते जाते एक चौराहे से गुजरते एक मूर्ति देखता हूँ। आदरणीय सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। उनकी कृतियाँ भी अदभुत थी। अनामिका उनमे से एक थी। इंसान निराला कई मायनों में हो सकता है। आप एक आब भाव निराले हो सकते है। आप की ऊँच निराली हो सकती है। आप के पहचान निराली हो सकती है। आप  के गुण अवगुण निराले हो सकते है। आप की चाल ढाल निराली हो सकती है। आप के पहरावे निराले हो सकते है। आप के कर्म निराले हो सकते है।आप का खान पान निराला हो सकता है। आप की फितरत निराली हो सकती है। आप के दोस्त भी निरालों का संगम हो सकते है। कितना कुछ है एक इंसान के भीतर जो उसको बेहद अलग रूप में दुनिया की भीड़ में प्रस्तुत कर सकता है। ब्रेक डांस निराला था उसको ईजाद करने वाला भी निराला था। वहीं आर्कमडीज़ भी निराला वैज्ञानिक था। आप कई प्रतिभाओं में निराले हो सकते है। कुछ अलग होने चाहिये बस। बस्तियां भी निराली हो सकती है। उनमें रहने वालों का सामाजिक परिवेश भी निराला हो सकता है। आप कैसे किसी भ

ख्याल।

💐🙏🏾********************✍🏼💐 खूबसूरत ख्यालों की दुनिया असल दुनिया से अलग क्यों होती है? खूबसूरत ख्याल क्यों आते है? हम सब की एक अपनी दुनिया होती है। सदा आम दुनिया से दूर । दिल के बेहद नजदीक। हम संसार को अपनी एक मन की निगाह से देखते है। जहाँ सब मन मुताबिक हो ऐसी मन एक तस्वीर पेश करता है।इस तस्वीर के बहुद सुखद पहलू होते है। मन के अंदर ही जिये जाते है। बिल्कुल महफूज़ ।देश दुनिया की सख्ती से दूर। जीवन में बहुत से ख़्वाब हम देखते है। जब बचपन था तो सोते हुए भी खेलते थे सपनो में प्यार के झगड़े करते थे सपनो में।सोते सोते बड़बड़ाते थे तो माता पिता शायद हंसते हो ये सब नज़ारा देख के। फिर कुछ जवानी की तरफ बढ़ने लगे। कुछ अपना भविष्य बनाने के ख्यालों में खो अपनी चाहत की दुनिया का ताना बाना बुनने में व्यस्त हो गए। कुछ इश्क़ मुश्क़ में उलझ के खयालों की दुनिया जीने लगे।कुछ खयालों को दबा के जीवन का भोझ भी शायद ढोने लगे।फिर भी दबे और भोझ से पटी जिंदगी रात होते ही हसीन ख्यालों में खोने से नही चूकती। फिर और बड़े हुऐ जीवन सामाजिक होने लगा। रिश्तों की जकड़ मजबूत होने लगी । बंधन हो गये। अब बहुत से पकते ख्यालों की मं

वीर।

💐🙏🏾********************✍🏼💐 वीर कोन ? जो कर्तव्य से वीर हो वीर है। जो मन का साफ हो वो वीर है। जो निर्भीक हो वो वीर है। जो झुझारू हो वो वीर है। जो युद्ध कला में निपुण हो वो वीर है। जो अधिकारों के प्रति सशक्त हो वो वीर है। जो बाधाओं को पार करना जानता है वो वीर है। जो मन को बांधता है वो वीर है। जो इंद्रियों पे विजय पा जाता है वो वीर है। जो सच लिखता है वो वीर है। जो सच बोलता है वो वीर है। जो सच के साथ खड़ा होता है वो वीर है।जो कमजोर को सहारा देने में सक्षम है वो वीर है। जो दीन दुखियों कमजोरों के लिये लड़ता है वो वीर है। जो धर्म रक्षक है वो वीर है। जो समाज सेवी है वो वीर है। जो निर्धनों का सहारा है वो वीर है। जो न्याय प्रिय है वो वीर है। जो न्याय व्यवस्था में न्याय के लिए खड़ा हैं वो वीर है। जो बहु बेटियों बहनों की अस्मत की हिफाज़त करता है वो वीर है।जो ईश्वर की बनाई इस मायानगरी को  भेदने की क्षमता रखता है वो वीर है। जो बच्चों को उत्तम ज्ञान देता है वो वीर है। जो अपनी सरहदों की हिफाज़त में लगा है वो वीर है। जो कुटुम्भ का रक्षक है वो वीर है। जो निर्भीक है वो वीर है। जो अपने  परिवार को महफूज़ ह

गृह शांति की तलाश भगवान के यहां।

💐🙏🏾*******************✍🏼💐 आज मैं हमारे भगवान के यहां गृहशांति का मंत्र खोज रहा हूँ। भगवान शिव पार्वती जी के साथ कैलाश पे बहुत सुखी है। विष्णु लक्ष्मी जी साथ  क्षीर सागर में शेषनाग शय्या पे आनंद मगन है और बैकुंठ में शांति है। ब्रह्मा जी गायत्री जी के साथ ब्रह्मलोक में आनंद ले रहे है। बहुत सकून का जीवन व्यतीत कर रहे है। किस कारण इतना शांत जीवन ?सब की अर्धांगनियाँ खुश है। मजा हो रहा है। आनंद चल रहा है। मायालोक के जम्बूदीप में विराजती मायारूपी लोकस्वरूपी जनता गुणगान कर रही है। पर पति पत्नी का ये रिश्ता बड़ा शांत है। जब देखो कोई झगड़ा नही।हमेशा साथ साथ सर्व लोक भ्रमण और वो भी हंसते हंसते। सर्वत्र आनंद ही आनंद। राज क्या है? और ये राज इस दुनिया पे कब खुलेगा? बड़ा सीधा पर उलझा प्रश्न है। सब लोग मिल के पार्वती जी की लक्ष्मी जी की और गायत्री जी की सास को ढूँढ़िये बस।दो बर्तनों में से एक गायब? खड़केंगे कब? बड़ी समस्या है जी। बर्तन खड़क नही रहे तो तांडव होगा कब? प्रश्न पे प्रश्न उलझते जा रहे है। सोचो एक बार शिव जी को ससुर जी दक्ष प्रजापति ने तंग कर दिया। तो सती के शोक में भयंकर तांडव हुआ। अब सोचिये

आंखें।

💐🙏🏾******************✍🏼💐 आंखें खूबसूरती का पैमाना रही है। आंखों जी बनावट चेहरे पे खूबसूरती के रंग गढ़ती है। ये वो पंखुड़ियां है जिसका चित्र खींचने का मन हृदय में हर दम करता है। तो चित्रकार की प्रेरणा रही हैं आंखें। कवि की कल्पना लिए है। शायर के जज्बात रहीं हैं ये। बहुत कुछ लिखा है इनके बारे में। ये देखने और भाव व्यक्त करने का बेहद खूबसूरत माध्यम है। इनकी मार के मारे कम ही बच के निकल पाते है। ईश्वर की सबसे बेहतरीन इंद्री है। इसके प्रथम खुलते ही दुनिया दिखती है और अंत बन्द होने के साथ ही लिखा है।संसार की सारी झलकियां इसके माध्यम से ही दिमाग अपने में समा रहा है। आँखों की गहराईयों में बहुत कुछ छिपा है जिसे पड़ने की भी कला है। ये इंसान के सारे भाव लिए है। जो दिमाग मन में चल रहा है। वो स्वतः आंखों में झलक जाता है। एक बात और जान लीजये आंखें कभी झूठ नही बोलती। आप कितने भी बड़े अभिनेता हों पाखंड में निपुण हों आप की आंखे सामने वाले को कुछ देर आप को समझने से रोक सकती है सदा नही।आंखें नायाब है। इसमें सब हसरतें बसती हैं।ये हमेशा सकून के लिए बेचैन रहती है। हर एक कि आंखों में बहुत कुछ समाया है। ये

कुछ अफवाहें।

💐🙏🏾*****************✍🏼💐 अफवाहों का बाज़ार गर्म हो ,दिमाग में उलझन हो ,रास्ते धुंदले हों ,मन में बेचैनी हो, कुछ ऐसा हो जाये कि हमारे मन की हो जाये। ये ख्याल हर वक़्त सामने आते जाते रहते है। अपने इर्द गिर्द अपने को ही सांत्वना देते हम नज़र आते है।क्या ढूंढते है दूसरे की बात में शायद अपने पकाये खयालों पे मोहर ढूंढते है।ख्याल तो ख्याल ही है। आते है जाते है।स्तिथि बदलती है ये बेचारे भी बदल जाते है। वे भी अफवाहों की तरह हमारे दिल दिमाग में घर कर जाते है।जब तक मन की सुन न लें कहाँ आराम पाते है। बहरहाल अफवाहों का बाज़ार गरम है तो मजे की रोटियां सब सेक रहे है। एक दूसरे के भाव पड़ते नज़रें न जाने क्या खोज रही है।ना जाने कान क्या सुनने को बेकरार है। बहरहाल अफवाहों का बाज़ार गरम है और हम उसमे तपिश में है।कुछ किनारे बैठ बहते लावे को देख रहे है। गर्मी भयंकर है ना जाने किस खास के लिए किनारे खड़े हो ये सब झेल रहे बै। बहरहाल अफवाओं का बाज़ार बेहद गर्म है। कुछ दिल से लगायें है तो कुछ आंख मूंद लिए है। कुछ अपनी ऐसे में स्तिथि मजबूत करने में लगे है। पेट तो सबको लगा है । परिवार तो सबका है। मुह में कोर तो डालना

वाकपुटता।

💐🙏🏾***************✍🏼💐 वाकपटुता इंसानी जीवन में संभव है और ये बेहद रोचक कला है। ईश्वर ने हमेे बोलने की शक्ति दी है जो इस धरती पे शायद मनुष्यों के पास जन्म से स्वतंत्र रूप में  मिलती है। हर जीव अपने अपने तरीके से अपने वर्ग में संवाद साधता है। और हमेशा सफल रहता है। मनुष्य के पास शब्दों की कला के माध्यम से बेहतर संवाद साधने के तरीके उपलब्ध है। ये एक बेहद रोचक विषय भी रहा है। बहुत से ज्ञानी इसपे अध्ययनरत है। बड़े बड़े बिज़नेस होउसिस इसपे अपने कर्मचारियों के लिए संवाद साधने की ट्रैनिंग कई माध्यमो से देते हैं।शब्दों के कैसे बोला जाये? कितने जोर या आराम से कहा जाये ?कितने जोश से चेहरे के भावों के साथ इसे प्रस्तुत किया जाए? कितना उलझा के सुलझे तरीके से परोसा जाए?कितना राजनीतिक तरीका अपनाया जाये?कितना शब्दो के फेर से सुलझे व्यक्ति को उलझा दिया जाए? कैसे किसी की नज़र से दिमाग को पढ़ के उसे शब्दो के जाल में उलझाने में लिए जुबान खोली जाये? कम बोला जाए या ज्यादा बोला जाये? व्यवहारिक बोल कब बोले जायें? बहुत सी ऐसी बातें है जो मनुष्य इन शब्दों की कीमत समझ उनका बेशकीमती तरीके से उपयोग अपने संवर्धन वर्