💐******✍🏼आज शाम काम खत्म कर बाहर खाने का कार्यक्रम बना। आज मेरी टीम साथ थी। कहाँ चला जाये ?तह हुआ की रॉयल कैफ़े चला जाये। रॉयल कैफ़े हज़रतगंज की मशहूर दुकान है। इसकी यादें बहुत पुराने से जुड़ी है कोई 15 साल से। में पहली बार इस शहर अपनी कंपनी की एक ट्रेनिंग में आया था। खाने पीने का शोक रहा है तो पूछा क्या मशहूर है लखनऊ का। दो चीज़े बताई गई एक टुंडे कबाब और दूसरी टोकरी या बास्केट चाट। टुंडे कबाब असली टुंडे वाले के ही मशहूर है और बास्केट चाट रॉयल कैफ़े की। और भी बहुत कुछ मशहूर है शुक्ला की चाट , बाजपेयी की पूरी कचौड़ी , चौक की ठंडाई , शर्मा टी स्टाल के समोसे बन मखन , सरदार के छोले कुलचे ,मां दुर्गा माँ रेस्ट्रॉन्ट।बहुत कुछ है खाने पीने को। पर रॉयल कैफ़े की बात अलग है। बेहद साफ सुथरा ।तमीज़दार और संवरे वेटर । जब लखनऊ आया तो यहां कई बार खाने का अवसर मिला। यहां मुझे सबसे अच्छी और बेहतरीन स्वाद लिए जो अच्छी लगी वो थी दम बिरयानी। वैसे मैं बिरयानी का शौकीन नही हूँ पर जो स्वाद यहां की बिरयानी का है वो बेहतरीन है। मैंने दो साल में स्वाद में कोई बदलाव नही पाया। एक ही स्वाद । कोई त्रुटि नही। पनीर के पीस का साइज भी एक जैसा और उसका दूधिया स्वाद भी एक जैसा। गाजर बीन्स का शानदार मिक्स। मिट्टी की हंडिया में पकाई गयी। बेहतरीन स्वाद लिए। आप बिना रायते और चटनी के भी प्लेट चाट सकते है। रॉयल कैफ़े की दम बिरयानी लखनऊ की शान है। आनंद आ गया अपनी टीम के साथ गुजारी शाम और उसके साथ खाने का आनंद। खाने के बाद भी रबड़ी जलेबी कुल्फी मलाई पान आप के लिए हाज़िर रहते हैं। नही तो किमाम लगाये सादा पान नोश फरमाईये। ये ही असली खूबसूरत लखनऊ के अंदाज़ है। जीवन में मौका।लगे तो एक बार देखने जरूर आइये। और हम कहेंगे 'मुस्कुराइये आप लखनऊ में हैं'।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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