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Showing posts from June, 2019

भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 3 अनुच्छेद 172 से 177 तक।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 आइये आज जाने भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 3 अनुच्छेद 172 से 177 तक। 172 राज्यों के विधान–मंडलों की अवधि–(1) प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधान सभा, यदि पहले  ही विघटित नहीं  कर दी जाती है तो, अपने  प्रथमअधिवेशन के लिए  नियत तारीख से [24][पाँच वर्ष]तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं  और 1[पाँच वर्ष]की उक्त  अवधि की समाप्ति  का फरिणाम विधान सभा का विघटन  होगा : परंतु  उक्त  अवधि को,जब आफात् की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, तब संसद् विधि द्वारा, ऐसी  अवधि के लिए  बढ़ा सकेगी, जो एक  बार में एक  वर्ष से अधिक नहीं  होगी और उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात्  किसी भी दशा में उसका विस्तार छह मास की अवधि से अधिक नहीं  होगा । (2) राज्य की विधान परिषद  का विघटन  नहीं  होगा,किंतु  उसके सदस्यों में से यथासंभव निकटतम एक -तिहाई सदस्य संसद् द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त बनाए  गए उपबंधों  के अनुसार, प्रत्येक द्वितीय वर्ष की समाप्ति  पर यथाशक्य शीघ्र निवॄत्त हो जाएंगे  । 173. राज्य के विधान–मंडल की सदस्यता के लिए  अर्हता—कोई व्यक्ति  किसी राज्य में विधान-मंडल के किसी स्थान को भरन

मुहँ के छाले।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 आज कल गर्मियों जा मौसम है।गर्मी के मौसम में अक्सर लोगों के मुंह में छाले निकल आते हैं। अगर समय रहते इनका इलाज न किया जाए तो यह परेशानी और भी बढ़ जाती है। परेशानी बढ़ने से खाना खाने, यहां तक कि पानी पीने में कई सारी दिक्कते होने लगती है। इससे छुटकारा पाने के लिए लोग कई तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। मगर कई बार इससे भी ज्यादा फायदा नहीं होता। एेसे में कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करके मुंह के छालों से राहत पा सकते हैं। चलिये पहले जाने कारण। मुंह में लगनेवाली चोट मुंह के छालों का एक आम कारण है। दांत का एक नुकीला किनारा लगना, दुर्घटनावश चबा लेना (विशिष्ट रूप से यह तीक्ष्ण श्वानीय दांत या प्रज्ञा दंत के साथ आम हो सकता है), तीक्ष्ण, अपघर्षक या अत्यधिक नमकीन भोजन, अच्छी तरह न लगाई गई कृत्रिम दंतावली, दंत्य पट्टिका या टूथब्रश से होने वाले घाव मुंह की श्लेषकीय पंक्ति को चोट पहुंचा सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप छाला हो सकता है। यदि चोट के स्रोत को हटा दिया जाए, तो सामान्यतः ये छाले एक मध्यम गति से ठीक हो जाते हैं (उदाहरण के लिये, यदि अच्छी तरह न लगाई गई कृत्रिम दंत

भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 3 अनुच्छेद 168 से 171 ।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 3 अनुच्छेद 168 से 171 । चलिये जाने "राज्य का विधान-मंडल" को साधारण 168. राज्यों के विधान-मंडलों का गठन--(1) प्रत्येक राज्य के लिए  एक  विधान-मंडल होगा जो राज्यपाल  और -- (क) [8]* * * बिहार, [9]* * * [10]-[11]* * * [12][महाराष्ट्र], [13][कर्नाटक] [14]* * * [15][और उत्तर प्रदेश]राज्यों में दो सदनों से ; (ख) अन्य राज्यों में एक  सदन से, मिलकर बनेगा । (2) जहां किसी राज्य के विधान-मंडल के दो सदन हैं वहां एक  का नाम विधान परिषद  और दूसरे का नाम विधान सभा होगा और जहां केवल एक  सदन है वहां उसका नाम विधान सभा होगा । 169. राज्यों में विधान परिषदों  का उत्सादन या सॄजन--(1) अनुच्छेद 168 में किसी बात के होते हुए  भी, संसद् विधि द्वारा किसी विधान परिषद वाले राज्य में विधान परिषद  के उत्सादन के लिए  या ऐसे  राज्य में, जिसमें विधान परिषद  नहीं  है, विधान परिषद  के सॄजन के लिए उपबंध कर सकेगी, यदि उस राज्य की विधान सभा ने इस आशय का संकल्प विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित  और मत देने वाले सदस्यों की संख्या के क

त्याग।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 साम दंड भेद सबसे रहें सचेत। काम क्रोध क्षोभ से रहे विदेश। झूठ कपट धोखे से रहे सचेत। अपमान तृस्कार से रहें विदेश। भूख तृष्णा लालच का करें त्याग। घृणा दूरी नफरत का करे त्याग। अमानवीयता कुकर्म करें त्याग। द्वेष बैर विभसत्ता का करें त्याग। अमर्यादित अनुचित शब्द को दो त्याग। अव्यवहारिक आचरण को दो त्याग। कर्जा उधार सब का पूरा करो फिर त्याग। दम्भ मूड मैं बिना सोचे दो अब त्याग। प्रेम का एक ही मूल वो है बस त्याग। चिंताओं से मुक्ति आधार बस त्याग। रिश्तों की समृद्धि मांगे तो बस त्याग। हृदय मजबूत आत्मा तृप्त देखो त्याग। मन प्रसन्न चित मुक्त भ्रम दूर करे त्याग। एक चुप्प सौ सुख में भी छिपा त्याग। हर अन्याय से दूर करता है ये त्याग। मन पढ़ो खुद से बात करो मिलेगा त्याग। जय हिंद। ✨💫🌟****🙏****✍ शुभ रात्रि। ❣❣❣❣❣🌹❣❣❣❣❣

कलयुग।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 कहानी बड़ी सुनी अनजानी थी कलयुग की जुवानी थी। महिमा देखी कलयुग की हर और इसकी कहानी लिखी। झूठ फरेब धोखे का बोलबाला है कलयुग का  हवाला है। अच्छे बाबू तेरा मुह सचमुच् सच लिए कलयुग  काला है। कलयुग में अचार विचार कब के लोग भूले। कलयुग में आदर एतबार कब का साथ छोड़े। कलयुग में इज़्ज़त विज़्ज़त कब की सब भूले। कलयुग में दया इंसानियत कब की सब रूठी। कलयुग में जलन घृणा ने कब का मन कब्जाया। कलयुग में द्वेष ने मर्यादाओं की सब सीमा लांघी। कलयुग में रिश्ते रोज रात को बनते नीलाम होते। कलयुग में रात कही सोते सुबह को मुह कही धोते। कलयुग में व्यभचारों ने सब सीमा तमाम लो लांघी। कलयुग में झूठ का हुआ बोलबाला सच मरजांदी। कलयुग में नफरत की दुनिया हुई पैसे पे लूटजांदी। कलयुग में मैं मैं मैं करती दुनिया मैं से ही मिटजांदी। ये कलयुग के घोर से पहले का बड़ा घोर सा दृश्य है। कुछ तो संभलो बुरा अंत होना तो मुह बाके खड़ा है। छल से बाहर झूठ से दूर कर्म के पास मात्र विकल्प है। वर्ना दोस्तो कलयुग में पतन तो मानुष का निश्चित है। जय हिंद। 🌟💫✨****🙏****✍ शुभ रात्रि। ❣❣❣❣❣🌹❣❣❣❣❣

ये प्रेम।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 ये प्रेम बहुत खास है इसकी ही आस है। ये प्रेम बहुत खास है ये मांगे एहसास है। ये प्रेम बहुत खास है ये तो मांगे त्याग है। ये प्रेम बहुत खास है देना ही देना बात है। ये प्रेम ही की बात है के तेरा मेरा साथ है। ये प्रेम ही की बात है मरना जीना साथ है। ये प्रेम ही की बात है रूठ मनाना साथ है। ये प्रेम ही की बात है चलना साथ साथ है। ये प्रेम हुआ तो समझा पूर्ण समर्पण हुआ। ये प्रेम हुआ तो समझा पूर्ण से लगाव हुआ। ये प्रेम हुआ तो समझा पूर्ण स्वीकार हुआ। ये प्रेम हुआ तो समझा पूर्ण सज्जित हुआ। ये प्रेम है तो सब पूर्ण रूप में स्वीकार है। ये प्रेम है तो सब बिना शर्त कहे माफ है। ये प्रेम है तो मुझमे तेरा रहा सदा वास है। ये प्रेम है तो कोई प्रश्न नही तू मेरी श्वास है। प्रेम तुझे क्या जानू तेरा होना मेरी आस है। तू है तो सब है तू है तो मुझमे भी प्यास है। पूरा करदे मुझे हर वक़्त तेरा ही एहसास है। प्रेम तुझे क्या कहूं तेरा सदा मुझमे वास है। जय हिंद। ✨💫🌟****🙏****✍ शुभ रात्रि। ❣❣❣❣❣🌹❣❣❣❣❣

मित्र।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 मित्र को दुख है तो मुझे कब सुख है। मित्र अगर परेशान है मैं कब खुश हूं। मित्र को अगर क्रोध है मैं कैसे शांत हूं। मित्र को अगर भार है मैं कैसे हल्का हूं। मित्र जीवन का सुख रस सदा सजीव है। मित्र की राह हर और से सदा ही हसीन है। मित्र के संग बीते पल हरदम एक नज़ीर है। मित्र की हर बात बिना शर्त सब मंजूर है। मित्र के होने से एहसास का भी अंदाज़  है। मित्र के होने से एक साथ का सदा वास है। मित्र मेरी ही परछाई बने साथ संग चला है। मित्र संग से त्योहारों का भी मजा मिला है। मित्र जहाँ भी हों कहीं यादों में हो सदा यहीं। मित्र भूलने का सवाल नही ख्याल जाते नही। मित्र जीवन रस का सबसे हसीन रस है यहीं। तुम बिन समझ लो दुनिया मे कुछ रंग है नही। मित्र की व्याख्या की कोई सीमा कभी होती नही। मित्र मन गहराइयों में उतर सदा बसा मुझमे कही। मित्र ढूँढू कहाँ इधर उधर जबकी तू छुपा है यहॉं। मित्र की मित्रता की सामान्य परिभाषा भी है येही। जय हिंद। 🌟✨💫****🙏****✍ शुभ रात्रि। ❣❣❣❣❣🌹❣❣❣❣❣

ए जिंदगी।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 कामनाओं का समंदर बहुत बड़ा है ए जिंदगी। ये हर दिन कुछ तो बढ़ता ही जाता है ए जिंदगी रात के सपने कब खवाईशये बन जाते ए जिंदगी। आँख खोलते की कुछ समंदर हो जाते ए जिंदगी। बहुत दिल लगा रखें है बेखबर तुझसे ए जिंदगी। कुछ तो पूरे हो ख्वाब मेरे तुझसे ए जिंदगी। रोज दिन बीत रहे है चलते चलते ए जिंदगी। कुछ तो बफा कर अब मुझसे मेरी ए जिंदगी। बहुत कुछ बीत चुकी बस कुछ बची ए जिंदगी। इस ढलान पे बहुत कुछ छूटा रूठा ए जिंदगी। अब मैं कही दूर अंधेरों में न खोऊँ ए जिंदगी। कुछ तो बक्श दे बचे दिनों में कुछ ए जिंदगी। मेरी भी बहुत तमन्नाएं है तुझसे ए जिंदगी। इतना न खींच मुझे खफा हो जाऊं ए जिंदगी। अब आवारा हो जाऊं ऐसा भी नही ए जिंदगी। कुछ तो सुन कुछ तो मुझे समझ ए जिंदगी। बहुत बीती थोड़ी बची रह गयी तू जिंदगी। चल एक दूसरे का सहारा बने मेरी जिंदगी। कुछ एक दूजे में खो खुश हो जाएं जिंदगी। जिनते अधूरे ख्वाब है कुछ पूरे हो जिंदगी। शिकवे गिले बहुत से है तुझसे  प्यारी जिंदगी। अब ख़्वावों को छोड़ हक़ीक़त में हूँ जिंदगी। जो दो चार रह गए सोचा मनभर लूं जिंदगी। आज तुझसे बात कर सुखद रहा ए जिंद