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Showing posts from September, 2019

मंजिलें।

🌹🙏❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 मंजिलें है हमसे बहुत दूर हमने भी तह करने की ठानी है। रुकावटें है बहुत मंजिलों में हमने भी पार पाने की ठानी है। कठनाइयाँ है बहुत मंजिलों में हमने भी लांघने की ठानी है। परेशानियां है बहुत मंजिलों में हमने भी गुजरने की ठानी है। रुसवाईयाँ है बहुत मंजिलों में हमने भी सहने की ठानी है। जग हसाइयाँ है बहुत मंजिलों में हमने हसने की ठानी है। अकेलापन हैं बहुत मंजिलों में अकेले ही चलने की ठानी है। दोराहे भी है बहुत मंजिलों में अपनी राह जाने की ठानी है। मोड़ भी है बहुत मंजिलों में अडिग रह जाने की ठानी है। घुमाव है बहुत मंजिलों में चकमा दे निकल जाने की ठानी है। रिश्ते भी है बहुत मंजिलों में हो सके तो निभाने की ठानी है। व्यसन भी है बहुत मंजिलों में इनसे बच निकलने की ठानी है। मोहपाश भी है बहुत मंजिलों में शायद बंधे चलने की ठानी है। घोर काली घटायें है मंजिलों में न डरने की इनसे ठानी है। बस एक जोश है अब इन मंजिलों पे पहुंचने की ठानी है। इन मंजिलों पे पहुंचने की ठानी है। जय हिंद। 💫🌟✨⚡****🙏****✍ सुप्रभात। ❣❣❣❣❣❣🌹❣❣❣❣❣❣

साहेब की व्यंगशाला।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 साहेब: निर्मला ये प्याज़ निपटा के नाही? ये पासू कोई काम वाम करता है के नही? निर्मला: पठान साहेब मदद किये है। साहेब: निर्मला तुम कमाल हो इमरान को पीट दी हो। उससे भी दूर देश से मंगवा ली हो। निर्मला। वहां आप अमेरिका में उन्हें पीट रहे थे मेने सोचा मैं भी यहां पीट दू। साहेव: नासिक वालों को मत पीट आना। निर्मला: वो तो पिटे पिटाये है साहेब। साहेब : क्या? निर्मला : कुछ नही साहेब। आप इमरान को पीटीये। साहेब:तुम कितनी समझदार हो जनता को इम्पोर्टेड चीजे खिलवा रही हो। निर्मला:साहेब सब आप से सीखा है। साहेब: ☺सच निर्मला:मुच् साहेब। साहेब: सोच रहा हूँ ये ट्रम्पवा को भी ठोकूँ? बहुत बेपेंदी का लौटा है। निर्मला: उसको आप ठोक आयें है। साहेब :कब? निर्मला: अनजान न बनो साहेब। साहेब: बोलो तो कब? निर्मला:नेतन्याहू को जैसे ठोका? साहेब:कब कैसे? निर्मला: साहेब जिस जिस से गलबहियां की उनकी वाट लगी।अब की बार.......समझे सर। साहेब: सच। निर्मला:मुच् साहेब। साहेब: तो ट्रम्पवा ठुक गवा। निर्मला: जी मालिक महाभियोग लग्गवा है। आप से व्योपार नही करेगा तो येही होगा। साहेब: ये तो मुझे

राजा हरिश्चन्द्र।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 त्रेता युग में अयोध्या में राजा हरिश्चन्द्र राज्य करते थे। वे इक्ष्वाकु वंशी थे। बाद में श्रीरामचंद्र जी भी इसी वंश में हुए। धर्म में उनकी सच्ची निष्ठा थी। और वे परम सत्यवादी थे उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी। उनके पुरोहित महर्षि वशिष्ठ थे, उनका इंद्र की सभा में आना-जाना था।देव-दानव सभी उनकी सत्यनिष्ठा के प्रशंसक थे। प्रजा उनके शासनकाल में हर तरह से संतुष्ट रहती थी। उनके राज्य में न तो किसी की अकाल मृत्यु होती थी और न ही दुर्भिक्ष पड़ता था। जब भी कोई महराज की प्रशंसा करता तो वे उसे कहते, ‘यह मेरे गुरुदेव महर्षि वशिष्ठ की कृपा का फल हैं।’ ऐसा वे मात्र कहते नहीं थे, गुरु चरणों में उनकी अत्यधिक श्रद्धा थी। एक दिन इंद्र की सभा में विश्वामित्र और वशिष्ठ के अलावा देवगण, गंधर्व, और पितर और यक्ष आदि बैठे हुए चर्चा कर रहे थे कि इस धरती पर सबसे बड़ा दानी, धर्मात्मा और सत्यवादी कौन है ? महर्षि वशिष्ठ ने कहा, ‘‘संसार में ऐसे पुरुष एक मात्र मेरे शिष्य हरिश्चन्द्र हैं। हरिश्चन्द्र जैसा सत्यवादी, दाता, प्रजावत्सल, प्रतापी, धर्मनिष्ठ राजा न तो पृथ्वी पर पहले कभी हुआ है और

एकश्लोकि महामंत्र।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 धार्मिक महीनों के त्यौहार आरंभ होने को है। सोचा आज आप को कुछ खास एक श्लोकी मन्त्रों से रूबरू करा दू।आप का मन हो तो जाप करें।ध्यान लगेगा।मन एकाग्र होगा।सुनिए.. एकश्लोकी महाभारत आदौ पाण्डवधार्तराष्ट्रजनन लाक्षागृहे दाहनं द्यूते श्रीहरणं वने विचरणं मत्स्यालये वर्तनम् । लीलागोहरणं रणे विहरण vc  सन्धिक्रियाजृम्भणं पश्चाद भीष्मसुयोधनादिहननं चैतन्महाभारतम् ॥ एकश्लोकि रामायण... आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।। एकश्लोकि भागवत ... आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्। माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।। कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्। एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।। अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे। श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।। एकश्लोकि दुर्गासप्तशती... या अंबा मधुकैटभ प्रमथिनी,या माहिषोन्मूलिनी, या धूम्रेक्षण चन्ड मुंड मथिनी,य

मेरी प्रार्थना।

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹 नाम तेरा हे ईश्वर लेकर मेरी प्रार्थना का आरंभ हो। तुझसे सारी सीख मिलेे तुझसे सारी शिक्षा मेरी पूरी हो। मन मे उपजे क्रोध को तेरे ज्ञान से निकाल बाहर करूँमैं। इतना मुझे तू मजबूत बना दे है ईश्वर  इसमे सफल हो सकू मैं। मानव की सेवा में जीवन का कुछ अंश दे तर जाने की राह पकड़ सकू में। जीव के भरण पोषण में अपना योगदान उत्तम दे सामाजिक कहलाऊँ मैं। ले सत्य का दृढ़ संकल्प झूठ से हमेशा दूरी बनाऊं मैं। मात पिता की सेवा से जीवन पर्यंत आशीर्वाद पाऊं मैं। गुरु के चरण वन्द कर रोज सीस झुका आशीर्वाद पाऊं मैं। शुद्ध हो चरित्र मेरा समृद्ध हो मन मेरा ऐसा बन जाऊं मैं। जीवन से मिली हर चुनौती को सब के आशीर्वाद से पार पाऊं मैं। जीवन के नियमों से जीवन पर्यंत बंधा उत्तम जीवन पाऊं मैं। सब आदर सत्कार कर सकूं इतना जीवन मे प्रेम रस उपजाऊ मैं। देश के लिये मुझे  एक वीर सा जीवन मिले इसे न्योछावर कर पाऊं मैं। काम क्रोध लालच हिंसा प्रतिकार जैसी सोच को दूर भगाऊँ मैं। मेरी प्रार्थना आज सुन ले कर दे मुझे भी पवित्र तुझमे ही समाऊं मैं। नाम तेरा हे ईश्वर लेकर मेरी प्रार्थना का आरंभ हो। तुझस

भारतीय संविधान भाग 9 अनुच्छेद 243 "पंचायत"

🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 9 अनुच्छेद 243 पंचायत 243. परिभाषाएं —इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,– (क) “जिला” से किसी राज्य का जिला अभिप्रेत है ; (ख) “ग्राम सभा” से ग्राम स्तर पर पंचायत के क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी ग्राम से संबंधित निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकॄत व्यक्तियों से मिलकर बना निकाय अभिप्रेत है ; (ग) “मध्यवर्ती स्तर” से ग्राम और जिला स्तरों के बीच का ऐसा  स्तर अभिप्रेत है जिसे किसी राज्य का राज्यपाल , इस भाग के प्रयोजनों के लिए , लोक अधिसूचना द्वारा, मध्यवर्ती स्तर के रूप  में विनिर्दिष्ट करे ; (घ) “पंचायत” से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए  अनुच्छेद 243ख के अधीन गठित स्वायत्त शासन की कोई संस्था (चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो) अभिप्रेत है ; (ङ) “पंचायत क्षेत्र” से पंचायत का प्रादेशिक क्षेत्र अभिप्रेत है ; (च) “जनसंख्या” से ऐसी अंतिम पूर्व वर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए  हैं ; (छ) “ग्राम” से राज्यपाल  द्वारा इस भाग के प्रयोजनों के लिए, लोक अधिसूचना द्वारा, ग्राम के रूप  में व