🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 ओ महाराज सुनो! कहो मोटू.... सुना है साहेब लासल गांव में मंडी सजी हुई है। बिचौलियों की बांछे खूब खिली हुई है। चुनावी खर्च की जो भरपाई हो चली है। एक गरीब किसान कुदरत से लड़ता आता है बेचारा। खूब धूप में पांच सौ छब्बीस किलो प्याज लदवाता है बेचारा। बड़ी उम्मीद से दोपहर की रोटी ले घर से चलता है बेचारा। सोचा कल की रोटी का भी इंतजाम कर लाऊं? इसी उम्मीद में.. किसी तरह घर से चालीस मील मंडी पसीने में लथ पथ पहुंचता है बेचारा। अपनी मेहनत से उगाई लाल प्याज को तुलवाता है बेचारा। अरे पांच सौ छब्बीस किलो है तुका राम चवन साहिब। पर्ची ले किसान खुशी से आड़ती से मिलता है बेचारा। लो तुका राम ये चेक और पंद्रह दिन बाद लगा लेना। दो रुपिया बने है इसे जल्दी से भूना लेना। तुका राम की गहरी आंखों संग निराशा माथे पे आई थी। जो पांच सौ छब्बीस किलो प्याज वो लाया था उसकी पांच सौ रुपए ढुलाई थी। चौबीस रुपए की पर्ची मंडी में कटवाई थी बाजार का आज भाव भी एक रुपए किलो का था ये उसको कहां पता था। बाजार की पर्ची काट कर हाथ में दो रुपिया की बड़ी रकम आई थी। तुका राम की नस काटो तो मानो खून