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एक तगड़ा शब्द 'वज्र'। एक वजनी गोल मजबूत हथियार। एक आघात और तगड़ा घात। कुछ ऐसा ही महसूस होता है सुन के। वीर हनुमान विष्णु भगवान सब के पास ये शक्ति है। इंसान को भी इससे सीख लेनी ही चाहिये। सबसे पहले वज्र से मजबूत बनो। भावनाओं के आवेश को वज्र सी अक्ल की ताकत से तोड़ दो। ह्रदय को वज्र से मजबूत बनाओ।इंसान का शरीर सारी आपदाएँ झेलता है इस प्रकृति में। इससे झूझने के लिए इसे वज्र सा मजबूत बनाओ। समाज के बेहिसाब नाटकों को झेलने के लिये इसे बेहद मजबूत बनाओ। वज्र का ऊपरी भाग गोल होता है। हर तरफ से असर बराबर होता है। इंसान के पास भी शब्दों की ताकत है।उन्हें इस तरह से गड़ो की सब पे असर बराबर हो। नीचे का हिस्सा गोल लम्बा दंड से होता है। पकड़ बराबर मजबूत रहती है। अपनी आदतों को भी ऐसा रूप आकार दिजीये आप की पकड़ तेह उम्र मजबूत रहे। वज्र पे आते सब हथियार उसकी गोल आकृति से टकराकर अपना निशाना और पथ भटक जाते है। फिसल जाते है।अपने विचारों को ऐसी ही वज्र सा मजबूत रूप दिजीये जो आप पे लगते हर निशाने को आप दिशा हीनः कर दे। आप के सद उत्तम विचार एक बेहतरीन आकार लिए बेहद मजबूत रहे। आप की समाजिक प्रतिष्ठा इतनी भारी हो को आप तो अपनी वैचारिक मजबूती से उठा सकें पर सामने वाले के छके छूट जाएं। आप की विचारशीलता इतनी मजबूत हो कि लोग उसकी मजबूती के लोहा माने। वज्र की नोक सी अचूक निशाने की ताकत आप के शब्द वार में हो। मगर ध्यान रहे ये सब सकारत्मक सही इरादे के तहत हो। आप वज्र से बने पर अपने और अपनों के उथान के लिए। आप वज्र से बने अपने परिवार की सुरक्षा के लिए। आप वज्र से बने समाज में दबे कुचलों की आवाज़ के लिए। आप वज्र से बने अपने निर्भीक इरादों के लिए। आप वज्र से बनो अपने हक़ के लिए। आप वज्र से बनो सचाई के लिए। आप वज्र से बनो अपनी इंसानियत रूपी मनुष्य धर्म निभाने के लिए। आप वज्र से बनो अपने जीवन लक्ष्य के लिए। आप वज्र से बनो अपनो की उम्मीदों के लिए। आप वज्र से बनो ईमानदार शिष्टाचार के लिए। वज्र से मजबूत बनो अपनो की सुरक्षा के लिए। ये वज्र मजबूती प्रहार सहने करने की ताकत इंगित करता है। इसे जीवन का बहुत उपयोगी सार समझिये। इसे उठाने की जगह इसकी ताकत को अपनाने की पुरजोर कोशिश कीजये। आप सब धारों को काटने में सक्षम बन सकते हैं। आप इसकी मजबूती के माध्यम से एक प्रतिष्ठा हांसिल करने का प्रयास करें।एक बात और मजबूत शख्शियत को कोई गिरा डिगा नही सकता। येही जीवन का वज्र से लिया हांसिल किया ज्ञान है। काम का लगे तो कुछ अपनी सोच इरादे वज्र से मजबूत करने की कोशिश कीजये। इसी विश्वास के साथ आप सब को****
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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