🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कुछ दिन से धुआंदार घमासान छिड़ा हुआ है। लोकतंत्र का मंदिर इसके घण्टों से गूंजा हुआ है। हर एक इस मंदिर के भक्तों को लुभाने लगा हुआ है। चहुं ओर भयंकर शौर मचा हुआ है। काले कपड़े पहने पुजारी घण्टा बजाने लगा हुआ है। मंदिर के मुख्य पुजारी ने भीतर से पर्दा किया हुआ है। सुन कर भी आवाज को अनसुना किया हुआ है। इस मंदिर के पुजारियों ने भी अपना धड़ा सुनिश्चित किया हुआ है। दोनो और से ऐलान ए जंग किया हुआ है। दोनो तरफ राजनीति के कीचड़ का हमला हुआ है। प्रश्न है? इन हमलों में घायल भी क्या कोई हुआ है? हां इस मंदिर के भक्तों का बहुत नुकसान हुआ है। कीचड़ का गोला इनकी झोली में गिरा हुआ है। कुछ भी कह लो मुंह तो इनका ही काला हुआ है। काले कपड़े पहना पुजारी मुस्कुराता खड़ा हुआ है। कह रहा है बेटा इसमें फायदा भी तो तेरा हुआ है। साख के चक्कर में मुख्य पुजारी तेरे द्वार खड़ा हुआ है। अपनी झोली फैलाए वोट का भोग लगवाने आया हुआ है। भक्तो अब तेरा भी वक्त हर बार की तरह फिर आया हुआ है। सुना है.. कुछ दिन से धुआंदार घमासान छिड़ा हुआ है। लोकतंत्र का मंदिर इसके घण्टों से गूंजा हुआ है।