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Showing posts from October, 2018

इन रिश्तों से।

🌹🙏🏼❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣🌹✍🏼 भागना है तो भागो दौड़ना है तो दौड़ो झूझना है तो झूझो लड़ना है तो लड़ो फसना है तो फ़सों फसाना है तो फ़साओ उलझना है तो उलझो पिटना है तो पिटो पीटना है तो पीटो ढूंढना है तो ढूंढो छुपना है तो छूपो खंगालना है तो खंगालो सहेजना है तो सहेजो जोड़ना है तो जोड़ो तोड़ना है तो तोड़ो मरोड़ना है तो मरोड़ो धमकाना है तो धमकाओ बरसना है तो बरसो झुकना है तो झुको त्यागना है तो त्यागो अपनाना है तो अपनाओ घुमाना है तो घुमाओ पलटना है तो पलटो बहकना है तो बेहको कुरेदना है तो कुरेदो बदलना है तो बदलो समझना है तो समझो भुगतना है तो भुगतो रोना है तो रोओ हँसना है तो हंसो ये रिश्ते है दोस्तों सब करो बस इनकी मौत कभी न तको। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

तमाशा।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 तमाशा देखो दुनिया का ये दुनिया पूरी फरेबी बनी हुई है। तमाशा देखो कुछ दोस्तों का ये बेहद मतलबी से हो गये है।। तमाशा देखो कुछ अपनो का ये ईर्षा से पटे हुए है। तमाशा देखो उस संतरी का जिसके रहते सब तरफ चोर लगे हुए है।। तमाशा देखो आफिस में सहकर्मियों का बस टांग खींचने में ही लगे हुए है। तमाशा देखो दुकानदार का आज ही सब लूटने का ख्याल लिए है।। तमाशा देखो राजनेता का झूठ पे झूठ बोलने पे जोर शोर से लगे हुए है। तमाशा देखो सरकारी बाबू का जेब लूट खसोट से भरने लगे हुए है।। तमाशा देखो मंत्री का लाल बघी के लिए ही जैसे बस पैदा हुए है। तमाशा देखो आज की फ़िल्मी अप्सराओं का उतारने के होड़ लगी हुई है।। तमाशा देखो मी टू का आज कल तो सबकी वाट जोर शोर से लगी हुई है। तमाशा देखो समाचार चैनलों का झूठ बकने की शर्त लगी हुई है।। तमाशा देखो राजनीतिक भिखारियों का चंदा मांगने की होड़ लगी हुई है। तमाशा देखो लखनऊ के नवाब का पीक फेकने की लगी हुई है।। तमाशा देखो योगियों का भोग की सबसे ज्यादा लगी हुई है। तमाशा देखो पत्रकारों का सब पे कालिख मल अपने चमकाने की लगी हुई है।। तमाशा देखो पंडित

ये लम्हे।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 ये लम्हें है प्यार के प्यार में जिये जा। ये लम्हे है इंतज़ार के इंतज़ार किये जा।। ये लम्हे है निहारने के दिल से निहारे जा। ये लम्हे है दोस्ती के दोस्ती किये जा।। ये लम्हे है सपनो के खूबसूरती से लिये जा। ये लम्हे है गुनगुनाने के मनगीत गाये जा।। ये लम्हे है चहकने के कोयल सा चहके जा। ये लम्हे है महकने के फूलों सा महके जा।। ये लम्हे है मदहोशी के मदहोश हुए जा। ये लम्हे है मस्ती के खूब मस्ती किये जा।। ये लम्हे है बहकने के कुछ पी कर बहके जा। ये लम्हे है डूबने के उनके शबाब में डूबे जा।। ये लम्हे है दिल खोलने के खोले जा। ये लम्हे है मन लूटने के जहां मिले लूटे जा।। ये लम्हे है फना होने के फना हुए जा। ये लम्हे है राज खोलने के दिल से खोले जा।। ये लम्हे है नकाब हटाने के झूठ को हटाये जा। ये लम्हे है गिनते जाने के मोहबतें गिने जा।। ये लम्हे है किसी को बुलाने के बुलाये जा। ये लम्हे है शीतल से तन को शीतल किये जा।। ये लम्हे है बरस जाने के खूब बारिश किये जा। ये लम्हे है गुज़रिशों के खूब किये जा।। ये लम्हे है मुबारकों के खूब दिये और दिये जा। ये लम्हे है दुआओं क

एक नया युद्ध।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 रोज में अपने आप से युद्ध मे करता हूँ। कभी मैं जीतता हूँ और कभी हार जाता हूँ।। इसमे कभी साधारण कभी घोर युद्ध होता है। रोज अपने आप से  एक नया युद्ध मैं करता हू ।। कभी अपने सामने होते है कभी पराये। कभी इनको मैं नही सुहाता कभी ये मुझे।। कभी मैं इनसे उलझता कभी ये मुझसे। रोज अपने आप से एक नया युद्ध मे करता हूँ।। अगला युद्ध होता है मेरी तक़दीर से। ये मुझे पटकती है बड़ी जोर जोर से।। मैं चेष्टा कर फिर उठ खड़ा  होता हूँ। रोज अपने आप से एक नया युद्ध मैं करता हूँ।। फिर युद्ध होता है मेरे चंचल मन से। कभी ये इस डाल तो अभी ये उस डाल।। मैं भी इसे रोकने का यत्न बहुत करता हूँ। रोज  अपने आप से एक नया युद्ध मैं करता हूँ।। फिर युद्ध हो रहा है मेरी आदतों से। इनसे तो मैं हर पल उलझ रहा हूँ।। ये कभी मुझपर कभी मैं इनपर हावी होता हूँ। रोज अपने आप से नया युद्ध मैं करता हूँ। आज फिर नया कुछ हुआ है और मैं युद्धरत हूँ। अभी अभी पटखनी मिली और मैं खुश हूं।। संवेदनाओं ने मुझे घेर के मारा है जोर से। रोज अपने आप से एक नया युद्ध मैं करता हूँ।। यहां तो हार कर भी मैं जीत ही गया हू

नारी शक्ति आदि शक्ति।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼 नारी को भिन्न भिन्न संबोधन बहुत कुछ  बयान करते है जो उसकी शक्तियां भी है।ये आदि से आरम्भ होती है।ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति से पूर्व घोर अंधकार से उत्पन्न होने वाली महा शक्ति या कहे तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का निर्माण करने वाली शक्ति, 'आद्या या आदि शक्ति' के नाम से जानी जाती हैं। अंधकार से जन्मा होने के कारण वह 'काली' नाम से विख्यात हैं। विभिन्न कार्य के अनुरूप इन्हीं देवी ने नाना गुणात्मक रूप धारण किये हैं, सर्वप्रथम शक्ति होने के परिणामस्वरूप इन्हें आद्या शक्ति के नाम से जाना जाता हैं।ये ही सृष्टि की सबसे बड़ी देंन थी।नाम ही शक्ति।भगवान ने भी असुरों के संहार के लिए शक्ति का सहारा लिया।येही हमारे हिन्दू धर्म मे आदि शक्ति का सबसे उच्च स्थान है।महिला शक्ति इससे परिपूर्ण है।ये हमे सामने हरदम न दिखती है ना आभास में आती है।ईश्वर की रचना नारी बेहद मजबूत समर्पण से भरपूर सहनशीलता से परिपूर्ण  भावनाओं से भरपूर है।इंसान के जीवन मे इस शक्ति का सबसे बृहद उत्तम रूप है।जब ये शक्ति जागृत हो जाती है तो ये अपने मे ही पूर्ण सत्ता है और इसे कोई ललकार भी नही सकता सिर्फ नमन

बल।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 अरे बल कहाँ छिपा है इसे मैं ढूंढ़ रहा हूँ। अरे बल भुजाओं में है वजन उठा रहा हूँ।। अरे बल टांगो में है लंबा दौड़ रहा हूं। अरे बल कपाल में है कुछ खेल रहा हूँ।। अरे बल पैरों में है लंबी बॉल फेंक रहा हूँ। अरे बल कमर में हैं हर और लचका रहा हूँ।। अरे बल सीने में है वार से दिल बचा रहा हूँ। अरे बल रीड में है सो झुक नही रहा हूँ।। अरे बल  मांसपेशियों में है समझा रहा हूँ। अरे बल धड़कते दिल मे है बता रहा हूँ।। अरे जाने कितने बलों के साथ जी रहा हूं। अरे ये एक और बल आया मित्र लाया। अरे देखो बल मेरी अभिभावकों से आया।। अरे बल तो मुझे मेरे ज्ञान से भी मिला है। अरे बल तन से मन सब जगह मिला है।। अरे सब बलों की संस्था बसी कहाँ है। अरे असल ये बल तो बुद्धि से मिले है।। अरे हम ऐसे ही बलों के पीछे क्यों भागे है। अरे बुद्धि  विकसित की तो सब बल उल्टा इसके पीछे भागे है।। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

कर्ज ऋण।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 मैं बहुत से कर्जो में डूबा हूँ। जिधर देखता हूँ कहीं न कहीं किसी का ऋणी हूँ। इस खूबसूरत संसार मे आने के लिए मातृऋण से ऋणी हूँ।इस संसार के सुखों का बोध कराने के लिये पितृऋण से ऋणी हूँ।समस्त शिक्षा ज्ञान के लिए गुरु का ऋणी हूँ।युवा अवस्था मे जीवन रंग भरने के लिये अर्धांगिनी स्वामिनी धर्मपत्नी प्रेमिका से विवाह देहसुख से ऋणी हूँ।जीवन अंकुर डालने के लिये संतान से ऋणी हूँ।सामाजिक व्यवस्था में स्थान देने के लिये समाज का ऋणी हूँ।ईश्वरीय मार्ग पे भक्ति देने के लिए ईश्वर और उसकी ईश्वरीय सत्ता का ऋणी हूँ।संतान सुख के लिये कर्मो का ऋणी हूँ।भूख खत्म करने के लिये अनाज का ऋणी हूँ।शुद्ध हवा वायु के लिए प्रकृति का ऋणी हूँ।शुद्ध साफ जल सेवन से नदियो  का ऋणी हूँ। ये ऋण न जाने अनजाने कितनो का मुझ पे है और कितने है।में हर वक़्त हर लम्हा किसी न किसी ऋण से ऋणी हूँ।मेरी इतनी औकात कहाँ जो इसे लौटा सकूं।बस इतनी मुझमें हे ईश्वर शक्ति भक्ति पवित्रत दे के बस मैं केवल इन्हें सहेज के बस ब्याज ही लौटाने में सक्षम हो सकूं। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

पवित्र अपवित्र।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 पवित्र अपवित्र के भेद को कैसे कोई जाने। कोई तन का पवित्र कोई मन का पवित्र।। कोई तन से अपवित्र कोई मन से अपवित्र। कोई विचार से पवित्र कोई सोच से अपवित्र।। कोई कपड़ो से पवित्र कोई ओढ़नी से अपवित्र। कोई बातों का पवित्र कोई खुराफातों से अपवित्र।। कोई ज्ञान से पवित्र कोई अज्ञान से अपवित्र। कोई मार्ग से पवित्र कोई कुमार्ग से अपवित्र।। कोई प्रेम से पवित्र कोई घृणा से अपवित्र। कोई मंज़िल से पवित्र कोई भटकाव से अपवित्र।। कोई करुणा से पवित्र कोई क्रोध से अपवित्र। कोई काम से पवित्र कोई आलस से अपवित्र। कोई सादगी से पवित्र कोई ढोंग से अपवित्र।। कोई सच्चाई से पवित्र कोई झूठ से अपवित्र। कोई लाज से पवित्र कोई बेशर्मी से अपवित्र।। कोई भाषा से पवित्र कोई कुभाषा से अपवित्र। कोई ब्रह्मचार्य से पवित्र कोई कामुकता से अपवित्र। कोई दान से पवित्र कोई भीख से अपवित्र।। कोई व्रत संयम से पवित्र कोई असयंता से अपवित्र। कोई शांति से पवित्र कोई उग्रता से अपवित्र।। कोई सुविचार से पवित्र कोई कुविचार से अपवित्र। कोई रिश्तों में पवित्र कोई रिश्तों से अपवित्र।। कोई आचरण से पवित्र

जन्मदिन।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼 इंसान के जीवन मे पहली बार आंख खुलने के साथ प्यारा रुदन होता है।सारे अंग अँगड़ाइयाँ मारने लगते है।चारों तरफ खुशी का माहौल बन जाता है।सब के सब जश्न में डूब जाते है।सामाजिक बुराइयों को अलग रखते हुए कह रहा हूँ।घर मे नए जीवन का उत्सव मनता है।हम पंजाबी है तो रौनक खूब लगती है।जोर शोर से जश्न होता है।मिठाइयों की बहार आ जाती है।सब कोई नवजात की भीनी भीनी महक लेना चाहते है। अच्छे मंजर की बात कर रहा हूँ। जब तक नावजात से अबोध की दुनिया रहती है सब से प्यारा समय होता है।कोई बुराई दिल मे घर नही करती।हर कोई अपना सा प्यार लिए नज़र आता है।फिर बोध की स्थिति आती है।आप के खास दिन का जश्न हर साल मनाया जाता है।पहले पहले माता पिता अपनी सहूलियत हिसाब से आप के साथ ये खुशियों के पल याद कर जश्न मनाते है।शायद कुछ तुम्हारे हमारे पहले दिन के ख्याल भी आते है। और फिर एक यात्रा शुरू होती है जहां बालक की इच्छाएँ हावी होती है।अपनी समृद्धि की स्तिथि अनुसार जिद को पूरी करने का पालन किया जाता है।वक़्त के साथ रस्मे रिवाज और मुबारक बदलती जाती है।पहले पहल पूजा स्थल के दर्शन कर ईश्वर का आशीर्वाद ले दान पुण्य

बोझ।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 जीवन मे हर वक़्त कोई न कोई बोझ लिए हम चलते रहते है।ये बोझ कोई अपने आप से कभी नही आते।जाने अनजाने हम इन्हें पैदा करते चलते है।एक सहूलियत का रास्ता हमेशा ढूंढते है।जो हो गया उससे खुश हो लेते है और जो छूट गया उसे भूल जाते है।कुछ मन के चलते छोड़ देते है।कुछ परिस्थितियों के वशीभूत कर देते है। कुछ हम जीवन को वैसे हो सरल मान लेते है।सबसे बडी समस्या दूरदर्शिता की होती है।नज़रिया सबसे पहले हर तरह से संकीर्ण अपना लेते है और जिसके लिये जिम्मेदार है उसपे तवज़्ज़ो कम देते है। हर व्यक्ति आप से उम्मीद लगाए है।ये उम्मीद ज्यदातर हम ही लगवाते है।ये सब बहुत कुछ हम जानते हुए करते है और कम ही बार हम अनजाने में करते है।फिर समय के साथ भूल जाते है।फिर एक समय अचानक आप के ही वायदे छूटे या शेष कार्य या अपने आने वाले समय का गलत अंदाज़ा आप के सामने बहुत से छूटे भूले कार्य एक दम लाकर खड़े कर देता है।जो रोज मिनट घण्टे छोड़े थे अचानक बहुत से घण्टे बन जाते है।आप को अचानक अपने पास समय कम लगने लगता है।हड़बड़ाहट बढ़ जाती है।गलतियों के संभावनाएं भी ज्यादा हो जाती है।और मानिये गलतियां फिर लगातार होती है।दिमाग

दोस्त ने याद किया।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼 कभी कभी दोस्त प्यार बरसाते है वो भी दिल खोल के।उनके मुंह से फूल बरसते है।झड़ झड़ गिरते है।हवाओ में दोस्ती की महक छा जाती है।मौसम खुशगवार हो जाता है।ऐसा महसूस होता है जैसे ये हमारे गुजरे कॉलेज के दिन सामने है।क्या बेतकुल्फ़ी होती है।ठंडी ठंडी आग बरसती है।जैसे फ्राइड आइसक्रीम।बाहर से अत्यंत गर्म और भीतर से बेहद ठंडी।मुह से बरसती फुलझड़ियों की चिंगारियां न  जलाती न तंग करती।एक एक शब्द मुह से निकलता कोई बर्फी सा कोई रसमलाई सा कोई पेठा सा कोई लड्डू सा कोई मिल्क केक सा तो कोई मालपुए सा।जितने शब्द आप के लिए झड़ते उतनी ही मिठाई सी मिठास आप के कानों में घुलती। दोस्तों की आवाज जैसे रसगुल्ले की ठंडी मिठास।दोस्तों के शब्द जैसे सोन्देश।दोस्तों के ख्याल जैसे कराची हलवा दांतों से कटे न टॉफी सा मुह में घुलते जायें।जो शब्द मीठे शब्द मुह से निकल जाए वो फरारी की रफ्तार से  कान के ऊपर से निकल जाये।क्या शब्द क्या शब्दो से बातें और क्या उनका मतलब आज तक खोज जारी है।कुछ तो शब्द ही नए ईजाद हो गए  दोस्त कब ढक्कन हो गया पता ही न चला।ओये कबूतर भी बना दिया और उड़ा भी दिया। एक बिचारा हड्डी बन गया ब

नैतिकता।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣🌹✍🏼 नैतिकता बहुदा हमे किसी न किसी संधर्ब में सुनने को मिल जाती है।अनैतिकता ज्यादा सुनने को मिलती है।पर जब भी समाज की कुछ बड़ा काम या कांड होता है ये शब्द बहुत गूंजता है।इसकी दुहाई दी जाती है।शब्द में बहुत विस्तार और सामाजिक ताने बाने में बदलती मर्यादाओं का इतिहास छुपा है।मुझे भी बहुत से एहसास होते रहते है अपने आप से अपने आस पास के हालात से जहां नैतिकता की खोज मैं अपने जीवन मूल्यों में स्वयं करता हूँ।इसी पे आज कुछ पड़ रहा था और इसे और बेहतर से समझना चाह रहा था।इसके मूलभूत आधार की खोज कर रहा था। जो समझा आप के समक्ष है...नैतिकता नीति से जुड़ी है। नीति संबंधी (जैसे—नैतिक विचार) नीति के अनुरूप होनेवाला (जैसे—नैतिक उत्तरदायित्व) नीति युक्त आचरण (जैसे—नैतिक पतन) नैतिकता मूलरूप से नीति से उत्पन्न हुई है ।नीति से नीतिक और इसी का अपभ्रनश नैतिक है । नीति से उत्पन्न भाव नैतिकता कहलाते हैं । नीति एक तरह की विचारधारा है जिसके अंतर्गत हमारे समाजिक ढांचे को मजबूत किया गया है । मनुष्य का विकास क्रमिक है । पहिले वह जंगलों में रहता था । सामाजिक विकास न के बराबर था । एक छोटा सा कुनबा