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Showing posts from August, 2018

अहमदाबाद डे वन।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🇮🇳🎊🎊🎊✍🏼🌹 गुजरात एक खूबसूरत प्रदेश है।सुंदर सड़कें और व्यवस्थित संचालन ने इस प्रदेश को काफी समृद्ध किया है।इसके बाशिंदे भी खूब मेहनती और खूब पर्यटन करने वाले है।सभी धार्मिक जगाहों पे आप को गुजराती पर्यटक मिल ही जायेंगे।कमायेंगे जम के और मेहनत करेंगे जम के और घूमेंगे फिरेंगे खायेंगे पियेंगे भी जम के।खूब सफाई पसंद क़ौम है गुजरातियों की।गुजराती व्योपारी पूरे भारत के हर शहर में आप को मिल जायेंगे।तो आज मौका लग गया गुजरात आने का।वैसे पहले भी गुजरात आता जाता रहा हूँ काम की सिलसिले में मगर देखने का मौका ज्यादा नही मिला।तो आज शायद कुछ समय मिल जाये।शाम को दिल्ली से जहाज पकड़ा और उतर गए अहमदाबाद शहर हवाई अड्डे पे।मौसम बहुत सुहाना हुआ जाता है।बादलों की आवाजाही लगी हुई है।पानी बरस के हटा है।हवाई जहाज में ऊपर से देखने मे ही शहर की सुंदरता का एहसास हो गया।फिर टैक्सी ड्राइवर भी अच्छा मिल गया।जो हमे सीधा मित्र के घर ले गया।टैक्सी भी मुझे गुजरात मे सस्ती लगी।खैर दो दिन का दौरा है तो सोचा गुजरात के शहर अहमदाबाद के बारे में जानकारी इकठी की जाये।यहां की काजू की मिठाई बहुत मशहूर है टैक्सी वा

अभिनव चतुर्वेदी उर्फ " नन्हे "।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🇮🇳🎊🎊🎊✍🏼🌹 इतेफाक़ होते रहते है।काम भी चलते रहते हैं।काम करते करते कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो जाती है।भूले बिसरे गीतों की तरह भूले बिसरे लोग याद आ जाते है।और अगर सामने आ जाये तो हम लोग थोड़ा आश्चर्य महसूस करते है।खैर हम छोटे थे। उम्र भी तक़रीबन 11-12 साल रही होगी।भारत मे एशियाड खेलो ने टेलीविज़न को घर घर तक ले जाने की मुहिम शुरू कर दी थी।ब्लैक एंड वाइट टी वी का जमाना था।हमारे घर भी पहला टेलीविज़न ओनिडा का शटर वाला टी वी आया था।दूरदर्शन पे समाचार से पहले बजती संगीत की धुन बड़ी भाती थी।और रोज शाम को टेलीविज़न के सामने कुछ देर जरूर बैठते थे।उस वक़्त अशोक कुमार जी टी वी पी आया करते थे।एक सीरियल दिखाने देखने की दुनिया बन रही थी।टीवी इतिहास बनाने पे उतारू था।जी एक सीरियल बन रहा था " हम लोग" । मेरी उम्र के लोगो को याद आ रही होगी अशोक कुमार जी की "छन्न पकैया छन्न पकैया की"। "हम लोग" भारतीय टेलीविजन पर प्रसारित होने वाला पहला सोप-ओपेरा था। यह भारत के एक-मात्र टेलीविज़न चैनल दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता था। इसका प्रसारण 7 जुलाई 1984 को प्रारम्भ हुआ व यह श

माँ बगलामुखी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🇮🇳🎊🎊🎊✍🏼🌹 यात्रा यथावत जारी है।सड़के बनती चली जाती है और हमारे जैसे इन्हें नापने जीतने निकल पड़ते है।घुमाती फिराती हमे मंजिलों पे ले ही जाती है।हम वहां पहुंच के लौट पड़ते है।और रास्ते भी कभी नये तो जगह भी कभी नई।बैजनाथ की ठंडी वादियों से निकल के नीचे आना ही पड़ेगा।पहाड़ों से उतर गाड़ी पहुंच गई सुंदर बसे मोड़ पे सुंदर से मंदिर के नजदीक जहां पूर्व राष्ट्रपति आए प्रधानमंत्री अपने लिये आशीर्वाद लेने आये है।ज्वालामुखी से मात्र 25 किलोमीटर दूर। कोटला के पास मां बगलामुखी का धाम बनखंडी में।चलिये आज आप को माँ बगलामुखी धाम की  महेतता बतातें है... मां के इस शक्तिपीठ में जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से दर्शन के लिए आया उसके दुश्मनों का सम्पूर्ण विनाश हुआ। युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए रावण और मेघनाथ ने भी यहां पूजा अर्चना की थी। बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बा में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। पांडुलिपियों में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्व

बैजनाथ।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🇮🇳🎊🎊🎊✍🏼🌹 पालमपुर की चाय की चुस्कियां आप को तरोताज़ा कर देती है।और वहां के बागानों की छटा मंत्रमुग्ध।ऐसे में क्यों न थोड़ी और आगे चलें।चलो पहुंच जाएं  ऊंचे पर्वतों की  तलहटी में।जहां से पर्वतों से लिपटी सफेद चादर का पूर्ण दृश्य नजर आ जाये।जी मैं बात कर रहा हूँ बैजनाथ की।पालमपुर से थोड़ा ही आगे बडा जाये। वैजनाथ की सुंदरता का मजा लिया जाये। भगवान शिव के सुंदर धाम के दर्शन किये जायें।चलो बैजनाथ की यात्रा की जाये। हिमाचल प्रदेश की हिमाच्छादित धौलाधार पर्वत श्रृंखला के प्रांगण में स्थित है भव्य प्राचीन शिव मंदिर बैजनाथ। वर्ष भर यहां आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। माघ कृष्ण चतुर्दशी को यहां विशाल मेला लगता है जिसे तारा रात्रि के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त महाशिवरात्रि और वर्षा ऋतु में मंदिर में शिवभक्तों की भीड देखते ही बनती है। पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यह मंदिर देश के कोने-कोने से शिवभक्तों को आकर्षित करता है। कई विदेशी पर्यटक भी यहां आते है। बैजनाथ मंदिर की पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है कि त्रेता युग में रावण ने हिमाचल के कैलाश पर्वत पर शिवजी के नि

पालमपुर।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🇮🇳🎊🎊🎊✍🏼🌹 चामुण्डा माता के दर्शन कर लिये तो पालमपुर में जा के चाय की चुस्कियां न ली जायें ये कैसे हो सकता है।पालमपुर बेहद खूबसूरत जगह है।रोड़ और रेल के ट्रेक के दोनों तरफ लहलहाते चाय के बागान।चाय की फैक्ट्री देखने का भी लुत्फ ले सकते हो।अंग्रेजों ने भारत के कई पहाड़ी पर्यटन स्थलों को अपनी गर्मियों की आरामगाह के लिए बनाया था।वहां तक रोड रेल सब ले गये।प्रकृति से छेड़ छाड़ कम से कम की।रेल मार्ग आज भी पालमपुर की वादियों से गुजरता आप को शहर के समीप ले जाता है।हिमालय के बेहतरीन दर्शन होते है।बर्फ से आच्छन्दित चोटियों का नयनाभिराम दृश्य बहुत ही मोहक होता है। देखते जाओ  फ़ोटो खींचते जाओ।आप का मन नही भरेगा।चलो कुछ पालमपुर पे छप जाये।हिमालय की गोद मे कुछ पल बिताएं जायें। भारत का राज्य हिमाचल प्रदेश बेहद खुबसूरत राज्यो में से एक है। हिमाचल का शाब्दिक अर्थ है ” हिम या बर्फ का आँचल" हकीकत में भी यह राज्य हिमालय की उत्तर पश्चिमी गोद में बसा है। यह राज्य अपने आप में प्राकृतिक सुंदरता और छटा से भरा है। यहा यात्रियो को आकर्षित करने के लिए कई मनोरम स्थल है ।पालमपुर समुंद्र तल से 1400