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Showing posts from July, 2018

प्राचीन समय के शिक्षा स्तंभ।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 तीन विश्वविद्यालय के बारे में आप जान चुके है।सम्पूर्ण भारत एक समय शिक्षा का किसी न किसी सदी में कही न कहीं विश्व प्रसिद्ध रहा है।वक़्त के साथ कुछ मिट गये कुछ ने अपना अस्तित्व बचा लिया।थोड़ा और पढ़ते पढ़ते एक अच्छा संकलन हाथ लगा। लीजीये आपके समक्ष..... वैदिक काल से ही भारत में शिक्षा को बहुत महत्व दिया गया है। इसलिए उस काल से ही गुरुकुल और आश्रमों के रूप में शिक्षा केंद्र खोले जाने लगे थे। वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया। भारत की शिक्षा पद्धति भी और ज्यादा पल्लवित होती गई। गुरुकुल और आश्रमों से शुरू हुआ शिक्षा का सफर उन्नति करते हुए विश्वविद्यालयों में तब्दील होता गया। पूरे भारत में प्राचीन काल में 13 बड़े विश्वविद्यालयों या शिक्षण केंद्रों की स्थापना हुई। 8 वी शताब्दी से 12 वी शताब्दी के बीच भारत पूरे विश्व में शिक्षा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध केंद्र था।गणित, ज्योतिष, भूगोल, चिकित्सा विज्ञान के साथ ही अन्य विषयों की शिक्षा देने में भारतीय विश्वविद्यालयों का कोई सानी नहीं था। हालांकि आजकल अधिकतर लोग सिर्फ दो ही प्राचीन विश्वविद्यालयों के बारे में जा

विक्रमशिला।एक ज्ञान गंगा।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 भागलपुर से आनंदविहार के लिये एक ट्रेन चलती है विक्रमशिला एक्सप्रेस। क्या आप जानते है बिहार शिक्षा का प्रमुख केंद्र यू ही नही बना।यहां एक और विश्व स्तरीय महाविद्यालय था।नाम था विक्रमशिला।लीजीये इसकी जानकारी.... विक्रमशिला, ज़िला भागलपुर, बिहार में स्थित है। विक्रमशिला में प्राचीन काल में एक प्रख्यात विश्वविद्यालय स्थित था, जो प्रायः चार सौ वर्षों तक नालन्दा  विश्वविद्यालय का समकालीन था।कुछ विद्वानों का मत है कि इस विश्वविद्यालय की स्थिती भागलपुर नगर से 19 मील दूर कोलगाँव रेल स्टेशन के समीप थी। कोलगाँव से तीन मील पूर्व गंगा नदी के तट पर 'बटेश्वरनाथ का टीला' नामक स्थान है, जहाँ पर अनेक प्राचीन खण्डहर पड़े हुए हैं। इनसे अनेक मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं, जो इस स्थान की प्राचीनता सिद्ध करती हैं। अन्य विद्वानों के विचार में विक्रमशिला, ज़िला भागलपुर में पथरघाट नामक स्थान के निकट बसा हुआ था। बंगाल के पाल नरेश धर्मपाल ने 8वीं शती ई. में इस प्रसिद्ध बौद्ध महाविद्यालय की नींव डाली थी। यहाँ पर लगभग 160 विहार थे, जिनमें अनेक विशाल प्रकोष्ठ बने हुए थे। विद्यालय

नालंदा। एक इतिहास एक गाथा।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 तक्षशिला के बाद नाम आया नालंदा का।बिहार राज्य की पहचान इस शिक्षा के उच्च मंदिर आए भी जानी जाती है।ये हमारे गौरान्वित इतिहास की पहचान है।बिहार अपने आप मे प्रकृति की कृपा से सरोवार है। बिहार में बौद्ध धर्म का बड़ा प्रभाव रहा है एक समय।और जैन का भी।अब नालंदा की बात जरा हो जाये.. यह प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से 88 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से 11 किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ बयां करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत भ्रमण के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ 10000 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2,000 शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग

तक्षशिला एक शिक्षा का मंदिर ।इतिहास।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज बहुत मन हुआ कुछ इतिहास पे पढ़ने का।सोचा कहाँ से शुरू करूँ।तो ख्याल आया क्यों न शिक्षा के मंदिर से ही शुरू किया जाये।छूटते ही जो नाम याद आया वो था तक्षशिला। लीजिये जानिये तक्षशिला को। तक्षशिला (पालि : तक्कसिला) प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ का विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में शामिल है। यह हिन्दू एवं बौद्ध दोनों के लिये महत्व का केन्द्र था। चाणक्य यहाँ पर आचार्य थे। ४०५ ई में फाह्यान यहाँ आया था। ऐतिहासिक रूप से यह तीन महान मार्गों के संगम पर स्थित था- (१) उत्तरापथ - वर्तमान ग्रैण्ड ट्रंक रोड, जो गंधार को मगध से जोड़ता था, (२) उत्तरपश्चिमी मार्ग - जो कापिश और पुष्कलावती आदि से होकर जाता था, (३) सिन्धु नदी मार्ग - श्रीनगर, मानसेरा, हरिपुर घाटी से होते हुए उत्तर में रेशम मार्ग और दक्षिण में हिन्द महासागर तक जाता था। वर्तमान समय में तक्षशिला, पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी जिले की एक तहसील तथा महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जो इस्लामाबाद और रावलपिंडी से लगभग ३२ किमी उत्तर-पूर्व में