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Showing posts from November, 2018

दिल की आवाज़।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 ख्याल आते ही उनके यू गुनगुनाते है हम। दिल की आवाज़ तुमको यू सुनाते है हम।। तेरे दीदार की चाह में ये ख्वाब लेते है हम। आवाज़ दिल से निकलती गुनगुनाते हम।। तेरे आने की महक महसूस कर लेते हम। तेरी आहट से कुछ इस तरह रूबरू है हम।। रूह से आवाज़ निकलती सुन लेती हो तुम। दिल से दिल की आवाज़ पकड़ लेती हो तुम।। क्या कहें दिल में कितने करीब बसी हो तुम। वहां हल्की सी आहट होते सुन लेते है हम।। ये मंजर भी कुछ हसीन है लुत्फ लेते है हम। हर पल दिल में नज़रों से जी लेते हैं हम।। मंज़िलें में तेरी जरूरत से बाबस्ता में है हम। राहें मुश्किल हो तेरे साथ पा ही लेँगे हम।। तुम महसूस कर रही हो जो कह रहे है हम। पता है बोल नही पाते बस जता पाते है हम।। ख्वाइशों की लंबी फेरिस्त तुमको दे रहें हम। सोचते है नहीं ठुकराए जाएंगे कभी हम ।। बहुत बार दिल मे आया कह पाएंगे क्या हम। ये सोचते सोचते आज लिख ही डाले हम।। ये शब्द नही दिल की आवाज़ है हमदम। सोचते इस राह ही सही तेरे पास पहुंचे हम।। ख्याल आते ही तुम्हारा यू गुनगुनाते है हम। दिल की आवाज़ तुझे कुछ यू सुनाते है हम। दोस्तो ये शब्द बहुत

आप के आने से।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 आप के आने से सारी बहार है। आप के आने से सारी खुशियां बरकरार है। आप के आने से सब ख्वाब हसीन है। आप के आने से सब बागों में निखार है। आप के आने से सब रिश्ते खुशगवार है। आप के आने से रातें रंगीन है आप के आने से सुबह हसीन है। आप के आने से दिन बेहतरीन है। आप के आने से मौसम बना हुआ है। आप के आने से सब और महक छाई है। आप के आने अब मन चंचल है। आप के आने से सोच भी निर्मल है। आप के आने से दिल का अदब कायम है। आप के आने से दिमाग बेहद शांत है। आप के आने से हरअंग में स्फूर्ति है। आप के आने से आंखों में चमक आ गयी है। आप के आने से दिल की धड़कन बढ़ गईं है। आप के आने से सांसे कुछ तेज़ हो गयी है। आप के आने से तस्सली बढ़ गयी है। आप के आने से खुशी घर कर गयी है। आप के आने से मदहोशी छाने लगी है। आप के आने से कुछ गीत फूट रहे है। आप के आने से अंदाज़ शायरी हो गयी है। आप के आने से सारी दुनिया हसीन हुई है। न सोची के तुम किंतनी एहमियत रखती हो। कहूँ तो सारी दुनिया की नेमतें तुम से  ही है। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

ये बंदिशें।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 ये बंदिशें है बहुत तुम से नज़र मिला ना पायेंगे। अगर सामने आ भी जाओ एक नज़र देख न पायेंगे।। चाहते है बहुत के बहुत तुम मेरी नज़रों में बसों। चाह के भी यू तुमको अपनी नज़र में बसा न पायेंगे।। तेरे चहेरे की एक नज़र पे हम ये दिल भर लेते है। पता है के तुमको चाह के भी तमाम उम्र हम न पायेंगे।। सोच के तुमको कुछ तो दिल से दिल बहला लेते है । मायूस हुए भी तो यादों से तुम्हारी दिल बहला लेते है।। आज कुछ शिकवे भी अगर थे तो उनको भी हमने दूर किया। अमानत ही नही अपनी तो दिल हमने भी  तोड़ लिया।। मुकद्दर में अगर तेरा इकरार लिखा होता कही। तो हम भी तुझे जी भर जी लेते अपने मे कहीं।। मगर मेरी किस्मत ही रही कुछ खफा सी खलिश ऐसी। हम सोचते ही रहे और तुम मीलों दूर हुए कहीं।। अब क्या रहा तेरी बेखबर याद के सिवा हम पे ओ जाने जाँ। याद कर दम भर तुझे अपनी साँसों में जी लेते है।। सामने ये बंदिशें है बहुत तुम से नज़र मिला ना पायेंगे। कहीं अगर सामने आ भी जाओ देख न पायेंगे कभी।। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि। 🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

उलझनों में जिंदगी।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 उलझनों में जिंदगी है कुछ बहुत मशगूल सी। न हम इधर देख सकते है ना उधर जा सकते है।। चाहतें बहुत है जिंदगी से निभा नही सकते हम। कभी यू ही उदास होते है हम जिंदगी फिर हँसा देती है।। ये जिंदगी मुबारक भी लगती है अफसाना भी लगती है । कभी मंजर जेबा लगता है और कभी नातमाम।। किसी पल दिल को किसी के एहसास का शुबा होता है। अगले ही पल ये फिर उलझ के उलझन सा रह जाता है।। इच्छाएं तमाम शामिल थी ये किसी को समझाने में। उसका यकीन था किस्मत से केवल अकेले ही रहने में।। मेरे मन की चंचलता कभी मुझे रोक ही न सकी उलझने से। ये तो सिर्फ तुम थी के हम जज़्बातों में उलझ गये। तुम गमगीन होती हम तेरे रुख को बदलने की कोशिश तो करते ।। यहीं कहीं उलझ के कभी हम बेदर्द दुनिया मे खो भी जाते है। कुछ तो दोस्त है जो आज भी हमे कहीं न कहीं से ढूंढ़ ही लातें है।। बहुत देखी तस्सली उनकी जो हमे उलझाते हैं। हमे भी गुस्सा तो आता है मगर हम चुप हो जाते  हैं।। यू तो तम्मनाओं के गुल यहां दिल मे रोज खिलते है। मगर उनकी आंखों के दीदार से कुछ कह के निकल जाते है।। हम रोज नई  खूबसूरत सी सोच के साथ होते है। कुछ

वारके।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 ऊटी दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है।कोयम्बटूर से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर।एक लेख में मैंने यहां की खास वनस्पति औषधि के विषय मे चर्चा की थी।अभी फिर जाने का मौका लगा।मौसम बहुत ही खुशगवार हो गया था।घने बादल और हल्की हल्की बरसात।ठंडक भी ऐसी की बस शरीर में स्फूर्ति आ जाये।हवा मंद मंद बह रही थी।शाम ढलने को थी।काम खत्म कर सोचा जरा बाजार घूम लिया जाये। और निकल पड़े मित्रों के साथ।शहर अब उतर भारतीय हिल स्टेशनों की तरह भीड़ भरा हो गया है।सारा दिन गाड़ियों के धुएं से ये शहर महकता है।बस जो प्रकृति को सहेज के  यहाँ रखा गया है उसने इसे बचा रखा है।लेक बेहद गंदली हो गयी है।रोज गार्डन और बोटैनिकल गार्डन अपनी खूबसूरती बरकरार रखे हुए है।चाय के बागान मशालाह आस पास के जीवन को रंग देते हुए जीवन भी संवार रहे है।चामराज ने अपनो जगह बनाई हुई है।वीनस स्टोर पहले से बहुत महंगा हो गया है।सुपर स्टोर में आज भी दाम वाजिब है। घर की बनी चॉकलेट अपना दम बनाये है।मसाले अपनी कहानी कहते है।आज जिसकी बात करने जा रहा हूँ वो यहाँ की खास बेकरी आइटम है।जी हां आप सही पकड़ने जा रहे है में वारके की बात कर

अकेले हम।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳🌹❣❣❣✍🏼🌹 अकेले हम चले जाते हैं मंजिलों की परवाह  किसे। ये वीरानियाँ भी जो आती है हम तो गुजर जाते है।। किसी को याद कर के इन वीरानियों में मुस्कुरा लेते है। राहें तो तन्हा वक़्त से थी यादों ने उनकी इसे नाकाबिल कर दिया।। कभी किसी के साथ कि जुस्तजू ही बहुत थी। तनहाइयों ने इस जुस्तजू को ही  कहीं दफन कर दिया।। अकेले चले तो बड़े गरूर से थे के निकल जायेंगे कही। जो न हुआ तो भी वक़्त से हालात को मनवाएँगे कही।। हम तो क्या तन्हा होते अपनो ने ही तन्हा हमे किया कही। जिससे उम्मीद थी वो ही फरेब दे गया हमे कही।। हमनें कब चाहा था इस भरी दुनिया मे अकेले हो कहीं। ये बदनसीबी ही थी के जिसे चाहा बीच रास्ते तन्हा कर गया कभी।। कितने तो  करीब आये और दूर हो गये ये सभी। हम तो शायद तन्हा थे अपनो की प्यास जगाई सब ने कभी।। हम ढूंढते रहे अक्स अपना उनमे और वो ठुकरा के चले  गये। फिर यादों ने हमको तनहाइयों में जा मगरूर बना दिया।। तनहाइयों में उन्हें ही खोजते रहे और बस उनसेे दूर हो लिये। यादे सिमट सिमट गई और हम भी भूल चले उन छोड़ी हुई गलियों को कही।। तन्हा हुए इतने की हम छोड़ चले सबको। कोई

नीलगिरी की वादियां।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 कभी नीलगिरी की वादियों में शाम जवां होती है। साथ मे हम और महफ़िल जवां होती है।। सर्द हवाएं तन को छू के मचलती चलती है। हम भी इस खुशगवार महफ़िल में चले आते हैं।। कुछ अपने से कुछ मौसम से बतियाते है। वो जो मुझे छू के निकलती है हम दौड़ पड़ते।। ये नग ए जबल ने बहार खास फैलाई हैं। ये फूलों की महफ़िल उसी ने सजाई है।। भांति भांति की महक हर तरफ फैली हे। रंगों की तो न  पूछो जितने सोचो उतने खिले है।। हर तरफ गुलिस्तां ए चमन खूब महका हुआ है। कुछ खास सब ये रूप रंग लिए से खिले है।। एक तरफ गुलाबों ने भी जम के डेरा डाला है। न जाने कितने खूबसूरत से रंग लिए है।। आकाश में बादलों की चहल कदमी जारी है। न जाने कितनी नई नई आकृतियों बन मिट रही।। हवाओं ने भी कम जोर नही लगा रखा है अपना। बादलों को उड़ाती अठखेलियाँ  कर मजे कर रही।। हम भी इन्हें झूमता देख मचल मचल रहे। वादियों की खुशबू का आनन्द बखूबी से ले रहे।। नीलगिरी के नैसर्गिक सौंदर्य जी भर पान कर रहे। हर एक ऊंचाई में हवा का रुख देख रहे।। सफेदे के भी जंगल होते है ये समझ रहे। बनस्पतियां पर्वतों में समाई है लुत्फ ले रहे। यह

सेहत का राज।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 ये लाला जी और लालाओं की बात निराली है। कुछ तोंद तो कुछ शक्ल हमारी साह ख्याली  है।। आज जहाज़ पे चढ़े और धम्म से बैठ गये। सीट भी एक बार को दम भर ली बड़ी जोर से।। जहाज़ उड़ा आसमान की ऊंचाइयां चूमी उसने। तभी यहां प्लेटें खुली डब्बे खुले फ्लाइट स्पाइस में।। परांठे प्लेटों पे सजने लगे  इतने में मक्खन का डिब्बा खुला। आधा परांठा और लालयन ने क़वाटर मक्खन जड़ दिया।। एक पति एक सास एक ससुर एक ननद के नाम कर दिया। बच्चा चिल्लया माँ मेरा परांठा कहां है।। लाली ने प्यार से देखा और परांठा अब मक्खन से लबा लब हो गया। सारा प्यार  माँ ने मक्खन में डाल परांठे संग प्लेट मे डाल दिया।। भरे पूरे बच्चे ने भी चबा चबा खा सारा प्रेम तुरन्त निगल लिया। सास पति ससुर ननद नंदोई साइज में बराबर थे भाई।। खा पी के पचाना भी था सो एयरहोस्टेस नज़र आ गयी। गर्म पानी मंगाया गया पहले एक कप फिर छे कप।। खाली प्लेटें इक्कठी हो गयी सीट के नीचे पहुंचा दी गयी। कुछ देर बादों एयरहोस्टेस प्री बुक मील ले के आ गयी।। सासु मां की बांछे खिल आयी बोली बेटी या में का मिलेगा। इतने में वेजमील की ट्रे सामने आई जूस भ

मास्टर जी।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 ये मास्टर जी भी बड़े कमाल के होते है जनाब। जहां मौका मिलता है शिक्षा दे डालते है बस ।। वक़्त का तकाजा है और मास्टर बदल गए है। विद्यार्थी वही के वही  ढोर से कुछ रह गये।। मास्टर पढ़ाने से कहीं बड़ा चूक गए है। विद्यार्थी नटखट के नटखट बेपरवाह रह गए।। मास्टर आज कल ट्यूशन के ज्यादा एक्सपर्ट हो गए है। विद्यार्थी बेचारे बिना टीयूशन बेकार हो गए है।। मास्टर के डंडे से क्या खौफ आता था हमको। आज कल तो मास्टर ही घबराये फिरत रहे है।। कभी हमे चोक डंडी छिटी डंडे का खौफ खाया करते थे। आजकल तो  सुना है अपन के बापू की चलती है।। पहले शिक्षक विद्यार्थी का पहला अधिकारी हुआ करता था। आजकल तो माता पिता ही स्कूल में अधिकारी बने बेठे है।। प्रार्थना के साथ हमे व्यवहारिक ज्ञान रोज मिलता था। आज व्यवहार तो बच्चे छोड़ अब सब मास्टर भी भूले बेठे है।। हम पड़ा करते थे शिक्षार्थ आइये सेवार्थ जाईये। अब तो पैसे लगाइये अच्छा स्कूल बच्चे के नाम लिखाइये।। किसे पड़ी है तुम्हें समग्र शिक्षार्थ करने की। जब कोचिंग की किताब ही सब मूल हुई जाती है।। हम तो आज भी वही मास्टर शिक्षक ढूंढ़ रहे है। जो हा

तारीफ के पुल।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 तारीफ के पुल कितने बांधे बांधते गये। हम बांधते गये वो ढहाते रहे ढहाते गये।। हम दूर बेठे लुत्फ लेते रहे वो गुस्सा रहे। उनको सब नकारना था  नज़ारा लेना था।। दिल मे बहुत कुछ था जो मन से कहना था। उन्हें सुनना न था और हमे सुनाना ही था।। जिससे इश्क़ हो जाये वो हाले दिल ही है। जिसे वो सुनाया जाये वो मोहब्बतें नूर है।। तारीफ तो हम इश्क़ की करते है। वो अपनी समझते है ये उनकी नादानी है।। लुत्फ तो हम अपने इश्क़ का लेते है। वो इशारा समझते है ये उनकी परेशानी है।। आरजुयें कब तक रहेंगे दिलो में। ये हर वक़्त तुम्हारी पनाहें ढूंढती है।। तुम कितना भी दूर कर लो पनाहों से। ये आरजुये फना होगी तेरी पनाहों में।। हम नादान ही रहेंगे तुम्हे समझने में। तुम जितना भी समझदार बन समझाओ हमे।। ये खालिस इश्क़ का जोर है मोहतरमा। इससे दिलों को ढाया है ये समझ लीजिये।। न जोर तुममें कम है हमे दूर करने का। न जोर हममें कम है तुम्हारे पास आने का।। इनके ख्याल मगरूर हुस्न की रवायत है। हमारे ख्याल पामाल नही के नाशाद हो बेठे।। ये मेरा पशेमान होकर फ़ज़ से गुजरना तेरे दिल की आवाज़ है। और अगर ये

जन्मदिन मुशायरा।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 जन्मदिन भी क्या मुशायरा है। महफ़िल सजती है मुबारकेँ होती है।। दिन में दोस्तों से महफ़िल सजती है। शाम कुछ अपनो में रंगीन होती है।। सुबह का आगाज़ होते ही बधाई आती है। सांझ होते ही बधाई जम के मनाई जाती है।। कही तो तोहफे शब्दों की राह पकड़ते है। कही ये पत्रों कार्डो गिफ्टों से सजते है।। कही ये आस तो कहीं प्यास लिये होते है। ये वो तराने है जो झूम के बजते है। आप भी गाते हो शामिल हो लुत्फ लेते है।। तारीफों के पुल बंधते है आप करीब आतें है। कुछ दूरियां केक का एक पीस मिटाता है।। मोमबत्ती बुझाते ही मन रोशन हो जाता है। तालियां बजती है दिल खुश हो जाता है।। मन बार बार कहता है हम भी अगर बच्चे होते। बचपन कुछ वक्त के लिए फिर लौट आता है। मुशायरा और भी हसीन से हसीन हो जाता है।। जन्मदिन के शायर को किसी का प्यार मिलता है। कभी किसी का दिल से प्यारा आशीर्वाद मिलता है।। हर उम्र में उमंगे कुछ क्षणों की जवानी लेती है। बड़े हो या बच्चे सब आप के चेहरे पे केक का दंगल करते है। कुछ प्यार से लकीर मारते है बाकी केक से चेहरा मसाज करते है।। स्कूल कॉलेज में तो गिनके बम्प मिलते ह

ये नींद नही टूटनी चाहिये।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹 कुछ भी हो जाये ये मेरी नींद नही टूटनी चाहिये। सामने दौलत पड़ी हो चाहे अप्सरा खड़ी हो भले।। मुकद्दर बहुत बेहतर हो या ऐश्वर्य द्वार खड़ा हो। कुछ भी हो जाये नींद नही टूटनी चाहिये।। बालाएँ रिझाती हो सोमरस मन पिघलाता हो। धूम्रपान भीतर समाने को आतुर हो मन तैश खाता हो। कुछ भी हो जाये मेरी ये नींद नही टूटनी चाहिये।। दोस्त बहकाने को प्रयत्नशील हो या माहौल ही रंगीन हो। बेईमानियों का चारों और मेला लगा हो नोट नाचते हो।। झूठ मन बहलाने को आतुर हो फरेब की चादर रखी हो। कुछ भी हो जाये दोस्तो ये नींद नही टूटनी चाहिये।। अविद्या मेरेे चारो और फैली मुझे ललचा लूटने को तैयार हो। रिश्ते फरेब कर लूटने मारने के मंसूबो से तैयार होते हो।। छल कपट की दुर्गंध मेरे भीतर समाने को आतुर हो। कुछ भी हो जाये मगर मेरी नींद नही टूटनी चाहिये।। धोखे हर वक़्त मेरे पे सवार होने को प्रयत्नशील हो। व्यवस्थाएं मुझे बहकाने के लिए यत्नशील हो।। अकाल मुझे काल के ग्रास से निगलने को कार्यशील हो। कुछ भी हो जाये यार मेरी ये नींद नही टूटनी चाहिये।। ये नींद है मेरी सचाई की जिसे मैं उम्र भर सोने को आतुर

व्यवस्ततायें।

🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣ व्यस्ततायें जीवन खींचें लिये जा रही है। हम चाहकर भी इन्हें रोकने में नाकाम रहे।। सोचा कुछ समय निकाल खुद भी जी लिया जाये जरूर। हम व्यस्त ही रहे समय अपनी गति से रहा।। जब भी कभी समय से अपने लिए  लम्हा मांगते। वो हमें चुपके से व्यस्ततायें थमा चला जाताा।। जीवन में खुद की खबर ही लेना भूल गए। जब चिट्ठी मिलीं तो सांसे आखरी दम पे थी। हम चाह के भी तो बीती उम्र बापिस न ला सके।। बहुत बार वक़्त ने चेताया रोका पर हम रूक न सके। सोचा कल देखी जायेगी पर वो कल कभी न ला सके। व्यस्तताओं ने उलझा कर अपने लिए ताला लगा दिया।। कुल मिला कर अपने मे पूरा उलझा लिय्या। मैं कोशिशों करता रहा  व्यावसताएँ हंसती रही। मैं तो फिर भी मुक्कमल रहा  व्यवस्ताओं में।। सिर्फ़ मैं नही हर कोई शख्स झूंझ रहा सुबह शाम ये देख कर। वक़्त मिला तो  व्यवस्थाओं से पूछुंगा जरूर। । हममें क्या कमी रह गईं ये तो बताओ जरूर। न कुछ कर सको तो ए वक़्त एक लम्हा ही दे दो जिसे मैं जियों तो  मन  भर के जरूर।। जय हिंद। ****🙏🏼****✍🏼 शुभ रात्रि 🌹🌹🌹🌹🇮🇳✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼