🌹🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🇮🇳🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺✍️🌹 आज मन मे रह रह कर मेरे जीवन मे विशेष स्थान रखने वाले गुरुओं की स्मृति आ रही है। मैं आज उन सब का मन से शुक्रगुजार हूं जिन्होंनो मुझे किसी भी रूप में कुछ भी ज्ञान दिया है।वे सब मेरे मन के भीतर श्रद्धा की गहराईयों से सम्माननीय है। बचपन से आज तक समय समय पर ईश्वर की कृपया से मेरे जीवन मे कुछ खास लोगो का बहुत योगदान रहा है।उन्ही के सत्कार में आज लिखने का मन हो रहा है।गुरु शब्द ही सारा सार है मेरी बात का। गुरु' शब्द में 'गु' का अर्थ है 'अंधकार' और 'रु' का अर्थ है 'प्रकाश' अर्थात गुरु का शाब्दिक अर्थ हुआ 'अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक'। सही अर्थों में गुरु वही है जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करे और जो उचित हो उस ओर शिष्य को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे। मेरी प्रथम वंदना है गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः॥ अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवानशंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता