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हमारे जीवन में कुछ व्यक्ति विशेष का बड़ा महत्व होता है उन्हें हम अपना शुभ चिंतक मित्र कहते है।ये प्राय वो व्यक्ति होते हैं जो आप को अपने नज़दीक समझते है और आप के साथ भावनात्मक जुड़ाव रखते है। आप के खट्टे मीठे अनुभव आप को एक दूसरे की समझ पैदा करवाते है। दिमाग में बेहतर विचारों के साथ रिश्ता रखते है। उनमें लगाव होता है पर ऐंठन नही होती। उनके भीतर लचकील मन आप को भावनात्मक फैलाव देता है। एक छतरी हर समय तैयार है उसका सुखद एहसास होता है। पैसा हर चीज़ का मकसद नही हो सकता ये आप शुभचिंतकों के माध्यम से आसानी से समझ सकते हो। आप का एक बुलावा ही काफी है। रिश्ता कोई कैसे बनेगा इसका आप को पता नही पर वक़्त कब आप को रिश्तों की डोर में बांध देगा ये आप के एहसास जरूर करा जायेगा । आप का रिश्ता एक शुद्ध स्वच्छ साफ आचरण की देन है। इसे आप को समझने की बेहतर जरूरत है। जो रिश्ता जितना साफ सुथरा होगा उसमे शुभेच्छा जितनी होगी आप की शुभचिन्ता भी उतनी या उससे ज्यादा होगी। एक प्रेम का तत्व आप के प्रति उदार भाव स्थापित करेगा। एक मजबूत डोर सा रचनात्मक बंधन होगा। आप की जरा से टीस का एहसास उन्हें आप के समीप ले आयेगा। और ये रिश्ते का मुकाम दोनों तरफ होगा। आप भी उतने ही सजग प्रेम और भूझ से इसे मजबूती प्रदान करेंगे। एक सफल आनंदित जीवन के लिए बहुतों की जरूरत नही होती पर कुछ की जरूरत अवश्य होती है। जो जीवन के हर उतार चढ़ाव में आप की प्रेरणा के स्रोत्र रहे और आप उनकी।ये बेहद जरूरी है। कोई जरूरी नही के अपने सगे ही आप के शुभचिंतक हो सकते है। दुनिया में जिससे आप के भाव मिले और एक दूसरे की समझ पैदा हो वो आप के शुभ चिंतक मित्र हो सकते है। ये आप को आंतरिक मजबूती देते है। आप कहीं दूर भी इन्हें अपने उतना ही पास पा सकते हैं जितना की आप जब आमने सामने हों। कुछ ऐसे शुभचिंतक मेरे जीवन में है। जिनसे में प्रभावित हूँ। जिनकी मैं दिल से कद्र करता हूँ।उनके प्रेम भाव को सलाम करता हूँ। उन सब को मेरा सादर नमन जिनके होने से में अपने दिल से मजबूत महफूज़ खुश आनन्दित महसूस करता हूँ। ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ इन सब के साथ जीवन के खूबसूरत पल लिये कुछ समय जरूर व्यतीत कर सकूं। कल मुझे अपनी एक परेशानी थी तो एक दोस्त शुभचिंतक ने पल में उसे हल कर दिया। एक कर्तव्य का एहसास मुझमे भी जगा दिया। और आज किसी मेरे अपने को टीस हुई तो मेरे शुभचिंतक एक फ़ोन पे मेरे अपनो के साथ थे। ये ही ईश्वर तेरे द्वारा भेजे मेरे जीवन के तोहफ़े है। इन तोहफों को सलाम।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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