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Showing posts from September, 2021

वादा।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के किसी की हसरत टूटे नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है किसी के दिल को चोट पहुंचे नहीं। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते हैं के किसी की खुशी रूठे नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के कोई तारीख छूटे नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के कोई आंख मिलाने से जिझके नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के कल कोई लांछन लगाये  नहीं। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के हम कभी मुकरें नहीं। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के रिश्तों की डोर टूटे नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है कोई अपना मन मनोसे नहीं। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के रिश्तों में कोई गांठ पड़े नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के किसी का विश्वास हममे कम हो नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है के आपस का आदर सत्कार गुमे नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है अपनो को खोने का डर  हो नही। बहुत सोचते है जब वादा करते है। देखते है वादा बहुत मुक़दस चीज़ है के नह

इल्म की दुनिया।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ मैं काबिल हो जाऊं कुछ मेरा मुक़द्दर भी बदल जाये ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ सलीके मैं समझ जाऊं कुछ  बेहतर बन सकूं ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ तखसीस हममें रोशन हों और ह कुछ महक भी जायें ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ एहसास जमीर के हममें जगे और  कुछ हम बेपरवाह न हों ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ बुराइयों से लड़ सकें कुछ बुराइयां वाशरा दफन कर सकें ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ इस नस्ल को बेहतरी बक्श सकें कुछ आने वाली को बेहतर दे सकें ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ नफरतों का दौर खत्म कर सकें कुछ आने वाला बेहतर बना सकें ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श दे ए खुदा । कुछ तेरी खुदाई समझ सकें कुछ दुनिया को खुदा से इश्क़ समझा सकें ए खुदा। कुछ इल्म की दुनिया में मुझे भी इल्म बक्श

रामकन्द रामबांस।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 काफी समय हुआ जब मैं पहली बार औंकारेश्वर की यात्रा पे गया । वहां नर्मदा पे पुल के किनारे एक व्यक्ति बड़ा सा पेड़ का तना रखे बैठा था। ऐसा मुझे लगा। चौंकिए मत मेरे साथ ऐसा ही हुआ। उसे छील छील कर पांच रुपया में बेच रहा था। मैं खाने पीने का शौकीन और जिज्ञासु तो हूँ ही। मैंने भी लिया। गन्ने के रस जैसा स्वाद मगर हल्का मीठा था। मैंने पूछा भाई क्या है ये। बोला "रामकन्द"। रामकन्द ओह। इसका नाम कैसे पड़ा ये? बातें बहुत की उससे बस आप को प्रश्न ही बता रहा हूँ। बोला भगवान राम इसे बनवास काल मे खाया करते थे। उनकी ही खोज थी। सो उनके नाम पे ही पड़ गया। ये तो पता है उन्होंने कन्द मूल खाकर बहुत वक़्त जंगलों में गुजारा। तो ये संभव लगा।अगली कुछ यात्राओं में भी खाया।  अब बारी आती है इसपे शोध की। एक बात जान लीजिए भारत मे इसपे शोध भी कम हुए है और लेख भी। ये बहुत से नामो से भारत के बड़े हिस्से में पाया जाता है। गोआ में तो उगाया भी खूब जाता है।चलो और गहरा गोता लगाते है।  1980 में, भारत की वनस्पति विज्ञानियों ने इसके पहचान को एक    चुनौती के रूप में लिया  था । वे जनता क

पत्रकार।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है। रह रह कर सबको डरा रहा है। पटाखे कहीं और फूट रहे है आवाज़ यहां सुना रहा है। पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।। सारा इतिहास अपने हिसाब से सुना रहा है। जो खुद को समझ आया वो ही पढ़ा रहा है। कुछ जेब भर के खास की सलाह सुना रहा है। पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।। आवाज़ अपनी बुलंद कर विरोध दबा रहा है। एक को देशभक्त दूसरे को देशद्रोही ठहरा रहा है। एक ही मुल्क की जानो को रोज लड़वा रहा है। पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।। जो घट रहा उसकी हकीकत से ये दूर हो रहा है। आम आदमी पिस रहा और मजबूर हो रहा है। अंधी आधी पढ़ी फौज को  पागलपन हो रहा है। पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब जो गिरा रहा है।। जो बंदूक चली नही उसकी गोली आपके सीने में ठोक रहा है। मुद्दों पे ध्यान न जाये इसकी पुरजोर कोशिश कर रहा है। खुद को सही साबित हर तरह से कर रहा है। पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।। कही चंदा बन्द न हो जाये सो कीमत चुका रहा है। सब अंधे बने रहे उसकी प

सपनों का सौदागर।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। जिसने जो मांगा कभी मना किया नही हुआ तो दिया न हुआ तो पछताया नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। यारों का मान कभी तोड़ा नही कुछ मांगा तो जो बन सके से पीछे हटा नहीं। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। कुछ की आस ही बस मुझसे है जिसे कभी झुठलाया नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। कुछ के इस्तमालों में रह कर भी उन्हें कभी जताया नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। कुछ उम्मीद की दुनिया बना लेते है मेरे से उन्हें कभी धोखा दिया नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। कुछ के सपने भी साथ लेकर चला हूँ मैं जिन्हें कभी तोड़ा नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। कुछ रिश्तों में शायद एक वजह हूँ मै उन्हें कभी मरोड़ा नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं। कुछ से मोहब्बत भी पाता हूँ  उनसे कभी मुँह मोड़ा नही। कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बे