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Showing posts from September, 2018

कुछ यदों के झरोखे से"चेतक'।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 वो भी क्या दिन थे नीचे चेतक ऊपर खुला आसमान। किक लगते ही वो बातें होती थी कुछ तेज़ हवा से।। सबसे आगे निकलते ही क्या जोश ए जवानी भरता था। कभी हम अपने को कभी चेतक को तो कभी आसमान को देखते।। क्या बरसात क्या आंधी क्या तूफान और क्या वो चेतक। आधी किक लगाते ही पटर पटर और हम ऊपर वो सड़क पर।। हवा से बाते होती दोस्तो संग लांग ड्राइव होती। भीगे भीगे सौ किलोमीटर भी नाप देते और कहते वाह रे चेतक तेरी सवारी।। खुद ही हम सर्विस मैकेनिक खुद ही हम क्लीनर । चेतक भी खूब खुश रहता हमारी सेवा देखकर।। खूब नहाता सारी मिट्टी हमसे रगड़ रगड़ उतरवाता। लगता वो मालिक और हम सेवक इसलिए हाफ किक मे काम हो जाता।। न कभी धोखा दिया न रोया न चिल्लाया साथ पूरा दिया। कभी अरावली के पठारों में कच्ची पगडंडिया नापी।। कभी शिवालिक की ऊंचाइयां नाप दी दम से उसने। आज भी बसा है मन मे वोही तोतिया रंग लिए और दिल कहता है" हमारा बजाज"।। जय हिंद। ****🙏🏼 ****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

ख्वाब।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 लफ्ज़ क्या मुह से हमारे निकले के ख्वाबों की तहरीर बन गये। हम ख्वाबों में निकले और किसी की तदवीर बन गए।। मुनासिब तो ये होता के हम सचमुच की जिंदगी जीते। मगर दिल फरेब कमबख्त ख्वाबों ने बीच दरिया में डूबा दिया।। बंद आंखों से न जाने कब हमने जिंदगी हसीन कर ली। जब आंख खुली तो वही मैली दुनिया फिर इंतज़ार में मिली। खैर तो ये थी के हम दिन में भी सपनो में उलझे रहे थे। वरना इस दुनिया ने तो मिटाने की कोशिश खूब कर ली।। फिर हमने ख्याल आज़ाद किये और हसीना से टकरा गये। उफ्फ ये क्या हुआ हमे अबे बेशर्म ख्याल से ही ख्वाबों में शरमा गये।। बचपन तो वैसे ही बेशर्म था हमारा जब भी याद आता दो लगा के चला जाता। जवानी में सोचा रहम करेगा मगर ससुरा पहले से ज्यादा बेशर्म नज़र आता।। वो कितनी स्कूल की तितलियां जो कभी हाथ ही न आई। जब भी आई तो यार कमबख्त ख्वाबों में बहला के चली गयी। बड़ी उम्र गुजरी अब ये हसीन लाजवाब ख्वाब लेते लेते ओ अंकल। कुछ तो सुधर जाओ और अपने इन हसीन मुख्तलिफ से खवाबो से बाहर आओ।। अब आप भी सो जाओ। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

स्वर्णिम इतिहास।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 ये भारत के इतिहास की शौर्य गाथा है। ये भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी है।। जो आप को सुननी और मुझे सुनानी है। ये भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी है।। इतिहास में जंग सदियों  सदियों पुरानी है। समय से कितने आक्रांता आये चले गए।। हमने न अपनी पहचान न खोने की ठानी है। ये भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी है।। ऋषियो मुनियों के तप से तपी तपोस्थली  है। ज्ञान के दीपक से रोशन तपी बसी वसुंधरा है।। राम कृष्ण अशोक पोरस के बल की लंबी कहानी है। ये भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी है।। ये जहां कौटलिय आर्यभट  के चरण चूमती धरतीं है। वहां नानक बुद्ध के चरणों से पवित्र रहती है।। बहुत से त्याग तप की मूक दर्शक धरा है ये । ये भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी है।। महाभारत के संदेश ज्ञान का ज्योतिसर है ये। भगीरथ के पसीने से पटी हिमालय श्रृंखला है ये।। सरयू के तट से मर्यादा का संदेश देती धरतीं है ये। ये भारत के स्वर्णिम इतिहास की कहानी है।। एक काल मुगलों का एक काल अंग्रेजो का झेला इसने। कितने शहीद हुए कितने सर कटे कितने फांसी चढ़े।। फिर सुभाष की आज़ाद हिंद फौज का आगाज़

पता ही न चला।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 बस वक़्त बदल रहा है और हम चले जा रहे है। तहजीब रोज नये नये रंग लिए है और हम  देख रहे है।। जो कभी राम राम बहुत  आम हुआ करती थी कहाँ खो गयी पता ही न चला। जो कभी प्रणाम नमस्कार आम हुआ करते थे कल की बात हुए पता ही न चला।। आज ये बदल कर हेलो हाय कब हो गयी  मुझे पता ही न चला। माँ पिता मॉम डैड पोप्स कब हो गए मुझे पता ही न चला।। कब रिश्तों ने नई करवट नई अंगड़ाई ली दोस्त पता ही न चला। कब दोस्त यार मित्र सखा  सखी ब्रो बेब्स  हो गये पता ही न चला। कब बहन दीदी  नए रिश्तों  से सिस हो गयी पता ही न चला।। कब रिश्तों ने अपनी खामोशी तोड़ी मुझे कुछ पता ही न चला। कब रिश्तों ने भाषा मर्यादायें लांघी मुझे  पता ही न चला।। कब साफ हवाओं में जहर घुला के मुझे ही पता न चला। कब मन जल दूषित हो गया बस मुझे पता ही न चला।। कब मन सिकुड़े कब तन पे लत्ते छोटे हुए मुझे पता ही न चला। कब नज़रों से शर्म की विदाई हुई मुझे पता ही न चला।। कब कंक्रीट के जंगल में सब खो गये  मुझे पता ही न चला। कब मैं हावी हो हमसे ऊपर निकल गयी पता हो न चला।। कब दुनिया ऊपर से पुती अंदर से बुझी मुझे पता ही न चला। कब

जीवन के रस रंग।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 मंत्रमुग्ध हूँ जीवन मैं बसे रस रंगों से। हर तरफ बहार ही नज़र आती है।। मन इसके रसों का सदैव पान करता है। शरीर इसके इंद्रधनुष से सजा रहता है।। बहुत से रिश्तों के रस का स्वाद रोज लेता हूँ। रिश्तों के रंगों से सदा सरोबार सदा रहता हूँ।। पत्नी से जीवन रस सब रसों से रसीला। पत्नी का हृदय साथ सब रंगों से रंगीला।। बच्चों से जीवन रस चासनी से भी गाढ़ा मीठा। बच्चों के होने से जीवन रंग भी गाढ़े चटकीले।। माता पिता ने किया हममें जीवन रस संचार। माता पिता ने बनाया प्रेम रंग संग जीवन संसार।। दोस्तों ने घोली इस मे खुशबू  रस  अदद बहार। दोस्तों ने दी दुनिया मे होली सी रंग  बहार ।। क्या रिश्ते क्या नाते सब रसों के भरे प्याले। मुझमें भर देते न जाने कितने रंग हरदम निराले।। हां में जी रहा हूँ इन्हें कहीं रूह की गहराइयों से। मुझमें जितने जीवन रस रंग है बने  महके इन्ही गहराइयों में।। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

जीवात्मा और जीव का सम्बंध।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 बहुत वर्ष बीते हमारे पड़ोस में एक प्रसिद्ध मीमांसक रहा करते थे।ब्राह्मण कुल से ही थे।उनका पोता हमारे मित्रमंडली का हिस्सा था।बताया करता था बाबा बहुत ज्ञानी है।मीमांसक है।वेदों का ज्ञान है।सब शब्द समझ आ जाते थे।मगर मीमांसा और मीमांसक कभी समझ नही आया।जीवन मे जिसकी ज्यादा जरूरत न हो उसकी तरफ आकर्षण कम होता है।सो भूल गए पूछना भाई मीमांसक क्या होते है।आज दिनों बाद उनकी याद आयी तो मीमांसा का विषय खंगाला।लीजिये पढ़िये.... मीमांसा शब्द का अर्थ किसी वस्तु के स्वरूप का यथार्थ वर्णन है। वेद के मुख्यत: दो भाग हैं। प्रथम भाग में 'कर्मकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की प्रवृत्ति होती है। द्वितीय भाग में 'ज्ञानकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की निवृत्ति होती है। कर्म तथा ज्ञान के विषय में कर्ममीमांसा और वेदान्त की दृष्टि में अन्तर है। वेदान्त के अनुसार कर्मत्याग के बाद ही आत्मज्ञान संभव है। कर्म तो केवल चित्तशुद्धि का साधन है। मोक्ष की प्राप्ति तो ज्ञान से ही हो सकती है। परन्तु कर्ममीमांसा के अनुसार मुमुक्षुजन को भी कर्म करना चाहिए। प्रकार मीम

मीमांसा और मीमांसक।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 बहुत वर्ष बीते हमारे पड़ोस में एक प्रसिद्ध मीमांसक रहा करते थे।ब्राह्मण कुल से ही थे।उनका पोता हमारे मित्रमंडली का हिस्सा था।बताया करता था बाबा बहुत ज्ञानी है।मीमांसक है।वेदों का ज्ञान है।सब शब्द समझ आ जाते थे।मगर मीमांसा और मीमांसक कभी समझ नही आया।जीवन मे जिसकी ज्यादा जरूरत न हो उसकी तरफ आकर्षण कम होता है।सो भूल गए पूछना भाई मीमांसक क्या होते है।आज दिनों बाद उनकी याद आयी तो मीमांसा का विषय खंगाला।लीजिये पढ़िये.... मीमांसा शब्द का अर्थ किसी वस्तु के स्वरूप का यथार्थ वर्णन है। वेद के मुख्यत: दो भाग हैं। प्रथम भाग में 'कर्मकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की प्रवृत्ति होती है। द्वितीय भाग में 'ज्ञानकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की निवृत्ति होती है। कर्म तथा ज्ञान के विषय में कर्ममीमांसा और वेदान्त की दृष्टि में अन्तर है। वेदान्त के अनुसार कर्मत्याग के बाद ही आत्मज्ञान संभव है। कर्म तो केवल चित्तशुद्धि का साधन है। मोक्ष की प्राप्ति तो ज्ञान से ही हो सकती है। परन्तु कर्ममीमांसा के अनुसार मुमुक्षुजन को भी कर्म करना चाहिए। प्रकार मीम

गुलाब के रंग आप के एहसासों के संग।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 गुलाब मुझे बहुत भाते है ।आज परिवार के साथ कुछ पौधे लेने नर्सरी गया।वहां देसी गुलाब ढूंढे।बातों बातों में पता चला ये हमारी बिटिया को भी बहुत भाते है।गुलाब बहुत से रंगों में पाये जाते है।नये रंग ईजाद हो ही रहे है।चलो आज कुछ रंग के गुलाबों का मतलब या ये क्या कहते है बताया जाये....  रेड रोज : अगर आप रेड रोज पसंद करते है तो इसका मतलब है आप बहुत रोमांटिक हैं।अपने प्यार को दर्शाने का बेहतर जरिया रेड रोज ही है। आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं और उसे इस बात का एहसास कराना चाहते हैं तो जरूर लाल गुलाब जरूर भेंट करें। येलो रोज : यह गुलाब दोस्ती का चिन्ह माना जाता है। यदि आप किसी से दोस्ती करना चाहते हैं तो उसे पीला गुलाब दें। ये दोस्ती की शुरुआत करने के लिए अच्छाब माना जाता है। साथ ही ये खुशहाली लाता है और किसी को 'गेट वेल सून' कहने के लिए सबसे अच्छा तराका है। व्हाइट रोज : व्हाइट रोज शुद्धता, मासूमियत और बिना शर्त प्यार को दर्शाता है। आप ने ब्राइड्स को सफेद गुलाब ले जाते हुये देखा होगा। ये प्रतीक है कि आप अगर आप अपने किसी प्रियजन को सॉरी कहना चाहते हैं तो वाइट रो

आशिक़ और इश्क़।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼 आशिक़ों के बहुत से प्रकार होते है।हंसिये मत।सच कह रहा हूँ।ज्यादा तादात एक तरफा आशिक़ों की होती है।ज्यादतर तो स्कूल कॉलेज के समय से क्लास में ही ऐसा एकतरफा इश्क़ चलाते रहते है।सपनो की दुनिया मे खोये रहते है।किताब में महबूबा ख्यालों में महबूबा ही नज़र आती है।नज़रे किताब पे दिल महबूबा में और ख्याल ख्वाबों में गुम।फिर माँ का झापड़ और ख्याल बापिस नजरे किताबपे और दिल पढ़ाई में।बड़ी विडंबना है ।क्या है माँ को प्रॉब्लम।इतने हसीन ख्वाब और थपड़ की भेंट।उफ्फ। खैर एकतरफा आशिकों की ये व्यथा सदियों से चली आ रही है।माँ भटके हुए आशिक़ों को पढ़ाई की दौड़ में बापिस ला रही है।फ़र्ज़ निभा रही है।मजनुओं की फेरिस्त बहुत लंबी है।भांति भांति के आशिक़।आज विषय मर्दों पे ही है बस।औरतें कम हों ऐसा मैं नही सोच रहा हूँ कसम से।रोज स्कूल कॉलेज पहुंच जाते है झलक पाने या मानो नज़रें ठंडी करने।पढ़ाकू जरा अलग क्लास है कृपया उनके विषय मे ज्यादा यहां न सोचें।कुछ अक्लमंद इसे सब पे लागू न करवायें प्लीज। ऐसे आशिक़ भक्त भी जबरदस्त होते है।आज कल सबसे प्रिय भगवान मूर्ति रूप साईं बाबा जी है।इनके दर पर बृहस्पति वार को हिन्दू भग

दम दम दम।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 दम दम दम अरे देखो दम। बहुत है हममें तुममें सबमे दम।। जहां खड़े हो जायें दिखा दे दम। जहां चल पड़े दिख जाये दम।। जहां दौड़ पड़े लगा दे पूरा दम। जहां कूद जाये दिखे जबरदस्त दम।। जहां लड़ जाये अगला मान ले दम। जहां भिड़ जाये निकले दूसरे का दम।। जहां पिल जाये कर दे दम बोल दम। जहाँ लिख दें दिखे कलम का ही दम।। जहां कह दे दिखे जुबान का दम। जहां वायदा कर दे हो जाये दम दम दम।। जहां रिश्ते बनाये दिखे उनमे दम। जहां दुनिया बसायें कर दे बस हमदम।। जहां नाचे वहाँ मंच माने टांगो का दम। जहां गाना गाये जम जाये रंग हरदम।। जहां खाये प्लेटें चमके हर दम। जहां पीने लगे खाली बोतलें हर दम।। जहां साईकल पे चढ़े तो सड़के नापी दमा दम। जहां गाड़ी की सवारी  तो स्टेयरिंग बोले दम दम।। जहां हाथ मे लठ पकडा अपराधी का निकले दम। जहां सरहद पे बंदूक थामी दुश्मन हो गए बेदम।। अब और क्या बोले भाई हर तरफ बिखरा है बस जोश और मेरा तुम्हारा हम सब का दम खम। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

क्यों जवान?

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 क्यूं रे जवान ये तो बता सरहद तेरी लगती क्या है? क्यों मर मिटने को हमेशा तैयार है तू? कोन है जिसे तू बचाना चाहते है? क्यों तुझमे इतना जस्बा है? ईश्वर भी तुझसे क्या ये कभी पूछता है के बता तेरी रजा क्या है?जवान भी जोश से खड़ा होता है और जोर से दहाड़ते हुए कहता है मैं इस मिट्टी से जन्मा इस धरती माता का सपूत हूँ।ये भारत मेरी माता है।जन्म लिया इस सौंधी मिट्टी में।खून में इसकी भक्ति है। हर वक़्त जोश में ये बहती है।रक्षा की शक्ति ये मुझे हर पल देती रहती। है 131 करोड़ मेरे भाई बहन और सब रिश्ते है।रक्षा का वचन जो मैंने तुझे दिया पूरा करने के ठानी है। निभाऊंगा उसे मैं अपनी अंतिम सांस तक।अब चाहे सर कटे या कटे अंग अंग । डर किसको जब चढ़ा मुझपे भारत माता का रंग।कफ़न में लिपटूं तो तिरंगा हो जाऊं।वर्दी में एक भारत माँ का फौजी सपूत कहलाऊँ।मर जाऊं तो शहीद कहलाऊँ।मन से सदा अमर हूँ क्योंकि  मैं भारत माँ का पूत एक जवान कहलाऊँ। हमने भी कहा शहादत के वीरों को मेरा सलाम है। ये वीर है तो मेरी भारत माँ को  सलाम है।। तेरी शहादत से इसेे बल मिलता है। कोई तो है जो भारत माँ का भी निगेवान है।। ये