🌹🙏♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️🇮🇳♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️✍️🌹 हर शख्स आजकल कुछ डरा सा हुआ है। हर और कुछ नफरती माहौल बना सा हुआ है। हर और एक अजीब सी दहशत का साया हुआ है। हर किसी के मन में अजीब सा क्रोध पनप रहा है। हर तन मानवता को शर्मशार करने पे तुला हुआ है। हर और हर चीज में एक खोट सा नजर आता है। उफ्फ ये क्या हो रहा है मन से मन जुदा हो रहा है। दोस्त अब कौन है ये गुजरे जमाने की बात है। हर और मतलब परस्ती का मौहल सा बना हुआ है। रिश्तों की डोर भी बहुत ढीली सी हो गई है। पैसों का रिश्तों की डोर पे वजन सा पड़ा हुआ है। रुतबे की सरकार है सब दफन सा किया हुआ है। हर और अजीब सी कर्कश चीखें सुनाई देती है। हर इंसान पता नही कौन सा हैवान बना हुआ है। समय तो प्रगति का है पर सोच का पतन हुआ है। घोर कलयुग सुना था अब साक्षात सा हुआ है। न जाने कब प्रकृति को एक बार ख्याल आयेगा। शायद तभी सतयुग लौट कर फिर आयेगा। एक राम भी होगा मर्यादा भी होगी समय भी होगा। इसी इंतजार में इंसान फिर शायद लौट के इंसानियत पे आयेगा। धन्यवाद। शुभरात्रि। ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️🌹♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ जय हिंद। "निर्गुणी"