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"विकार"

🌹🙏🔥❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🇮🇳❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🌹🙏 आज बहुत दिनो बाद कुछ लिखने का मन किया। कुछ महसूस हुआ कुछ गुजरा तो लगा कुछ बात करूं। शब्द है "विकार"। विकार को बहुत शब्दो से रूप दिया गया है जैसे की विकार का पर्यायवाची शब्द है दोष, बुराई, बिगाड़, खराबी, त्रुटि, कमी, फ़ितूर, अगुण, अपकृष्टता, अपगुण, अबतरी, अवगुण, इल्लत, ऐब, कज, कमी, ख़ामी, खामी, खोट, दुर्गुण, नुक़्स, विकृति आदि हैं। अगर इसे परिभाषित करना हो तो इसका मतलब किसी वस्तु का रूप, रंग आदि बदल जाना होता है । विकृति उत्पन्न होना होता है। विकार में निरुक्ति के चार प्रधान नियमों में एक है जिसके अनुसार एक बर्ण के स्थान में दूसरा वर्ण हो जाता है । ये दोष की प्राप्ति है । बिगड़ना या खराबी भी कह सकते है। ये दोष भी है  बुराई भी और अवगुण भी । ये मन की वृत्ति या अवस्था भी है । मनोवेग या प्रवृत्ति भी है । यह वासना  भी है।  वेदांत और सांख्य दर्शन के अनुसार किसी पदार्थ के रूप आदि का बदल जाना भी विकार ही है। परिणाम । जैसे,ककण सोने का विकार है; क्योंकि वह सोने से ही रूपांतरित होकर बना है । ये एक तरह से उपद्रव भी है और मानसिक हानि भी । ये बीम