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आंखें खूबसूरती का पैमाना रही है। आंखों जी बनावट चेहरे पे खूबसूरती के रंग गढ़ती है। ये वो पंखुड़ियां है जिसका चित्र खींचने का मन हृदय में हर दम करता है। तो चित्रकार की प्रेरणा रही हैं आंखें। कवि की कल्पना लिए है। शायर के जज्बात रहीं हैं ये। बहुत कुछ लिखा है इनके बारे में। ये देखने और भाव व्यक्त करने का बेहद खूबसूरत माध्यम है। इनकी मार के मारे कम ही बच के निकल पाते है। ईश्वर की सबसे बेहतरीन इंद्री है। इसके प्रथम खुलते ही दुनिया दिखती है और अंत बन्द होने के साथ ही लिखा है।संसार की सारी झलकियां इसके माध्यम से ही दिमाग अपने में समा रहा है। आँखों की गहराईयों में बहुत कुछ छिपा है जिसे पड़ने की भी कला है। ये इंसान के सारे भाव लिए है। जो दिमाग मन में चल रहा है। वो स्वतः आंखों में झलक जाता है। एक बात और जान लीजये आंखें कभी झूठ नही बोलती। आप कितने भी बड़े अभिनेता हों पाखंड में निपुण हों आप की आंखे सामने वाले को कुछ देर आप को समझने से रोक सकती है सदा नही।आंखें नायाब है। इसमें सब हसरतें बसती हैं।ये हमेशा सकून के लिए बेचैन रहती है। हर एक कि आंखों में बहुत कुछ समाया है। ये वो सागर है जिसमे गोते लगते रहते है। इसे चाहने वाले इसमें शराब का नशा ढूंढते है। सदा इसमें डूबे रहना चाहते है। इनके मुस्कुराते हुए खुशियाँ ही मिलती है। छलक जायें तो भावनाओं की बाढ़ आ जाती है। ना जाने कितने इनमे डूब कर बह जाते है। कुछ किनारे लगते है अलबत्ता ज्यादातर डूब ही जाते है। छलकती निगाह पे न जाइये नही तो ये आप को घेर लेंगी। इनके साये भी बहुत गहरे है जिनमे ये ही आप की मंजिल हैं। इनके घेरे भी बहुत कुछ बयान करते है। इनकी चमक भी बहुत कुछ बता जाती है। इनका गुणगान ईश्वर को भी प्रिय है। ये अदब से झुक जाएं तो बहुत से इकरार बयां होते है। ये सीधे आप से मिल जायें तो बोल पड़ती है।ये सुर्ख हो जायें तो बवंडर आ सकता है।ये चमक लिए है तो आप का जीवन कमाल हो सकता है। ये पीली हो जाएं तो पीलिया भी हो सकता है। जब पढ़ ही रहे हो तो सारे रंग ही पढ़ डालो।आंखों के काले घेरों को सफेद कर डालो।इनको भी इतना प्रेम से आराम दो के सकूं महसूस हो जाये। और एक यत्न जरूर जारी रखो के ये छलकने न पायें। ये आप का प्रेम है ।इसे रोको नही । कुछ आंखों से बयाँ कर दिजीये और कुछ आंखों से दिल में उतार लीजिये। बेहतर रिश्तों की शीतलता इसे दिजीये के ये भी खुश हो जाएं। इन्हें भी महकने दिजीये के ये आप का गुलिस्तां भी महका दें।इनकी खूबसूरती को दिल में बसा के संभाल के सहेज़ के रखें कि ये आप की ही अमानत है। इन आँखों के लिए ही इस जहां की खूबसूरती को रचा गया है। खुश रहने दिजीये वहां जहां ये खुशी ढूंढ़ के ठहर जाएं। आप की अमानत है संभाल के रखिये कहीं और या किसी और पे न ये पड़ जाये। ख़ुश राहिये आनंद पाइये।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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