💐🙏🏾********************✍🏼💐
सैर करना सेहत के लिये एक बेहतरीन उपाय है। आज कल की भागदौड़ वाली कॉरपोरेट जीवनशैली ने दिमाग को तो खूब लाद दिया है । पर शरीर को छोड़ दिया है। जब हम दफ्तर जाते है तो हर श्रेणी के लोग हमारे आस पास नज़र आते है। एक वो वर्ग है जो सेहत को लेकर काफी सतर्क है। दूसरा सतर्क तो है पर गम्भीर जरा कम है। तीसरा मेरे जैसा है जो लापरवाह है। ये लापरवाही एक उम्र के बाद आप के लिए संकट की घड़ी बन सकती है। और उससे अगर पार पाना हो तो हमारा शरीर और उसके अंग चलायमान रहने चाहिये। ये हमारे शरीर में खून का परवाह संतुलित रखता है। और वायु भी प्रचुर मात्रा में मिश्रित होती है। इससे कई सामान्य रोगों को साधा जा सकता है। छोटी छोटी बीमारियां ज्यादा तंग नही करती।मेरा स्थूल शरीर आराम अवस्था मे ज्यादा रहना चाहता है।उसे आराम नही चाहिये पर दिमाग आलस की तरफ भगाता है। ये आलस ही हमारे दुखों का कारण बनता है। ये दुख गम्भीर होंगे या नही शायद वक़्त से जागी चेतना पे निर्भर कर सकता है। एक बार चिड़या अगर खेत चुग गयी तो पछताये क्या होगा। बहुत दिनों से सेहत को लेकर परेशान तो था जिसका कारण में खुद ही हूँ। एक वक्त रोज़ सुबह रोजाना एक अच्छी सैर हुआ करती थी। स्वास्थ्य अच्छा रहता था। जैसे जैसे अच्छापन आता गया। गम्भीरता कम हो गयी। खान पान बिगड़ा ही हुआ था। जो अब धीरे धीरे सुधर रहा है।पर शरीर कुछ कसरत मांगता है। कुछ चलना चाहता है। दिमाग की शुद्धता जारी है। आज एक नया प्रण करने का यत्न कर रहा हूँ। देखता हूँ ये शरीर कितना साथ देता है। और क्या भोग रूपी शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयत्न जारी रहेगा और एक जीवनलाभः होगा। एक प्रतिबद्धता अपने आप से आज कर रहा हूँ। अगर ज्यादा नुकसान नही किया होगा तो शायद इसे निकाल ले जाऊं। कर्म प्रधान है भाग्य भी टल नही सकता। अंश कम ज्यादा हो सकता है। शरीर चलायमान रहे ईश्वर से ये मेरी प्रार्थना है।मेरी कोशिश मुझ हो चुकी गलतियों को सुधारने की रहेगी। बाकी भाग्य अपना काम करेगा। में अपना कर्म। अगर आप में से भी कोई मित्रगण इस तरह की जदोजहद कशमकश से गुजर रहा हो तो आज ही खत्म कीजये। अपने शरीर को थोड़ा श्रम दिजीये । इसकी भी क्षमता का आंकलन जरूरी है। आप सब भी जो रोजाना सैर को जाते है और जो नही जाते है सब एक दूसरे के मित्रों में इसका संदेश दें। शायद कोई एक अपने को सही राह पे ले आये।
💐एक लंबी सैर अपने सौ सुधार💐
जय हिंद।
****🙏🏾****✍🏼
शुभ रात्रि।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment