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आज बरबस बेठे बेठे ख्याल आया कि इंसान चेहरे से तो अलग होते ही है परन्तु आवाज़ भी हर एक व्यक्ति की भिन्न होती है। आस पास नज़र उठा के देखिये आप को कोई दो एक जैसी आवाज़ वाले नही मिलेंगे। हर एक आदमी या व्यक्ति अपने सामाजिक दायरे में कम से कम सौ से दो सौ व्यक्तियों से पहचान रखता ही है। चाहे वो रिश्तेदारी हो चाहे वो दफ्तर का दायरा हो चाहे वो अड़ोस पड़ोस के सामाजिक दायरा हो। बचपन में स्कूल की पढ़ाई शुरू होती है । कई भाग्यशाली बच्चे एक ही स्कूल में पड़ते है। कुछ साथी एक उम्र स्कूल में साथ साथ पूरी करते है।इसके बाद कुछ उच्च शिक्षा के लिए अलग अलग हो लेते है। और फिर अपने धनार्जन के पेशे में लग दूरियाँ बना लेते है। सालों साल आवाज़ सुनाई नही पड़ती। फिर एक दिन घंटी बजती है और आवाज़ आती है पहचाना भाई? दिमाग हल्का सा दबाव लेता है और बरसों पीछे सेकंड भर में पहुंच जाता है। चेहरा आवाज़ के जरिये सामने आ जाता है। इतनी शक्तिशाली आवाज़ की तरंगें है। लड़कों को लड़के शायद एक बार को न पहचान पायें पर लड़कियों के मामले में आवाज़ दिमाग पे सट देनी असर करती है। इसलिए शायद ऐसा होता भी बहुत बहुत कम है। हमारा दायरा लिंग भेद में बहुत ज्यादा है। पर आजकल शहरी माहौल बदल गया है। शिक्षा के मंदिर स्कूल सहशिक्षा मे चले गए है। भेद कम हो गया है। परन्तु आवाज़ का असर ज्यों का त्यों कायम है। हमारे आप के जीवन में बहुत से ऐसे वाक़्या होते ही रहते है। आवाज़ पहचान का बेहतरीन जरिया है। जहां आप देख न सकें और केवल सुन सकें इससे बेहतर कुछ नही। आवाज़ सबकी शक्ल से मेल भी नहीं खाती। किसी की आवाज़ खूबसूरत हो वो भी खूबसूरत हो ऐसा कोई जरूरी नही। अनजान व्यक्तियों के बारे में कई बार हम उनकी आवाज़ सुनकर उनके दिखने का अंदाज़ा लगाने लगते है। आप समझ ही रहे हैं में क्या कह रहा हूँ। और देखने पे धोखा हो जाता है। और ये अमूमन अक्सर होता है। सो आवाज़ से चेहरा पहचानने की कोशिश न करें तो भला। आवाज़ भी अलग अलग अंदाज लिए है जैसे कि पतली आवाज़ मोटी आवाज़ सुरीली आवाज कर्कश आवाज़ भारी आवाज फटी आवाज़ दबी आवाज़ रसीली आवाज़ गम्भीर आवाज़ मस्तानी आवाज़ दमदार आवाज़ कोयल से मीठी आवाज़ धांसू आवाज़ रुआंसी आवाज़ कितने ही शब्द है आवाज़ को पहचानने के। आवाज़ पहचानना संगीत के क्षेत्र में एक कला को जन्म देता है। अलग अलग गायिकाओं गायिकों की आवाज़ हम तुरंत पहचान लेते है जिन्हें हम अक्सर सुनते है। उनके शब्दों को बोलने के तरीके से ही भेद कर डालते है। आवाज़ मोहक भी होती है। एक जादू भी होती है। जो कुछ समय ले लिए सम्मोहन पैदा कर सकती है। ये आप के दिमाग पे काबू पा सकती है। और जिन्हें आप हमेशा सुनने की चाहत रखते हो वो आप पे अपनी आवाज़ के जरिये आप का ध्यान हर प्रस्थिति में खींच लेते है। आप अपनी चाहत की आवाज़ करोड़ो में भी तुरन्त पहचान लेते है। सारा सार यही है ये जुबान और उससे निकलती आवाज़ आप को चेहरे के इलावा सब से अलग पहचान देती है।सब लोगों को एक जैसी आवाज़ें पसंद हो ऐसा कोई जरूरी नही। जो रफी साहब को पसंद करते हो कोई जरूरी नही किशोर साहब को भी करें। आकर्षण अपना अपना है। किसी को चेहरे का आकर्षण किसी को आवाज़ का और किसी को दोनों का। इस जहां में हर चीज़ मौजूद है।ईश्वर की माया वाक़ई गजब है।हर एक मूरत पूर्ण रूप से भिन्न। चेहरा देखते देखते आवाज़ ध्यान से सुनिये कई बार चेहरे भूल जाते है ध्यान से सुनी आवाज़ याद यह जाती है। आवाज़ यादाश्त के भंडार मैं जगह कम घेरती है और जल्द गणना कर के निष्कर्ष देने में सक्षम है। अच्छे से इस्तेमाल कीजये बुढ़ापे तक ये तरकश का तीर चल जाता। मेरी आवाज भी सुन के याद रखियेगा शायद कल कही किसी मोड़ पे मिल जाऊं।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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