🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼🌹 वो भी क्या दिन थे नीचे चेतक ऊपर खुला आसमान। किक लगते ही वो बातें होती थी कुछ तेज़ हवा से।। सबसे आगे निकलते ही क्या जोश ए जवानी भरता था। कभी हम अपने को कभी चेतक को तो कभी आसमान को देखते।। क्या बरसात क्या आंधी क्या तूफान और क्या वो चेतक। आधी किक लगाते ही पटर पटर और हम ऊपर वो सड़क पर।। हवा से बाते होती दोस्तो संग लांग ड्राइव होती। भीगे भीगे सौ किलोमीटर भी नाप देते और कहते वाह रे चेतक तेरी सवारी।। खुद ही हम सर्विस मैकेनिक खुद ही हम क्लीनर । चेतक भी खूब खुश रहता हमारी सेवा देखकर।। खूब नहाता सारी मिट्टी हमसे रगड़ रगड़ उतरवाता। लगता वो मालिक और हम सेवक इसलिए हाफ किक मे काम हो जाता।। न कभी धोखा दिया न रोया न चिल्लाया साथ पूरा दिया। कभी अरावली के पठारों में कच्ची पगडंडिया नापी।। कभी शिवालिक की ऊंचाइयां नाप दी दम से उसने। आज भी बसा है मन मे वोही तोतिया रंग लिए और दिल कहता है" हमारा बजाज"।। जय हिंद। ****🙏🏼 ****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹