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Showing posts from March, 2018

दंगा।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 दंगा फसाद उपद्रव भंय विद्वेष घृणा सांप्रदायिकता हिंसा बर्बरता आज कल कुछ आम से शब्द नही हो गए है क्या?जो रोज़ समाचार चैनलों पर देखे सुने बहस का हिस्सा बनते जा रहे है।समाज कुछ तो बीमार हो रहा है।ये बड़ा बुरा विकार है।मुझे अपने जीवन में एक बार इसे बेहद करीब से देखने और उसके भंय के एहसास से गुजरने का आंखों से देखने का एहसास है।1984 के दंगे।हम दिल्ली के श्री निवास पुरी कॉलोनी में रहते थे।हमारे प्रधानमंत्री की हत्या हुई।एक वर्ग आंदोलित हो गया।हमारे घर प्रधानमंत्री जी के लिए प्रार्थना मन ही मन की जाती थी।एक प्यार था।उनके जाने से अजीब से दुख का एहसास हो रहा था।उस समय पंजाब आंतकवाद भी चरम को छू के निकला था।समाज के दो वर्गों में खिचाव लंबे समय से पनप रहा था।मगर दबा रहता था।कुछ राजनीतिक इच्छा शक्ति के चलते कुछ राष्ट्रभक्ति के एहसास के चलते।हम छोटे थे।बिस्कुट खाने का शौक था।इतने पैसे भी नही हर बार होते थे कि बिस्कुट के पैकेट खरीदे जाएं।कॉलोनी में एक गुरुद्वारा था।वहीं सरदार जी की बिस्कुट फैक्ट्री थी।रोज शाम को बिस्कुट पैकिंग के दौरान जो टूटे बिस्कुट बचते थे उन्हें सरदार जी

फ़्लर्ट।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 फ़्लर्ट एक अंग्रेजी का सुंदर शब्द है और अक्सर सुनने को अपने आस पास मिल जाता है।साधारणतया ये हंसी ठठे के जरिये छेड़छाड़ करना, अदाओं और सौंदर्य से मोहित करना  या इश्कबाज़ी करना होता है।मर्द औरतों के बीच ये कभी शब्दो कभी अदाओं तो कभी आंखों  के जरिये चलता रहता है। इसमे सरसरी तौर पे चौंचलेबाज़ी के जरिये मन को डोलाने का प्रयास भी  किया जाता है।फ़्लर्ट करना सब के बस की बात भी नही होती।इसके लिए भी बेबाकपन और साहस चाहिए।बोलते है ना इसके लिए भी दम चाहिए।फ़्लर्ट ज्यादतर आकर्षण वश होता है।ये आकर्षण एकतरफा भी हो सकता है और कभी कभी दोतरफा भी।किसी को किसी की सूरत पसंद आ जाती है।किसी को आवाज़ किसी को हंसी किसी को पहरावा और किसी को अपनी छोड़ दूसरे पे प्यार आ जाता है।कोई तो भाषा पे ही मर मिटता है।इस स्तिथि में पास आने का मन हो जाता है।इंसानी फितरत और हसरतें रास्ते ढूंढती है।मौका तलाशती है पास जाने का। कुछ वक्त चाहती है शोखी से गुजारने का। साथ रहना चाहती है कुछ वक्त निहारने को।ये दोनों मर्दों और स्त्रीयों में बराबर होता है या यूं कहें पाया जाता है।जहां इच्छा प्रबल हो उठती है वहां खोज शु

समाज को जरूरत है!

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 अज्ञानता अनभिज्ञता असिहष्णुता अन्धकीश्वास वाचालता सब मिल के किसी भी समाज में एक बहुत नकारत्मक स्तिथि और भाव पैदा करते है।इसे चेहरे से नही पढ़ा  जा सकता।शब्दो के होते इस्तेमाल से बस अंदाजा लगाया जा सकता है।उन्माद के वक़्त इसे साक्षात देखा जा सकता है।ये सब चीजों का जो मिश्रण है वो एक ससुप्त विष को समय के साथ जन्म देता है। शाब्दिक ज्ञान शायद हमे स्कूल की देन हो पर व्यवहारिक ज्ञान हमे घर से लेकर समाज के सब हिस्सों से लेना पड़ता है।फिर अपनी जमीन के इतिहास को सही रूप में जानना अत्यंत आवयश्क है।अज्ञानता किसी भी तरह के विध्वंस का कारण हो सकती है। सबसे पहला बताया मिश्रण जो वक़्त के साथ जहर रूप ले लेता है उसमे शालीनता का ह्रास होता है।उग्रता भीतर ही भीतर शालीनता को निगल लेती है।एक अजीब सी खूंखार अवस्था मन के भीतर घर कर लेती है।दूसरे की आप से असहमति आप के भीतर पल रहे विष को जागृत करती है। इस अज्ञानता वश जन्मे  विष के द्वारा वैमनस्य समाज के पतन का सबसे बड़ा कारण है। ये वैमनस्य इंसानों के बीच विद्वेष फैलाता है।ये विद्वेष विध्वंस विनाश का कारण बनता है।समाज उत्कृष्ट बौर समृद्ध स

मच्छर और इंसान।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 मच्छर आज का ज्वलंत मुद्दा है।पूरे संसार में ये फैले है।इंसानों की आबादी से कई गुना बड़ीआबादी और बस्तियाँ इन्होंने बसाई है।हमेशा खून चूसने की फिराक में ये रहते हैं।दिन में कम रात में अधिक परेशान करते है ये घातक प्राणी।घर के किसी भी कोने में ढूंढो मिल जायेगा।आप सब को हम सबको परेशान करता पाया जायेगा।काट ले तो गम नही।मगर दोपहर को काटे और चिकन गुनिया करवा दे तो हड्डियों की ईंट से ईंट बजा दे।बिस्तर से उठना मुश्किल कर दे।मूत्रालय तक जाने में जान निकाल दे। थोड़ा सा भार शरीर का जोड़ो पे पड़ते ही जोड़े करहा उठे और दर्द मुह पे आ जाये।बख लिया न जाये।दांतों का भी बैंड बज जाए।इधर मच्छर का एक डंक आप के हाथ पांव सारे जोड़ दर्द कराये उधर डॉक्टर जहर सी कड़वी दवाई पिलाये।कुल मिला के एक हफ्ते का फलाहार व्रत रखवाए और फिर ठीक होने के साल भर बाद  तक रह रह के आपके जोड़े दुखाये।अबे ये मच्छर मर क्यों न जाते?सगरे साले हमारा मजाक बनायें जाते।ये लो इब के टी वी पे देखी काली फिनिट घर ले आये।हर कोने में स्प्रे कर मार गिराए।विजय मुद्रा में रात को आराम फरमाये।अरे ये सुबह होते ही नए मच्छर घर कु आये। प

कांचीपुरम।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज आप की कांची लिए चलते है।मद्रास की बात करने का दिल है तो कामाक्षी मंदिर कांचीपुरम का वर्णन होना संभाविक है।कांचीपुरम मद्रास शहर या आज का चेन्नई के समीप एक उपनगर है।बहुत प्राचीन मंदिर और मठ है । मुझे मद्रास बोलना अच्छा लगता है तो कहीं आपको चेन्नई और मद्रास लिखते मिले तो दिमाग मत लगाइयेगा। कांचीपुरम,कांची,भारत के  तमिल नाडु राज्य का एक नगर महापालिका क्षेत्र है। यह खूबसूरत मन्दिरों का शहर है। यहां  कांचीपुरम् जिला का मुख्यालय भी है। इसे पूर्व में कांची या काचीअम्पाठी भी कहते थे। यह पलार नदी के किनारे स्थित है, एवं अपनी रेशमी साडि़यों एवं मन्दिरों के लिये प्रसिद्ध है। यहां कई बडे़ मन्दिर हैं, जैसे वरदराज पेरुमल मन्दिर भगवान विष्णु के लिये, भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित  एकाम्बरनाथ मन्दिर, कामाक्षी अम्मा मन्दिर ,  कुमारकोट्टम,  कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, इत्यादि। यह नगर अपनी रेशमी साडि़यों के लिये भी प्रसिद्ध है। ये साडि़याँ हाथों से बुनी होती हैं, एवं उच्च कोटि की गुणवत्त होती है। उत्तरी तमिलनाडु में स्थित कांचीपुरम भारत के सात सबसे प

रूह।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज बेठे बेठे सोच रहा था रूह क्या है? इसका मतलब तो आम आदमी आत्मा या जीवात्मा के नाम से जानता ही है।इसका मतलब इत्र भी लिखा गया है।ये विषय का सत या सार भी कहा जाता है।इसी शब्द से रूहानी और रूहानियत निकल कर आयी है।जिसे हम आध्यत्म भी कहते हैं।रूह शब्द उर्दू की मिठास लिए हुए है।अगर हिंदी भाषा को बेहद मीठा करना है तो इसमें जरा उर्दू की मिठास मिला दिजीये फिर देखिये कमाल।इसलिए शायरी उर्दू की कायल है।खैर आगे बढ़ते है।रूह बडा ही कुदरती एहसास है।रूह आत्मा के बारे में भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बहुत खूबसूरत वर्णन किया है।ये कुछ ऐसे है।भगवान कृष्ण ने भगवद‍ गीता में कई स्थानों पर आत्मा के स्वरुपका वर्णन करते है। संकलन आपके समक्ष है। श्री कृष्ण कहते है की – आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मती है और न ही मरती है।यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारती है और न किसी के द्वारा मारी जाता है।शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारी जाती। यह आत्मा अजन्मा,नित्य,सनातन और पुरातन है।आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकता,आग नहीं जला सकती,जल न भिगो सकता है और न  गला सकता है। और वायु सुखा नही सकती ।आ