🌹🙏🏻❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🏻🌹 एक दारूबाज दोस्त और निंबूपानी दोस्त की हैप्पी न्यू ईयर की महफ़िल सजी थी। दबा के पार्टी चल रही थी।गिलास पे गिलास खाली हो रहे थे।निंबूपानी बहुत परेशान था ये इतनी पी क्यों रहा है? मजा कर रहा है या दुख मना रहा है? निंबूपानी से रहा न गया और और पूछ ही लिया भाई इतनी क्यों पी रहा है? दारूबाज:भाई तू जो फ्री की पिला रहा है इसलिए पी रहा हूँ। निंबूपानी:ओए मैंने कब बोला में पीला रहा हूँ? दारूबाज:तो काहे फालतू सवाल पूछ रहा है।चल।निंबूपानी पी। कीड़ा जब उछल रहा हो तो प्रश्न फिर पूछना बनता ही है। निंबूपानी : भाई कोई दुख है क्या? दारूबाज : हां भाई आज कल देश की अर्थव्यवस्था ठीक नही है बहुत दुखी हूं। निंबूपानी : अबे उससे तुझे क्या? दारूबाज : दुख। निंबूपानी : तो दारू क्यों? दारूबाज: गम गलत कर रहा हूँ।गर्द-ए-ग़म-ए-जाँ उड़ा रहा हूँ। निंबूपानी: अबे ये क्या?.. दारूबाज : एक और निंबूपानी मंगा। पी भाई पी। निंबूपानी: देख दोस्त जो तू इतनी पी रहा है मेरा दिल जल रहा है। दारूबाज: बेटा तू सुखी है ना घर पे.. निंबूपानी: कहाँ दोस्त तभी तो आज तेरे साथ बैठा हूँ।किच किच से दूर। दारूबाज: बेटा दो ज