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Showing posts from December, 2020

क्रिसमस- पचास रोचक तथ्य।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 क्रिसमस पर पढ़ते पढ़ते मुझे ये 50 रोचक तथ्यों का आर्टिकल मिला । समझता हूँ आपको पसंद आयेगा। कुछ बाते में लिख भी चुका हूँ। बहुत बाते जानकारी योग्य है। 1. क्रिसमस के अवसर पर हर वर्ष तीन बिलियन क्रिसमस कार्ड केवल अमेरिका में भेजे जाते है। तो सोचो पूरी दुनिया मे कितने भेजे जाते होंगे। 2. सेंटा क्लॉज़ जिस वाहन पर बैठकर आता है, उसको रेनडियर चलाता है। उस रेनडियर को रूडोल्फ, बिल्ट्ज़न, क्यूपिड, डोनर, कॉमेट, विन्सन, प्रेन्सर, डांसर, डेसर आदि कई नामो से जाना जाता है। 3. 20वी सदी में इंग्लैंड ने केवल 7 वाइट क्रिसमस देखी है। वाइट क्रिसमस का मतलब है, जब इंग्लैंड के लंदन वेदर सेंटर में बर्फ रुई की तरह गिरती है। 4. कुछ पुरानी कथाओं के हिसाब से लोगों का मानना है कि, क्रिसमस के दिन बनाई गई डबलरोटी पर फफूंदी कभी नही लग सकती है। 5. पहली बार 1957 मे इंग्लैंड की महारानी की पहली क्रिसमस की स्पीच को टी वी पर प्रसारित किया गया था। 6. क्रिसमस क्रैकर का चलन टॉम स्मिथ  ने 1847 में क्रैकर का आविष्कार करके किया था। 7. क्रिसमस के त्योहार के दिन रिवाज के तौर पर लोग रोस्टेड आलू, सो

क्रिसमस ट्री।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 क्रिसमस में कुछ खास चीजों का महत्व बढ़ गया है। समय के साथ उन्होंने अपना हिस्सा मजबूत कर लिया है। उसमें से एक है क्रिसमस ट्री।दुनिया मे अब ये व्योपार का बड़ा हिस्सा है । आज की आनंद चर्चा इसी पे है क्रिसमस का त्‍योहार हम सभी के जीवन में एक नई तरह की खुशियां और उमंग लेकर आता है। ईसाइयों के साथ-साथ अन्‍य धर्म के लोग भी इस दिन क्रिसमस ट्री अपने घर लेकर आते हैं और उसे सजाते हैं। मगर कभी सोचा है कि आखिर इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई और क्‍या है क्रिसमस ट्री को सजाने का इतिहास? आज क्रिसमस के मौके पर हम आपको क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा के बारे में बताते हैं और ले चलते हैं आपको सदियों पुराने इतिहास मे!हम जानते हैं दुनिया भर में क्रिसमस को प्रभु यीशू के जन्‍मदिन के तौर पर मनाया जाता है। बच्‍चों के बीच में इस त्‍योहार का विशेष उत्‍साह देखा जाता है। बच्‍चों के मन में यह उमंग रहती है सांता क्‍लॉज आएंगे और उनके लिए गिफ्ट लाएंगे। और फिर क्रिसमस ट्री को सजाने में भी छोटे-छोटे गिफ्ट के बॉक्‍स का प्रयोग किया जाता है। रंग-बिरंगी अन्‍य सजावटी चीजों से क्रिसमस ट्री

सैंटा क्लॉज़।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कल क्रिसमस पर लिखा था। अब एक अहम किरदार जो इस त्यौहार से जुड़ा है उसके बारे में जाने। हमारी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई तो वहां इसपे कोई ज्यादा ज्ञान उपलब्ध नही कराया गया। मगर जब हम दिल्ली आकर रहने लगे आस पास के माहौल में थोड़ा परिचय हुआ।परसों छोटे बेटे ने एक फरमाइश कर जुराब रख दी। औऱ कहा जो मांगी गई चीज़ है चुपके से इसमें रख देना। सुबह जब उठ कर लूंगा तो मेरी विश पूरी हो जायेगी। हम सब जोर से हंसे और वादा भी कर दिया। अब लगता है सैंटा आ ही गये।आज की आनंद चर्चा इसी पे है। सैंटा क्लॉज़ एक ऐसा नाम जो हम मानते थे कि सैंटा क्लॉज़ आएंगे और हमारे लिए ढेरों गिफ्ट लेकर आएंगे। कुछ बच्चों को तो गिफ्ट मिला भी करते थे क्योंकि उनके माता-पिता सैंटा क्लॉज़ बनकर उन्हें गिफ्ट दे दिया करते थे और उन्हें लगता था कि गिफ्ट सेंटा क्लॉज़ लेकर आया है। हर साल गिफ्ट की उम्मीद में हम क्रिसमस बच्चे शौक से मनाते है। तो हमे भी जानना चाहिए आखिर सैंटा क्लॉज़ है कौन? क्रिसमस को लेकर एक लंबा इतिहास रहा है वैसे तो यदि कैलेंडर में देखा जाए तो हर दिन के  बीच एक नया इतिहास है लेकिन आज हम बात क

मैरी क्रिसमस।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 क्रिसमस का त्यौहार बचपन से मनता देखता आ रहा हूँ। जब हम दयानंद कॉलोनी दिल्ली में रहते थे सन 1983 तब ईसाई धर्म का प्रचार जोरों पर था। कुछ जापानी इसका प्रचार करते सामग्री बांटते थे। और फिर 25 दिसंबर को खूब रौनक करते थे। थोड़ा और मैंने जाना जब ऐनी हमारे साथ वाले कमरे में रहने आयी सन 1988। मगर बेहतर मजा लिया फरीदाबाद में। मैं त्यौहारों को आनंद का पर्व मानता मनाता हूँ। हमारे पड़ोसी थे अंकल जॉर्ज। लम्बा साथ रहा उनका पारिवारिक रिश्ता आज यथावत कायम है। वे अब केरला अपने घर चले गए है। बच्चे यहीं रहते है।प्यारे से नाम है जोसी एंव जोमी। हर साल 25 दिसंबर की शाम संगीत वाद्यों के संग घर आ के कैरोल गाते  मेरी क्रिसमस कहते थे। उनका एक ग्रुप था। घर ने बना केक खाने को मिलता था। एक बार उनके साथ चर्च का प्रोग्राम भी देखा था। बहुत ही आनंद के क्षण थे। आज भी आनंद के क्षण है।आज की आनंद चर्चा भी इसी पे है। क्रिसमस शब्‍द का जन्‍म क्राईस्‍टेस माइसे अथवा ‘क्राइस्‍टस् मास’ शब्‍द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्र

नई सड़क- चांदनी चौक।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 बहुत समय बाद बिटिया के साथ नई सड़क जाना हुआ। स्कूल कॉलेज की यादें लौट आयी। बाजार बस कुछ बदला बदला सा लगा। जब नई किताबों के पैसे मुश्किल से जुटते थे तो दो जगह समझ आती थी। दरियागंज की रविवारीय पटरी मार्किट या फिर नयी सड़क। दोनों जगह से मैंने किताबें खरीदी और पढ़ी है। समय बीतता गया और चांदनी चौकं का इलाका व्यवसाय की उलझनों संग ही देखा जाता रहा। सालों बाद उसी तलाश में नई सड़क को फिर से देखा। एक खास जगह पुरानी किताबों की। पतली गली!जानने वाले समझ गए होंगे पतली गली की सरदार जी की दुकान की बात कर रहा हूँ। बाकी अब नई सड़क रेडी मेड कपड़ो की मार्कीट में ज्यादा तब्दील हो गयी है। पहले शायद मामला फिफ्टी फिफ्टी था। अब अस्सी बीस हो गया है। मगर नह बदली तो पटरी की चाट छोले कुलचे मूंगदाल लड्डू वाले। वहीं है वैसे ही है। कॅरोना के डर की वजह से बच्ची ने कुछ खाने ही नही दिया इस पेटू को। खैर किताबें लेने के लिये पतली गली को आंखें ढूंढ रही थीं।जैसे ही नज़र आई अंदर हो लिये। बेटी जोर से हंसी यहां कहाँ किताबें। पतली गली इतनी पतली है के एक आदमी ही आराम से निकल सकता है। खैर बोले बच

कुछ खास मशहूर शायरी कलाम आपकी नजर।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷💔🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ बहुत खूबसूरत शायरी कलाम  जो लिखा है मुज़्तर ख़ैराबादी ने। कभी कभी गुनगुना लेते है। न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ। कसी काम में जो न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ ।। न दवा-ए-दर्द-ए-जिगर हूँ मैं न किसी की मीठी नज़र हूँ मैं। न इधर हूँ मैं न उधर हूँ मैं न शकेब हूँ न क़रार हूँ ।। मिरा वक़्त मुझ से बिछड़ गया मिरा रंग-रूप बिगड़ गया। जो ख़िज़ाँ से बाग़ उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ ।। पए फ़ातिहा कोई आए क्यूँ कोई चार फूल चढ़ाए क्यूँ । कोई आ के शम्अ' जलाए क्यूँ मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ।। न मैं लाग हूँ न लगाव हूँ न सुहाग हूँ न सुभाव हूँ । जो बिगड़ गया वो बनाव हूँ जो नहीं रहा वो सिंगार हूँ ।। मैं नहीं हूँ नग़्मा-ए-जाँ-फ़ज़ा मुझे सुन के कोई करेगा क्या। मैं बड़े बिरोग की हूँ सदा मैं बड़े दुखी की पुकार हूँ ।। न मैं 'मुज़्तर' उन का हबीब हूँ न मैं 'मुज़्तर' उन का रक़ीब हूँ । जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ जो उजड़ गया वो दयार हूँ।। 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

कद्दू।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कद्दू सुनते ही हंसी से आ जाती है। अकसर मोटे लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिए और छोटे बच्चों को प्यार से हम कद्दू कह देते हैं। इसे काशीफल भी कहा जाता है, ज़्यादातर लोग इसे पसंद नहीं करते, ना ही ये कोई बहुत मेहेँगी सब्ज़ी है पर ये होता बहुत ही लाभकारी है। प्रकृति ने अपनी इस 'गोल-मटोल' देन में कई तरह के औषधीय गुण समेटे हैं। इसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस में 'पेट' से लेकर 'दिल' तक की कई बीमारियों के इलाज की क्षमता है। हमारे यहां विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर कद्दू की सब्जी और हलवा आदि बनाना-खाना शुभ माना जाता है। उपवास के दिनों में फलाहार के रूप में भी इससे बने विशेष पकवानों का सेवन किया जाता है। हमारे पूर्वजों ने भी कद्दू के इन औषधीय गुणों को बहुत पहले ही पहचान लिया था और यही कारण है कि हमारे देश में, खासतौर पर उत्तर भारत के खान-पान में, इसे विशेष महत्व दिया जाता है। भारत में कद्दू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें उनके आकार-प्रकार और गूदे के आधार पर मुख्य रूप से सीताफल, चपन कद्दू और विलायती कद्दू के वर्गों में बा

चौलाई।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 चौलाई जिसे अंग्रेज़ी  ने आमारान्थूस् भी कहते है। यह पौधों की एक जाति है जो पूरे विश्व में पायी जाती है। अब तक इसकी लगभग 60 प्रजातियां पाई व पहचानी गई हैं, जिनके पुष्प बैंगनी एवं लाल से सुनहरे होते हैं। गर्मी और बरसात के मौसम के लिए चौलाई बहुत ही उपयोगी पत्तेदार सब्जी  और अनाज भी  है। अधिकांश साग और पत्तेदार सब्जियां शीत ऋतु में उगाई जाती हैं, किन्तु चौलाई को गर्मी और वर्षा दोनों ऋतुओं में उगाया जा सकता है। इसे अर्ध-शुष्क वातावरण में भी उगाया जा सकता है पर गर्म वातावरण में अधिक उपज मिलती है। इसकी खेती के लिए बिना कंकड़-पत्थर वाली मिट्टी सहित रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त रहती है। इसकी खेती सीमांत भूमियों में भी की जा सकती है। इसका वैज्ञानिक वर्गीकरण इस तरह से है आमारान्थूस् कौदातूस् :वैज्ञानिक वर्गीकरण जगत:पादप विभाग:माग्नोल्योफिता वर्ग:मग्नोल्योप्सीदा गण:कार्योफिलालेस् कुल:आमारान्थासेऐ उपकुल:आमारान्थोईदेऐ वंश:अमरन्तुस एल चौलाई अनाज शरीर में बहुत अधिक वसा को जोड़े बिना कई विटामिन, खनिज और प्रोटीन के एक महान स्रोत में समृद्ध है। चौलाई कई महत्वपूर्ण विट

सरकार तुसां ग्रेट हो।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 सरकार तुसां ग्रेट हो जिथै देखो लुट पायी जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो जिथै देखो वंडे पायी जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो गरीबां नु सपने वखाई जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो बाजयां नु पागल बनाई जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो जिंदगी नु ब्रेक लाई जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो इक दे सौ मर्ज़ी खर्ची जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो धर्म नू गुरुआ नु समझाई जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो जमीर द बाजार लगाई जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो सारयें अखां धूल पायी जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो इज़्ज़त द मखोल उड़ाई जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो सौ प्याज़ सौ जूत्ते  खलाई जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो अंग्रेज़ी हकूमत नु दिखाई जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो ठंड च ठंडे पानी नौयये जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो ऐदीउदै ऊदीऐदे  सिर पायी जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो बरोद नु द्रोह नाल दबाई जांदे हो। सरकार तुसां ग्रेट हो नवें असले गरीबां दबाई जांदे हो।। सरकार तुसां ग्रेट हो खाते नोटां वोटां बट्टी जाने हो। सरकार तुसां ग्रेट हो अपने विरोधां लॉ बनाई जांदे हो। सरकार तुसा

पैगाम ए इश्क़।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 इश्क़ मोहब्बत सौ पैगाम लाती है। दिल से दिल को बाखुदा मिलाती है।। हर हसरतों का मुक्कमल जहां है ये। हर और फूल खिलते दिल बहलते हैं।। तेरी सूरत में अपना गुलसितां मयस्सर होता है। जहन में तुम बसी हो जो सारा जहां जन्नत होता है।। यादें भी इतनी खूबसूरत है तन्हाईयों में साथ होती है। उलझाये रखती है अपने मे खलिश गुसार करती हुई सी।। इश्क़ की दास्तान रिवायतों में कब किससे बंधी है। हुआ तो तोड़ दी न हुआ तो बस मोहज़्ज़ब कहलाये।। इश्क़ भी बड़ी बेमुरव्वत आरज़ूयों की फेहरिस्त है। ख़्वावों की महफ़िल है रोज़ सजती है जी जाती है।। इश्क़ की महक भी दिलोबाग़ को रोशन किये है। सोचों पे काबिज़ हो वक्त के तक़ाज़े शहीद किये है।। मसरूफियत इतनी की सब काम नाकाम किये है। जानो हाले दिल तो ये कलाम नज़र हम तेरी किये हैं।। जय हिंद। ****🙏****✍️ शुभ रात्रि।। "निर्गुणी" ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🌹❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️

लोबान।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 लोबान या लोहबान की बेहतर जानकारी मुझे अपने भोपाल प्रवास के दौरान दुर्गा पूजा के समय हुई। इसकी सुगंध ने मुझे बहुत आकर्षित किया। ये एक ज्वलनशील सुगंधित औषधीय गुणों से भरपूर गोंद है । यहां इसका उपयोग शव दहन के समय भी किया जाता है। आज की आनंद चर्चा इसी पे है। लोहबान को आमतौर पर लोबान भी कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे सुमात्रा स्नोबैल  और गम बेंजॉइन के नाम से भी जाना जाता है। आप ने अक्सर धूप जलाने या धूप-अगरबत्ती में मौजूद तत्व के रूप में इसका नाम जरूर सुना होगा। लोहबान का उपयोग सिर्फ सुगंध और महक के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसमें कई चिकित्सीय गुण भी होते हैं। लोहबान का वैज्ञानिक नाम स्टाइरेक्स बेंजॉइन है, जो कि स्टाइरेकेसी कुल से संबंध रखता है। आयुर्वेद के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सिर दर्द, सूजन, स्किन समस्याएं, हिचकी और उल्टी की समस्या में राहत प्राप्त करने के लिए किया जाता है। लोहबान/लोबान में एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-डिप्रेसेंट, एनलजेसिक, एस्ट्रिंजेंट, एक्सपेक्टोरेंट, स्टीम्युलेंट गुण होते हैं। आपको बता दें कि, इसके एसेंशियल ऑयल में

बथुआ या बाथू।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 सर्दियो का एक और बहुउपयोगी शाक है बथुआ। इसका इस्तेमाल सरसों जे साग बनाने में भी किया जाता है। मक्की की रोटी तो इसके साथ बनाई ही जाती है। ये गेहूं चने के खेतों में खरपतवार के रूप में उग आता है।मगर अब इसकी खेती ही होती है एक एकड़ के खेत मे तीस से चालीस हजार कमाये जा सकते है । आज की आनंद चर्चा इसी शाक पे है। बथुआ एक महत्त्वपूर्ण तथा स्वास्थ्यवर्धक शाक  है। इस पौधे के पत्ते  शीतादरोधी (Antiscorbutic) तथा पूयरोधी (Antidiuretic) होते हैं। बथुए में अनेक प्रकार के लवण एवं क्षार पाए जाते हैं, जिससे यह पेट रोग के लिए फायदेमंद होता ही है साथ ही अनेक बीमारियों में भी काम में लाया जा सकता है।यह अन्य भाषाओं  में इस तरह जाना जाता है बथुआ का वानस्पतिक नाम -कीनोपोडियम् एल्बम् है और यह केनोपीडिसियासी  कुल से है। देश भर में बथुआ को बथुआ या वास्तूक के नाम से जानते हैं लेकिन अलग अलग जगहों पर इसे और भी दूसरे नामों से बुलाया जाता है, जो ये हैंः- हिंदी– बथुआ, बथुया, चिल्लीशाक, बथुआ साग अंग्रेज़ी– आलगुड (Allgood), बेकॉन वीड (Bacon weed), फ्रोंस्ट-बाइट (Frost-bite), वाइल्ड

केर सांगरी खेजड़ी।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 कल आफिस में बैठे बैठे जोधपुर के खाने की बात चल उठी। जो जा पहुंची जैसलमेर के खास खाने पे । केर सांगरी की सब्ज़ी पे। मैंने भी  खाई है अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान।  बाजरे की रोटी के साथ। तो आज की आनंद चर्चा राजस्थान की सूखी मेवा पौषक तत्वों से भरपूर सब्ज़ी पे हो जाये। सांगरी राजस्थान के राज्यवृक्ष खेजड़ी का फल है।पहले जाने खेजड़ी के विषय मे। खेजड़ी या शमी एक वृक्ष है जो थार के मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। यह वहां के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके अन्य नामों में घफ़ (संयुक्त अरब अमीरात), खेजड़ी, जांट/जांटी, सांगरी (राजस्थान), छोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं।  इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है। खेजड़ी का वैज्ञानिक वर्गीकरण इस तरह से है: जगत:पादप विभाग:माग्नोल्योप्सीदा वर्ग:माग्नोल्योफ़ीता गण:फ़ाबालेस् कुल:फ़ाबाकेऐ वंश:प्रोसोपीस् जाति: कीनेरारिया (प्रोसोपीस कीने

अदरक।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 आज की आनंद चर्चा आप की सुबह के  अदरकी चाय जे साथ है। आप के काम आयेगी। अदरक में भी हल्‍दी की तरह कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। अदरक, हर घर की रसोई में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण मसालों में से एक है। कई लोकप्रिय व्‍यंजनों में स्‍वाद बढ़ाने के लिए प्रमुख सामग्री के रूप में अदरक का इस्‍तेमाल किया जाता है। अदरक से शरीर को एनर्जी और जोश मिलता है और इसीलिए अदरक का इस्‍तेमाल न सिर्फ खाने बल्कि और भी कई चीजों में किया जाता है। हज़ारों वर्षों से आयुर्वेद की यूनानी और सिद्ध औषधि में चिकित्‍सकीय तत्‍व के रूप में अदरक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। जी मिचलाना, उल्‍टी, गैस और पेट फूलने की समस्‍या से राहत दिलाने में अदरक का नाम प्रमुख जड़ी बूटियों में आता है। भारत में अदरक की चाय को सबसे ज्‍यादा पसंद किया जाता है क्‍योंकि इससे शरीर को गर्मी और जोश मिलता है। पहाड़ी प्रदेशों में ये खूब उगाया जाता है। हमारे प्रदेश के साथ लगा है हिमाचल।अदरक हिमाचल प्रदेश की एक महत्वपूर्ण मसालेदार व नगदी फसल है। यह लगभग 2000 हैक्टेयर भूमि पर उगाया जाता है तथा लगभग 1600 टन उत्पादन होता है। अदर

हरी प्याज़।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 सर्दियो में हरी प्याज़ भी बहुत बेहतरीन मिलती है।हरी प्याज़ आलू की सब्ज़ी वाह क्या स्वाद साथ मे लस्सी।खैर खाना अपनी जगह और स्वास्थ्य सब जगह। हरी प्याज या कहें स्प्रिंग अनियन के सेवन  न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी बहुत अच्छी भी होती है। आमतौर पर इसे स्कैलियन , हरी पत्तेदार प्याज या स्प्रिन अनियन  के नाम से जाना जाता है।हरी प्याज में भरपूर पोषक तत्व और विटामिन होने की वजह से इसे चाइनीस फूड में सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। सादा प्याज के मुकाबले यह ज्यादा स्वादिष्ट होती है। इसके थोड़े से इस्तेमाल से ही व्यंजन का स्वाद दोगुना हो जाता है। आप चाहें, तो इसकी सब्जी बनाकर या फिर कच्चा भी खा सकते हैं। कुछ रिसर्च के अनुसार, यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करने में बहुत सहायक है। बेशक आप हरी प्याज खाते हों, लेकिन यकीनन आपको इसके फायदे और नुकसान की जानकारी नहीं होगी। चलिए आज इसी पे आनंद चर्चा हो जाये। जानिए हरा प्याज खाने के फायदे और नुकसान के बारे में। लेकिन इससे पहले जान लीजिये हरी

धनिया।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹 हरा धनिया  या कोथमीर भारतीय रसोई में प्रयोग की जाने वाली एक सुंगंधित हरी पत्ती है। मारवाडी भाषा में इसे धोणा  या धणा कहा जाता है। सामान्यतः इसके पत्तो का उपयोग सब्ज़ी की सजावट और ताज़े मसाले के रूप में किया जाता है। इसके बीज को सुखाकर सूखे मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। धनिया दो तरह की होती हैं देशी धनिया इसमें स्वाद और खुशबू ज्यादा होती है ये बाजारों में दिसम्बर से फरवरी तक ही खाने के लिए उपलब्ध होती है । दूसरा हायब्रीड धनिया ये बाजारों में ज्यादा देखने को मिलती है लेकिन स्वाद ओर खुशबू में ज्यादा अच्छी नहीं होती। धनिया के कच्चे पत्तों में विटामिन A, C और K के गुण मौजूद है और इसके बीज में - फाइबर, कैल्शियम, कॉपर, आयरन की मात्रा पाई जाती है। भारतीय व्‍यंजनों में धनिये का बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाता है। इसे डायटरी फाइबर (पौधों से मिलने वाला एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट) का अच्‍छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा धनिये में कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। पारंपरिक उपचार और खाने का स्‍वाद बढ़ाने के लिए विभिन्‍न सभ्‍यताओं के लोग धनिये का इस्