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Showing posts from April, 2018

देह गंध।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🌹✍🏼 देह गंध आज का विषय है। इसपे पढ़ते पढ़ते कुछ रोचक जानकारी मिली।सोचा आप से सांझा करूँ।विषय पढ़ने के बाद शायद आपके दिमाग में कई चीज़ें घूम रही होंगी, लेकिन कुछ भी बताने से पहले में यह साफ कर देना चाहता हूँ कि यहां हम पसीने के कारण शरीर से आ रही गंध की केवल बात नहीं कर रहे। ना ही किसी परफ्यूम को लगाने के बाद आने वाले खुशबूदार सुगंध की बात कर रहे हैं।बात हों रही है प्राकृतिक गंध की।यह प्राकृतिक गंध है जो हर किसी के शरीर से आती है। नवजात बच्चे से लेकर, महिला, पुरुष या वृद्ध हो चुके इंसान के शरीर की गंध भी। और इसी गंध की मदद से एक इंसान, दूसरे इंसान के आसपास होने को भांप लेता है। यह हम कहें कि यह वैज्ञानिक शोध का परिणाम हैं, जिसके मुताबिक एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की गंध की ओर आकर्षित हो जाता है। और हर व्यक्ति की गंध भी अलग अलग होती है।सब को सब की गंध भी नही भाती।परंतु पसंदीदा गंध हमेशा आकर्षित कर लेती है।इसलिए भी इत्र का बाजार आज सबसे महंगा है।ये आकर्षण का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला उपाय है।पर प्राकृतिक गंध हर किसी के शरीर में सदा बनी रहती है इत्र की नही।में अपने पि

हमारा पार्क एक सांझी जिम्मेवारी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज विषय थोड़ा अलग है।हमारे घर के पास एक पार्क है।जिसका रख रखाब कुछ महल्ले के महानुभाव करते है।जिन्होंने मिल के जिम्मेवारी एक महानुभाव को दे रखी है।पार्क सरकारी ही होते है।जनाब अब से कुछ समय पहले पार्क में सेवा देते थे।माली भी लगा रखा था।एक कहानीं हर रोज की थी वो ये की रोज किसी न किसी बात को लेकर बच्चों औरतों और बजुर्ग महिलाओं से किसी न किसी बात पे पार्क को लेकर तू तू मैं मैं।कारण पहला बच्चे पार्क में फुटबॉल खेलते क्यों है?छोटे बच्चे खेलेंगे बड़े नही। और जान लीजिये आस पास खेलने के लिये कोइ पार्क भी नही है।फिर कोई गरीब पार्क के नल से पानी क्यों भरे? कोई औरत सुबह पार्क से फूल क्यों तोड़े? और भी बहुत सी छोटी छोटी बातों पे झगड़े के हालात।कुछ दिन पहले ऐसे ही एक झगड़े ने बड़ा रूप ले लिया।एक पार्क में वर्चस्व के कारण एक महानुभाव बच्चों से भिड़ गये।बच्चे की माँ ने जरा लोहा ले लिया।जैसे ही मां ने लोहा लिया और बच्चे ने दूसरे बच्चों को खेलने के लिए कहा तो महानुभाव ने थपड़ बच्चे के जड़ दिया।आजकल की पीढ़ी थोड़ी अलग है।और कानून आप किसी के क्या अपने बच्चे पे भी  हाथ उठाने के अब हकदार न

बस ड्राइवर।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 ड्राइवर की नौकरी भी बहुत सख्त होती है।ड्राइवर सड़क का मल्लाह होता है।एक नींद की लहर आयी तो समझो कश्ती पलटी।आज सुबह एक शहर से अपने गन्तव्य के लिये बस पकड़ी। बस चल पड़ी।धुआंदार ड्राइवर।शहर में भी 90 की स्पीड।सवारी भरनी थी तो साथ क़ी बसों को पीछे छोड़  अपनी बस भर ली।वाह मुझे भी अच्छा लगा।और लगा समय पे गंतव्य पे पहुंचा देगा।शहर छोड़ते ही खुली सड़क पर बस हवा से बातें करने लगीं।क्या तो दूसरी बसें और क्या तो सडक पे दौड़ती दूसरी कारें भाई की बस सबसे आगे।मजा आ रहा था।कभी बस दायें से आगे कभी बायें से आगे ।कभी हम सीट पे दायें खिसकते कभी बायें।बस लहराती हवा से बातें कर रही थी।समय से पहुंचने का इत्मीनान था सहसा आंख लग गयी।कुछ देर बाद तेज़ ब्रेक लगी।एक झटके से आगे गये।एक ऑटो वाला बस के आगे अचानक आ गया था ऐसा लगा।हुआ कुछ नही।और बस दौड़ पड़ी ।इतने में मेरी नज़र ड्राइवर के सामने लगें शीशे पे पड़ी।इस शीशे से ड्राइवर पीछे बस में सवारियों पे नज़र रखता है।शीशे पे नज़र पड़ते ही मुझे अपनी दो बेहद खतरनाक सी यात्रा किं यादें ताज़ा हो आयी।ड्राइवर ऊंघते हुए बस चला रहा था।बस में लगभग 45 सवारियां तो थी ह

कोमल।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 ये कुछ शब्द आप ने सुने होंगे कहानियो कविताओं में।पढ़ कर सुखद एहसास भी होता है।सुकुमार नरम मुलायम चिकना मृदु मृदुल मधुर।ये एक ही एहसास को अलग अलग रूप में इंगित करते है।वो है कोमल या कोमलता को।कोमलता को उदाहरणो से भी समझा जा सकता है।जैसे कि नारी-हृदय कोमल है लेकिन केवल अनुकूल दशा में।नवजात शिशु की त्वचा अत्यन्त कोमल होती है।लता मंगेषकर की आवाज बहुत मीठी तथा कोमल है।कठिन भूमि कोमल पद गामी। कवन हेतु बिचरहु बन स्वामी।इत्यादि इत्यादि।कोमलता को और भी शुद्ध रूप से समझा जा सकता है जैसे के मुलायम नाज़ुक  सुकुमार  जिसको देखने, स्पर्श करने सुनने आदि से सुखद और मधुर अनुभूति हो  और जो सरलता से काटा, मोड़ा और तोड़ा जा सकता हो या वह (स्वर) जो साधारण से नीचा हो  उसे भी कोमलता की श्रेणी मिलती है । इसी तरह उदारता दया और प्रेम आदि सरल भावों से परिपूर्ण (हृदय) को भी कोमलता के भाव से जोड़ा जाता है। कुल मिला के मृदु भाषी मनुष्य भाषा की कोमलता समझता है। जो नर नारी मन से शुद्ध हो जिसका विवेक जागृत हो वो हृदय की कोमलता समझता है।जिसे बच्चों से अत्यधिक प्रेम।हो वो वात्सल्य में कोमलता के भाव

वेदना।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक खास मित्र के मन में वेदना का आभास हुआ।मन दुखी था किसी बेहद प्रिय के खोने का।मर्म बहुत था।शायद शब्दो में अश्रु धारा बह रही थी।मन भागने को कर रहा था।जमीन छोड़ने को दिल भी नही कर रहा था।मन अपने से भाग रहा था।अजीब से एहसास में सब कुछ डूबा था।मन में बहुत से ख्याल आ रहे  थे बस सब शायद निकलना चाह रहे थे।पर वेदना अपना स्थान बनाये रखे थी।मन  विचलित और तन असहाय ।तो शब्द एक ही था  सांसारिक चक्र के चलते वेदना से भरा मन।मित्रो वेदना का अर्थ है 'दुख' पर विशेष रूप से वेदना शब्द को प्रयोग उस समय किया जाता हे जब कोई सगा संबंधी दोस्त प्रेमी अपने प्रिय की चाहत में तरसता है और उस समय दुख का वर्णन के लिये वेदना शब्द का प्रयोग करते है।दर्द पीड़ा वेदना व्यथा पीर पीरा पिराना ये सब शब्द भिन्न भिन्न अवस्थाओं में वेदना के मर्म को समझाने के लिये इस्तेमाल होते है।वेदना क्षणिक भी हो सकती है और बेहद लंबी भी खिच सकती है।वेदना का सबसे बड़ा कारण सांसारिक हर तरह की माया का मोह है।जो सदा बना ही रहता है।भावनायें हमारे इंसान में सबसे प्रबल है।और जीवन पर्यंत हमे घेरे रहती है।इसमें छोटी