💐दो दिन से बिहार नेपाल यात्रा का दौर है। कल जहां गोलगप्पे खाये थे वहीं ढाबे पे परवल आलू का भजिया बनवाये और खाये थे। बहुत स्वादिष्ट बनाया था आनंद आ गया था। भारद्वाज ढाबा है अरिराज में। जब वो खाना तैयार कर रहा था तो हम फ्रिज देख रहे थे। उसमे मिट्टी की हांडी में दही जमाया था। लार सब की टपक गयी। खाना छक के खाया। स्वाद आ गया जी। अब बारी दही की थी और खा के और स्वाद आ गया ।और ढाबे की वाह वाह हो गई। सब को आनंद आ गया। खाना सरसों के तेल में बना था। सो बिहार के खाने का पूर्ण आनंद रूप था। अंडे में चने की दाल भी बनवाई गई थी। मेरी सादी ही थी। खाना स्वादिष्ट था सो अगले दिन यानी आज हमें लौटना था। ढाबा रास्ते में सही स्थान पे था। सही बोले तो आगे या पीछे कुछ अच्छा था भी नही। तो चलते चलते आज का आर्डर वही सुना दिया। करेले आलू की भाजी दाल दही। भाई ने बिल फाड़ा और उसपे लिखे नंबर पे काल करने को बोला। जब पहुंचने वाले हों तो फ़ोन कर दिजीये। आप के लिये गरम गरम ताज़ा खाना तैयार कर दिया जायेगा। दो चीज़े जो खाने के इलावाअच्छी लगी वो थी आव भगत और प्रेम से खाना खिलाने का तरीका। कोई टिप का लालच नही।एक शराफत भरी प्रेम से पूर्ण आवभगत।जो बोला जैसा वोला शौक सी खिलाया पिलाया गया।कुछ नॉनवेज में भी खास था हांडी मटन। जिन्होंने खाया तारीफ की। में तो शाकाहारी हूँ सो सुन के खुश होते रहे। सब के लिये बेहतरीन तजुर्बा रहा। सो आज जैसे ही रक्सौल से अरिराज गड्ढ़ों से कूदते कुदाते गाड़ी आगे बढ़ी और तकरीबन एक घंटा पहले ढाबा पे फ़ोन लगा दीये। भाई खुश हो गया बोला आइये सब तैयार कर रहे है। करेला भूल गया था भिंडी ले आया था। बोला भिंडी चलेगी। हम मना कर दीयेा। बोला सर करेला मंगा रहा हूँ। फ़ोन पे बात करते समय रात के 8 बज रहे थे । हम तकरीबन 9 बजे लग गए वहां। उतरते ही भाई की रसोई में गए। भाजी पक रही थी। बोला बस 20 मिनट। खाना अलबत्ता जल्दी बन गया। प्लेटें सज गयी।विश्वास कीजये जो कल खाया और आज खाया खाने का स्वाद बरकरार। जिसके लिये आज आये थे उसके पैसे वसूल रहे। रसोइए को पूरे नंबर।क्या प्रेम और क्या स्वाद। छक के खाये। सेवादार आया और बोला साहिब दही जमाया है हांडी में । बिल्कुल ताज़ा मीठा ले आऊं। हमने भी सिर हिला दिया। दही आया । विश्वास कीजये मीठा स्वादिष्ट दही से स्वादिष्ट भोजन में आनंद ला दिया। खाते खाते ख्याल आया एक डायलॉग जॉली एलएलबी 2 का । मुस्कुराइये की आप लखनऊ में है। हमने भी कहा मुस्कुराइये आप अरिराज में हैं। सब के लिए सुखद और आनंदमय स्वाद लिये एहसास रहा। इतने में न्यूज़ आयी कि नीतीश जी रिजाइन कर दिए है। यात्रा फिर शुरू हो गयी।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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