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वाकपटुता इंसानी जीवन में संभव है और ये बेहद रोचक कला है। ईश्वर ने हमेे बोलने की शक्ति दी है जो इस धरती पे शायद मनुष्यों के पास जन्म से स्वतंत्र रूप में मिलती है। हर जीव अपने अपने तरीके से अपने वर्ग में संवाद साधता है। और हमेशा सफल रहता है। मनुष्य के पास शब्दों की कला के माध्यम से बेहतर संवाद साधने के तरीके उपलब्ध है। ये एक बेहद रोचक विषय भी रहा है। बहुत से ज्ञानी इसपे अध्ययनरत है। बड़े बड़े बिज़नेस होउसिस इसपे अपने कर्मचारियों के लिए संवाद साधने की ट्रैनिंग कई माध्यमो से देते हैं।शब्दों के कैसे बोला जाये? कितने जोर या आराम से कहा जाये ?कितने जोश से चेहरे के भावों के साथ इसे प्रस्तुत किया जाए? कितना उलझा के सुलझे तरीके से परोसा जाए?कितना राजनीतिक तरीका अपनाया जाये?कितना शब्दो के फेर से सुलझे व्यक्ति को उलझा दिया जाए? कैसे किसी की नज़र से दिमाग को पढ़ के उसे शब्दो के जाल में उलझाने में लिए जुबान खोली जाये? कम बोला जाए या ज्यादा बोला जाये? व्यवहारिक बोल कब बोले जायें? बहुत सी ऐसी बातें है जो मनुष्य इन शब्दों की कीमत समझ उनका बेशकीमती तरीके से उपयोग अपने संवर्धन वर्धन और तरक्की के लिए करता है। जो इसमें जितना निपुण है वो जीवन में कई मायनों में बहुत समृद्ध है। ये जीवन के बेहतरीन रंगों को बेखरती कला है। एक शब्द के कहने के तरीके से ही बात का सारा मतलब बदल सकता है। कटुता प्रेम में बदल सकती है और प्रेम कटुता में। दोस्ती बन बिगड़ सकती है। रिश्ते टूट और जुड़ सकते है। जिस जीभ के द्वारा ये बोली जाती है वो बिना हड्डी की बिना धार की एक खतरनाक हथियार भी साबित हो सकती है। इसलिए इससे निकले शब्दो को इस्तेमाल करने के सही तरीके समय अनुसार सीखने जरूरी है। में इस कवायत में पिछले तीन सालों से लगा हूँ। अब लिख रहा हूँ। जबान का व्यवहारिक ज्ञान ले इसमें शालीनता लाने की कोशिश में हूँ।बहुत ही जरूरी है इसका ज्ञान । ये आप का पूरा जीवन सवारने की ताकत रखती है। अपनी जबान पे वाकपुट्टता ले के आइये। अपनी को व्यवहारिक साबित कर व्यवहारिक बनिये। रिश्ते मजबूत कीजये। इज़्ज़त पाइये। संवरी जवान की पकी रोटी सारा जीवन सेवन कीजये।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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