🌹🙏🏼********************✍🏼🌹 आज चंद्रग्रहण का दिन था।सुबह 9 बजे के आस पास सूतक के कारण मंदिरों के कपाड बन्द कर दिए गए थे।जो व्यक़्क्तित्व धार्मिक प्रवृत्ति पनपी भक्ति से ओतप्रोत थे उनका आज सुबह से ही उपवास शुरू हो गया। ग्रहण का वक़्त शाम का था। सो इस स्तिथि का पूरा आनंद और फल प्राप्त करने के लिए कुछ भक्ति में लीन हो गए कुछ कीर्तन के आनंद में समा के आनंद की प्राप्ति कर लिए। ये बेला भी अत्यंत शुभ है। माघ मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा और ये संयोग 176 साल बाद हो रहा है। घटनाये रोचक होती है।और ऐसी जो आप के जीवनकाल में केवल एक बार होनी हो तो देखनी बनती है। आज उसके लिए मन बना ही लिया था। वैज्ञानिक स्तिथि कैसे बनती है देखिये।चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चंद्र आसंधियों के सापेक्ष चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। ये पूर्ण