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Showing posts from March, 2023

धुआंदार घमासान।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कुछ दिन से धुआंदार घमासान छिड़ा हुआ है। लोकतंत्र का मंदिर इसके घण्टों से गूंजा हुआ है। हर एक इस मंदिर के भक्तों को लुभाने लगा हुआ है। चहुं ओर भयंकर शौर मचा हुआ है। काले कपड़े पहने पुजारी घण्टा बजाने लगा हुआ है। मंदिर के मुख्य पुजारी ने भीतर से पर्दा किया हुआ है। सुन कर भी आवाज को अनसुना किया हुआ है। इस मंदिर के पुजारियों ने भी अपना धड़ा सुनिश्चित किया हुआ है। दोनो और से ऐलान ए जंग किया हुआ है। दोनो तरफ राजनीति के कीचड़ का हमला हुआ है। प्रश्न है? इन हमलों में घायल भी क्या कोई हुआ है? हां इस मंदिर के भक्तों का बहुत नुकसान हुआ है। कीचड़ का गोला इनकी झोली में गिरा हुआ है। कुछ भी कह लो मुंह तो इनका ही काला हुआ है। काले कपड़े पहना पुजारी मुस्कुराता खड़ा हुआ है। कह रहा है बेटा इसमें फायदा भी तो तेरा हुआ है। साख के चक्कर में मुख्य पुजारी तेरे द्वार खड़ा हुआ है। अपनी झोली फैलाए वोट का भोग लगवाने आया हुआ है। भक्तो अब तेरा भी वक्त हर बार की तरह फिर आया हुआ है। सुना है.. कुछ दिन से धुआंदार घमासान छिड़ा हुआ है। लोकतंत्र का मंदिर इसके घण्टों से गूंजा हुआ है।

लोकतंत्र।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 आज का लोकतंत्र कुछ खास हो गया है। लोगों का समझने का अंदाज भी बदल गया है। जैसे भैंस के आगे बीन बजाना हो गया है। पढ़ते पढ़ाते न जाने कहां खो गया है। कानून की उलझन भरी किताब में गुम हो गया है। जिसने इसे लिखा था शायद वो भी गम गया है। चंद शख्सियतों की मुट्ठी में कही दब गया है। आम भी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से इसे पढ़ गया है। फिर भी लगता है परिपक्व हो गया है। आम बैठे बिठाए ही बहुत समझदार हो गया है। एक के नाम पे भी तिलमिला जाता सा गया है। दूसरे के नाम पे मखौल बहुत उड़ाता पाया गया है। चूंकि संविधान और लोकतंत्र को बराबर समझ गया है। मुद्दे गौण हो गए है शख्शियतें बड़ी कर गया है। "पाइड पाइपर ऑफ हमलिन" की कहानी सा हो गया है। चूहे की समझ को संगीत में कहीं गुम कर गया है। मैं मैं का प्रचार हर तरफ शायद बहुत ज्यादा हो गया है। मैं के बढ़या कद लोकतंत्र का चीर हरण कर गया है। हे बापू तेरे तीन बंदर कहां है अब? आज इन्हे कुछ देर सबकी आंखों के सामने बिठा तो दे। शायद कोई एक सबक सीख जाए या सीखा दे। और किसी को आजादी या मतलब समझ आ जाए या समझा दे। कितनी कीमती है ये आज

सरकारी पब्लिक।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कुछ अजीब सा चलन हो गया है यहां। जब हम पढ़ते थे तो सरकारी  स्कूल भी अच्छे थे। अब अपने बच्चे है तो पब्लिक स्कूल अच्छे है। सरकारी स्कूल सर्वांगीण विकास का आधार थे। पब्लिक स्कूल केवल किताबी विकास का स्तंभ है। सरकारी ने संस्कारों को खूब संजोया हुआ था। पब्लिक ने इन्हे अच्छे से धोया हुआ है। सरकारी में भाव है शिक्षार्थ आईऐ सेवार्थ जाईए। पब्लिक में है शिक्षार्थ तो जरूर आईए सेवा भाव कभी न पाइये। सरकारी अभी भी राष्ट्र भक्ति के स्तंभ बने हुए है। पब्लिक वाले तो राष्ट्र गान भी बैठ कर सुन रहे है। सरकारी कुछ मास्टर शायद आजकल फर्जी हो गए है। पब्लिक तो फार्जियों की फौज खड़ी किए हुए है। सरकारी में हिंदी अभी भी हिंदी में ही पढ़ाई जाती है। पब्लिक में हिंदी भी आधी अंग्रेजी में ही पढ़ाई जाती है। सरकारी को उन्तालीस का मतलब अभी भी पता है। पब्लिक वाला पूछता है इसे इंग्लिश में बताओ भाई। सरकारी की उन्यासी बेहतर पता है। पब्लिक वाला बगले झांकता है। पढ़ाई तो पढ़ाई है सरकारी में हिंदी में कराई जाती है। पब्लिक में इंग्लिश में कराई जाती है। अभिभावक समझते है पब्लिक में बच्चा अच्छ

सुना है।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 सुना है नफरतों का दौर फिर से हवा ले रहा है। कुछ कौम के रखवाले इस हवा को गर्म कर रहे है। इक अधूरी शिक्षा का बखूबी प्रदर्शन कर रहे है । प्रशासन चेत सचेत होने का जबरदस्त ढोंग कर रहे है। शासक राजनेतिक रोटियां जम कर सेक रहे है। तथाकथित राजनेतिक विश्लेषक इसे जानकर हवा दे रहे है। अलगाववादियों को भी मंचों पे जगह दे रहे है। जुर्रत ऐसी की हर जगह खुले हथियार लहराए जा रहे है। कुछ पड़ोसी का तो कुछ विदेशी कनेक्शन ढूंढ रहे है। शतरंज की बिसात पर दोनो और से चालें चली जा रही है। आम आदमी को ठगा सा महसूस कराए जा रही है। एक डर काले दौर का फिर दिखाई जा रही है। सरकार तो सरकार है धर्म पे चढ़कर मदहोश हुए जा रही है। एक सुनामी की आहट को नजरंदाज किए जा रही है। कुछ बड़ा होने वाला है ये एहसास कराए जा रही है। आजादी के दौर में नफरतें पनपाए जा रही है। चलो कुछ देर बैठता हूं चिंतन करता हू। क्योंकि सुना है नफरतों का दौर फिर से हवा ले रहा है। कुछ कौम के रखवाले इस हवा को और गर्म कर रहे है। आम आदमी कुछ डर रहा है और रिश्ते मर रहे है। सुना है नफरतों का दौर फिर से हवा ले रहा है। एकता की

हलधर।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🌹✍️ आज चैत्र में मेघ भी उमड़ घुमड़ गरज रहे है। झंझा की आहट से हलधर को परेशान कर रहे है। गंदुम की फसल खेतों में लहलहा रही है। सिट्टों में दाने भी अब पकने को बेकरार हो रहे है। आंखों में फिर कुछ इच्छाऐं अंगड़ाई ले रही है। जेब भी बहुत दिन हुए खाली खाली सी बोर हो रही है। कुछ वादे कुछ इरादे ही वर्ष मेलों की तरह लग रहे है। इक उम्मीद में मन भीतर कोतुहोल हो रहा है। मगर ये क्या? आज चैत्र में मेघ भी उमड़ घुमड़ गरज रहे है। हलधर के दिल की धड़कन बढ़ा रहे है। कुछ डर भी लग रहा है ये ओलों जो बरस रहे है। कुछ महामारी की मार पहले ही सता रही है। अब ये पछम की अशांति हलधर को अशांत कर रही है। मौसम आज अचानक ठंडा हो रहा है। दाना अचानक सिकुड़ सा गया है। हलधर सोच रहा है है भगवान तू कहीं तो है न? रात लंबी है झंझा हो रही है सुबह कब होगी? इतने में मेघ और जोर गरज कर बरस रहे है। ओले गिरा के सिट्टा भी ढा रहे है। हलधर की आशाओं पे पानी फेर रहे है। सरकारी अफसर को चहका रहे है। जेब भरने का मौसम जो आ रहा है। अढ़तिया की बांछे भी खिला रहे है । गीली  गंदुम काली गंदुम पे काली बुद्धि दौड़ रह

शांता - प्रभु श्री राम की बहन।एक प्रसंग यह भी।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 जय श्री राम। भगवान श्री राम के विषय में प्रचलित कथाएं सब जानते है। खासकर भाइयों के बारे में बहुत अच्छे से जानते है। मगर कम ही लोग श्री राम जी की बड़ी बहन के बारे में जानते है। बड़ी ही रोचक कथा है।रात को सोने से पहले कथाएं सुनने की आदत थी बचपन में। सुना तो नही सकता अब आप पढ़े जरूर। महाराज दशरथ एवम रानी कौशल्या अयोध्या के राजा रानी थे । महाराज दशरथ की दो अन्य रानियाँ भी थी जिनके नाम कैकयी और सुमित्रा थे । सभी जानते हैं कि इनके चार पुत्र थे राम, भरत,लक्ष्मण, शत्रुघ्न ।लेकिन यह कम लोगो को पता हैं कि इन चार पुत्रो के अलावा उनकी एक बड़ी बहन शांता भी थी ।शांता कौशल्या माँ की पुत्री थी । शांता एक बहुत होंनहार कन्या था वो हर क्षेत्र में निपूर्ण थी । उसे युद्ध कला, विज्ञान, साहित्य एवम पाक कला सभी का अनूठा ज्ञान था ।अपने युद्ध कौशल से वह सदैव अपने पिता दशरथ को गौरवान्वित कर देती थी । एक दिन रानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी अपने पति रोमपद के साथ अयोध्या आते हैं । राजा रोमपद अंग देश के राजा थे उनकी कोई संतान नहीं थी । एक समय जब सभी परिवारजन बैठ कर बाते कर रह

ये दिन हो मुबारक।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🎂🌹🌹🌹🌹🌹 ये दिन हो मुबारक तुझे मेरे चांद सदा। मिले खुशियां बेशुमार तुझे सदा। रहे मोहब्तें तेरे आस पास ही सदा। हर पल तेरा खिला खिला रहे सदा। दुआएं ले जा तू हमारी हजार सदा। तोहफों का हो तेरे पास अंबार सदा। फूलों से सुंदर सुंदर लगो तुम सदा।  इत्र से भी ज्यादा महको तुम सदा। पर्वतों सी बुलंदियां छुओ तुम सदा। पंछी से उन्मुक्त उड़ो नभ में तुम सदा। शफरी सा सागर पे  राज करो तुम सदा। फलों से लदे वृक्ष समान रहो सदा। उपर से सख्त भीतर से नर्म रहो सदा। ख्याल ऊंचे पांव जमीन पे रखो सदा। तुम्हारे चारों और बहारें रही बने सदा। मेरे चांद की जेबाई में शीतलता रहे सदा। हे वत्स कर्म योगी रहो तुम सदा सदा। और दुआ क्या दे तुमको हमारी भी उम्र लगे सदा। धन्यवाद। जय हिंद। ****🙏****✍️ शुभ रात्रि। "निर्गुणी" ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🌹❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️

तेरे लिए।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 खुशी न कही हमे ढूंढे सी भी मिली  । तेरा हंसता चेहरा देखा तो चुपके से झोली में आ गिरी।। दुनिया तो बहुत बड़ी है पर अपना कोन है? तुझे देखते है तो बस खुश हो लेते है कुछ अपना समझ लेते है।। नयामतें होंगी अगर दुनिया में तमाम। हमारी तो तू ही इक दौलत भर है।। जलवे होंगे अगर दुनिया में तमाम। हमारे लिए तो तेरा जलवा ही बहुत है।। जिद्दें होंगी अगर दुनिया में तमाम। हमारे लिए तो तेरे होने की जिद्द हो बहुत है।। असूल होंगे अगर दुनिया में तमाम। हमारे लिए तो तेरे इशारे ही बहुत है।। हसरतें अगर होंगी दुनिया में तमाम। हमारे लिए तो तेरी हसरत ही बहुत है।। पाने की तुझे चाह कभी रही नही। तुझे बस चाहने की चाहत बहुत है।। याद अगर खुदा के बाद किसी को करते है। तो मान ले तेरे वजूद को ही खुदा मानते है हम।। धन्यवाद। जय हिंद। ****🙏****✍️ शुभ रात्रि। "निर्गुणी" ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🌹❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️

बरसाना।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 रविवार का दिन उत्तम था। मित्र ने राधा रानी के सानिध्य में बरसाना में कुटिया बनाई है। गृह प्रवेश का कार्यकर्म था। साधुसंतों का जमावड़ा लगा था। हम भी पहुंच गए राधा रानी के सानिध्य में। रविवार का दिन था।मां से मिलने को भीड़ संग ही जाना था। फरीदाबाद से चले कोकिला वन होते हुए नंदगांव के रास्ते बरसाना पहुंचे। कोसी कलां तक ही NH44 से उड़ते हुए पहुंचा जा सकता है और फिर भारत के सड़क मार्ग की असली पिक्चर देखी जा सकी है। बरसाना छोटा सा कस्बा है। विकास अपने आप हुआ लगता है। और किया भी जा जा रहा है। शनिवार रविवार को पार्किंग वालों की चांदी। 100 रुपए तय दर। भीड़ हो आप मोटे हों और राधा रानी के मंदिर तक सीढियां चढ़ नही पा रहे हो , गाडियों के रास्ते में जाम लगा हो, तो घबराइए नहीं मोटर साइकिल है। 100 रुपया में सीधे मंदिर के पास छोड़ देते है। राधे राधे की गूंज सब और सुनाई पड़ती है। मंदिर के अंदर का नजारा अलौकिक और मनमोहक है। आनंद आनंद आनंद । दर्शन किए आनंद आ गया। शानदार अनुभव था। हमारे तीर्थ स्थल जागृत है। आप सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हो। दर्शन कर लौटने लगे तो आप

बांसुरी।

🌹🙏💐💐💐💐💐💐💐🇮🇳💐💐💐💐💐💐💐✍️🌹 मुझे बांसुरी वाद्य यंत्र बचपन से ही बहुत पसंद है। जब भी धार्मिक मेलों में जाते बांसुरी खरीद कर लाते। जैसे भी हो बजाते। मगर सिद्धस्ता कभी हासिल नहीं हुई। बांसुरी ही एक मात्र ऐसा वाद्य है जो इंसान की आवाज के बेहद करीब की धुन पैदा करती है। इसे आप हुबहू शब्द ब शब्द समझ सकते है।  तो आज जानकारी इसी पे संकलित की है। लीजिए आपकी नज़र.. बांसुरी अब तक खोजे गए सबसे पुराना मौजूदा संगीत वाद्ययंत्र हैं, जिनमें से सबसे पुराना 35,000 और 43,000 साल पुराना है। जबकि बांसुरी वाद्य यंत्रों की दुनिया भर में प्रभावशाली संगीत उपस्थिति रही है, सबसे लोकप्रिय लकड़ी की बांसुरी में से एक भारतीय बांसुरी है, जिसे उराली, बंसी, बाशी और बांही के रूप में भी जाना जाता है।  परंपरागत रूप से, बाँसुरी को एक विशेष प्रकार के बाँस से तराशा जाता है जो गांठों के बीच की लंबाई तक बढ़ता है। इस प्रकार का बाँस मुख्य रूप से हिमालय पर्वत की तलहटी में पाया जाता है। मजबूती और संरक्षण के लिए बांस को काटा जाता है और प्राकृतिक तेलों से उपचारित किया जाता है। सामग्री के चयन और उपचार के बाद, मुंह के छेद क

मोहब्बत अंदाज ए शायराना।

🌹🙏💐💐💐💐💐💐💐🇮🇳💐💐💐💐💐💐💐✍️🌹 ओ महाराज सुनो! कहो मोटू... एक बार हमे मोहब्बत अंदाज ए शायराना में हो गई। शब्द झड़ते गए और वो बढ़ती गई।। सामने वाली जो शरमाई की मोहब्बत और निकल आई। वो प्यार से पास आई डफ से दो झापड़ लगाई।। हमारी शायराना मोहब्बत सड़क पे आई। हमने आव देखा न ताव और जोर से दौड़ लगाई।। हमारी शायराना मोहब्बत रिस्पॉन्स में जोर बहुत था। मोहतरमा अपने फोन पे १०० नंबर  घुमाई।। पुलिस ने हमारे पीछे दौड़  लगाई। पकड़ कर सुताई करते थाने में ले आई।। बोली अब हमे भी ये शायराना मोहब्बत दिखाओ भाई। क्या ऐसा था जो मोहतरमा में तुम्हारी रपट लिखाई? हमने कहा ! सुन कर छोड़ दोगे न भाई? बोला हां हां चिंता न करो तुम्हारा कोई अपराध नहीं है भाई। ये उम्र ही ऐसी है बस मुंह से कुछ का कुछ निकल जाता है। जो आप जैसे शरीफों को हमारे यहां ले आता है। अब बोलियागा भी या करें सुताई। जी बोल रहे है अपनी बात पे रहिएगा पर भाई। हम सब्जी ले रहे थे वो भी ले रहे थी। अचानक आंख लड़ गई हमारी  उनसे भाई। वो शरमाई हम में भी जरा सी ताकत आई। कभी हम उनको कभी अपनी सब्जी को देखते भाई। इतने में वो दुकानदार सब समझ गया । हमारा ध्य

प्रकृति ज्ञान शिक्षा।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 मनुष्य के जीवन में शिक्षा एक अहम किरदार अदा करती है । इसकी निरंतरता आप को परपक्व बनाती है।यह आप को एक बेहतर इंसान बनने में मददगार होती है।यह आप के आसपास ही फलती फूलती प्रकृति के रूप में सब ज्ञान संजोए रहती है और आप को मुफ्त में ज्ञान देती रहती है। उसे समझने की आवश्यकता होती है बस। जैसे की... मनुष्यों को उल्लू के समान अन्धकार में रहने वाला नहीं होना चाहिए, कुत्ते के समान क्रोधी और सजातीय से जलने वाला नहीं होना चाहिए, हंस के समान कामी नहीं होना चाहिए, गरुड़ के समान घमण्डी नहीं होना चाहिए, गिद्ध के समान लालची नहीं होना चाहिए। ये कुछ सांकेतिक दुर्व्यसन है। और ये दुर्व्यसन मनोरोग की नींव हैं। इनसे मनुष्य में हीन भावना और ईर्ष्या ,जलन भी उत्पन्न हो जाती है। इसे और बेहतर तरीके से प्रकृति हमे फिर समझाती है। जिस प्रकार से वन में लगी आग पहले वन को ही नष्ट कर देती है। उसी प्रकार ईर्ष्या रूपी अग्नि मनुष्य को अंदर से भस्म कर देती हैं। जिस प्रकार से वर्षा रूपी जल वन की अग्नि को समाप्त कर देता है उसी प्रकार से विवेकरूपी जल ईर्ष्या को समाप्त कर देता हैं। मित्रो

वीणा।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 आज चर्चा भारतीय राष्ट्रीय वाद्य यंत्र पे हो जाए। वाद्य यंत्र यद्यपि वैदिक काल से ही वर्णित है और इनका हमारे सनातन विज्ञान में बहुत पुराना हिस्सा रहा है। आज की चर्चा उसी पे है। पहले इनके वर्गो को जाने। 200 ईसा पूर्व से 200 ईसवीं सन् के समय में भरतमुनि द्वारा संकलित नाटयशास्‍त्र में संगीत वाद्यों को ध्‍वनि की उत्‍पत्ति के आधार पर चार मुख्‍य वर्गों में विभाजित किया गया है : 1. तत् वाद्य अथवा तार वाद्य – तार वाद्य 2. सुषिर वाद्य अथवा वायु वाद्य – हवा के वाद्य 3. अवनद्व वाद्य और चमड़े के वाद्य – ताल वाद्य 4. घन वाद्य या आघात वाद्य – ठोस वाद्य, जिन्‍हें समस्‍वर धातु वाद्य के रूप में भी जानते है। आज की चर्चा आप समझ ही गए होंगे वीणा पे होगी। वीणा एक तार वाद्य यंत्र है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई है। वीणा वाद्य यंत्र और इसके प्रकार क्रमशः उत्तर और दक्षिण भारत के हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वीणा के प्रकार के आधार पर यह या तो( Zither)ज़िथर या (Lute)ल्यूट हो सकता है।इसका अंतर गुंजयमान यंत्र, या

ब्रज में होली।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 होली हम सनातनियों  का प्रमुख त्यौहार है। पूरे भारत में ये पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में इसका अलग ही रंग और उत्साह देखने को मिलता है। भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में ये रंगोत्सव 40 दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत इस वर्ष माघ मास में वसंत ऋतु(26 जनवरी 2023) के प्रवेश करते ही हो गई। वसंत पंचमी पर मथुरा के मंदिरों में और होलिका दहन स्थलों पर होली का ढांडा गाड़े जाने के बाद से ही इस रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। परंपरा के अनुसार वसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में सुबह की आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के पुजारी भगवान बांके बिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व का शुभारम्भ करते हैं। इस दिन मंदिर में श्रद्धालुओं पर भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है। इसके बाद रंग पंचमी वाले दिन इस रंगोत्सव का समापन होता है।  ब्रज में ही वर्ष होली का पंचांग या कैलेंडर हर वर्ष निकाला जाता है। इस वर्ष इस पंचांग अनुसार प्रमुख होली त्यौहार इस तरह है... 21 फरवरी 2023- फुलेरा दूज (फूलों की होली) 27 फरवरी 2023 - लड्डू मार ह

नवसस्येष्टी यज्ञ।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 रंगो के त्यौहार पूरी दुनिया में सदियों से किसी न किसी रूप में मनाये जाते है।हमारे देश में भी वैदिक काल से होली का उत्सव मनाया जाता है।बचपन से ही ये त्यौहार अपनी और जीवन रंगो संग मुझे आकर्षित करता रहा है। जब जेब तंग थी तो पिचकारी भाती थी और जो भाती थी वो हाथ नही आती थी। खैर थोड़े बड़े हुए । कुछ इससे जुड़ी बेहतरीन हिन्दी फिल्में देखी। उनमें से एक थी "फागुन" जो 1973 में बनी थी। धर्मेंद्र और वहीदा रहमान , जय भादुड़ी और विजय अरोड़ा जिसमे कलाकार थे।पुरानी 1958 में बनी थी। मगर इसका एक गाना मुझे बेहद पसंद है। जो मैं समझता हूं होली पे फिल्माया गाया सबसे बेहतरीन गाना है। उसके बोल है "पिया संग खेलो होली, फागुन आयो रे। चुनरिया भिगो ले गोरी, फागुन आयो रे। देखो जिस और मच रहा शोर गली में अबीर उड़े, हवा में गुलाल। कहीं कोई हाय, तन को चुराये चली जाये देती गारी, पोंछे जाये गाल। करे कोई जोरा-जोरी फागुन आयो रे। कोई कहे सजनी, सुनो पुकार बरस बाद आये तोहरे द्वार। आज तो मोरी गेंदे की कली होली के बहाने मिलो एक बार। तन पे है रंग, मन पे है रंग किसी मतवारे ने

वेद सम्मत शिक्षाएं।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 सनातन धर्म और उसके शोध बहुत ही जीवन उपयोगी है मनुष्य के लिए। हमारे वेद पूर्ण रूप से वैज्ञानिक शोध से रचे गए है ये मेरा मानना है। मुझे वेदों के जीवन उपयोगी श्लोकों का संकलन मिला। सोचा आप सब से सांझा कर लूं। ये सनातन जीवन दर्शन भी है लीजिए पढ़िए... ।। सं गच्छध्वम् सं वदध्वम्।। (ऋग्वेद 10.181.2) अर्थात: साथ चलें मिलकर बोलें। उसी सनातन मार्ग का अनुसरण करो जिस पर पूर्वज चले हैं।  श्लोक : ।।ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।। -ऋग्वेद अर्थात: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। श्लोक : ।।उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।। क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति।।14।। -कठोपनिषद् (कृष्ण यजुर्वेद) अर्थात:(हे मनुष्यों) उठो, जागो (सचेत हो जाओ)। श्रेष्ठ (ज्ञानी) पुरुषों को प्राप्त (उनके पास जा) करके ज्ञान प्राप्त करो। त्रिकालदर्शी (ज्ञानी पुरुष) उस पथ (तत्वज्ञान के मार्ग

"वास्तोष्पति"

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 हर व्यक्ति का अपने जीवनकाल में एक सपना होता है "अपना घर बनाने का"। जब ये सपना पूरा होता है तो उसमे प्रथम प्रवेश का बहुत महत्व है ।हमारी सनातनी परंपरा में उसे हम गृह प्रवेश विधि के अनुसार अनुष्ठान कर देवताओं के आह्वान से पवित्र करते है। आज ख्याल आया इसी विधि को जान लें। घर के अधिष्ठातृ देवता है "वास्तोष्पति"। आइए आज इसे थोड़ा जाने। वास्तोष्पति का अर्थ है 'वास्तोः पतिः' अर्थात् घर का अधिष्ठातृ देव। वास्तोष्पति का ऋग्वेद के एक ही सूक्त में वर्णन हुआ है। यह घर की रक्षा करने वाला देवता है। गृह्य सूत्रों में गृह प्रवेश से पूर्व वास्तोष्पति देवता की स्तुति करने और उससे हमारे पापों को क्षमा करने की प्रार्थना की गई है। जिस भूमि पर मनुष्य या प्राणी निवास करते हैं,उसे वास्तु कहा जाता है । शुभ वास्तु के रहने से वहां के निवासियों को सुख-सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और अशुभ वास्तु में निवास करने से हानिकारक परिणाम मिलते हैं । वास्तु देवता वास्तोष्पति की भी एक कथा है। मत्स्यपुराण के अनुसार प्राचीनकाल में अन्धकासुर के वध के

गलत सुने हो भाई।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 ओ महाराज सुनो! कहो मोटू.... सुना है आज कल महंगाई बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। सुना है आज कल तेल की कीमत बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है आज कल घोटाले बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है देश में अपराध बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है देश से भागे भगोड़े बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है देश में हिंदू मुस्लिम बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है देश में हिंदू मुस्लिम बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है देश की नवरत्नों को बेचने की मंशा बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है किसानों की फसल से आय बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो बस साहेब का चेहरा बहुत है। अरे सुना है ट्रेन में आजकल किराया बहुत है। अरे गलत सुने हो भाई। यहां तो