🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🌹✍️ नारायण नारायण।आज की आनंद चर्चा मोहिनी अवतार पे हो जाये और इस धार्मिक माह का समापन इस अमृत रूपी कथा से किया जाए। अग्नि पुराण पद्य पुराण ब्रह्मवैवर्त पुराण और भागवत पुराण मत्स्य पुराण आदि में भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की कथा मिलती है। भगवान विष्णु का मोहिनी अवतार’ उनका तेहरवां अवतार माना गया है।हम जानते है के देवता और असुरों द्वारा समुद्र मंथन के फलस्वरूप अमृतकलश की उत्पत्ति हुई जिसे असुर लेकर भागने लगे। दोनों पक्षों में भयंकर युद्ध प्रारम्भ हो गया। सुर पक्ष कमजोर पड़ रहा था। यदि अमृत असुरों के हाथों लग जाता तो प्रबल असुर धरा पर अधर्म का राज चतुर्दिक स्थापित कर देते।ऐसा सोचकर भगवान विष्णु ने सर्वविश्वसुन्दरी मोहिनी स्त्री का रूप धारण किया और सुर तथा असुरों को अपने रूप से मोहकर अमृत बांटने हेतु राजी कर लिया। राक्षसराज विप्रचित्ति और सिंहिका नामक राक्षसी से उत्पन्न पुत्र राहु वेश बदल कर देवताओं की कतार में बैठकर अमृत ग्रहण कर गया। इस बात को सूर्य और चंद्रमा भांप गए और मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु को यह तथ्य ज्ञात करवा दिया। राहु तो अमृत पी चुका था