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कभी कभी बातें करते करते मुँह से निकल जाता है बड़ा 'अमीर' है भाई। ज्यादातर इसका इस्तेमाल पैसे की तुलनात्मक सोच के जरिये किया जाता है।जो सामाजिक लिहाज से मान्य भी है।में ये भी मानता हूँ इसके कमाने के लिए जायज़ रास्तों से सबको प्रयत्न शील भी होना चाहिये।मेहनत हमेशा काम करती हैं भाग्य भी अगर साथ हो तो तोहफा समझिये।फिर भी अगर पैसा रूपी दौलत कुछ कम हो तो शोक कभी न करें।दौलतें और बहुत सी है और अमीर और बहुत से।ज्यादा समझ न आये तो लावारिस पिक्चर का गाना जरूर सुने "काहे पैसे पे इतना गरूर करे है...पैसे से तुम क्या क्या यहां खरीदोगे"। शायर तो शायर है और हर वक़्त के जीवन के दर्शनशास्त्र के गवाह है।तो मालको अमीरी और भी बहुत सी है।बहुत रिश्ते बटोरने में ही अमीर हो जाते है।बहुत से परिवार से समृद्ध हो जाते है।बहुत से निर्मल बुद्धि से अमीर पाये जाते है।बहुत से भावनाओं के अमीर बन जाते है।बहुत से शब्दों को बोलने के और बहुत से शब्दों को लिखने के अमीर बन जाते है।कोई अपने स्वस्थ शरीर हां जी स्वस्थ शरीर से भी अमीर हो जाता है।कोई सेवा से निस्वार्थ सेवा से भी अमीर पाया जाता है।कोई वाक्य भाग्य के धनी कहलाते है।कोई श्रम से अमीर है उसकी खूबी उसकी प्रतिष्ठा उसके श्रम में ही निहित है।बहुत से जिगरी दोस्तों से भी अमीर रहते है। कोई धर्म कर्म से अमीर है।कोई साधना से धनी है।कोई पाककला का धनी ।कोई शांति का भंडार है।कोई खेल से कोई नाट्य से कोई मंचन से कोई चित्रपट से धनी है।कोई जसवे का धनी है।कोई सूरत से अमीर कोई सीरत से अमीर।ऐसे ही कोई कर्म से अमीर कोई धर्म से अमीर।कोई लिखने से अमीर कोई कहने से अमीर।कोई जांबाजी का धनी तो कोई मर्दानगी से अमीर।ये सब सकरत्मक्ता के धनी है और वाक्य ही किसी न किसी रूप में अमीर है।नकारत्मकता भी बहुत अमीर कर देती है और सब अच्छाई खत्म हो जाती है।बहुत से क्रोध के अमीर हुए जालिम हुए हततायी हुए।बहुत से नशे के धनी रहे सुबह गुजरी शाम बीती कभी पता ही नही चली।बहुत से लंपटता के धनी हुए झूठ फरेब में जिनका कोई सानी ही नही ।बहुत से कामुकता के धनी जिनकी प्यास कभी भुझती नही।बहुत से विरोधी स्वरों के धनी जो हर बात में विरोध के स्वर मुखर करते है। कोई काली नज़र का धनी जहां लगी वहीं कुछ दुर्घटना घटी।कोई काली जीभ से अमीर जब भी उगला जहर ही उगला।आप सोच के देख लीजीये आप चाह के भी उनके स्तर को छू नही सकते।हुए न आपसे अमीर।इसलिए कही अच्छा अमीर है तो कहीं बुरा भी अमीर है।कोई केवल पैसे से अमीर और कोई बिना पैसे की उससे कहीं ज्यादा प्रतिष्ठित अमीर।कोई महँगे शोकों से अमीर कोई सादगी में ही अमीर।कोई लालच से अमीर कोई त्याग से अमीर।कोई गाड़ियों में बैठ के अमीर कोई पैदल चल के उससे कहीं ज्यादा अमीर।कोई।मतलब से अमीर कोई कर्तव्य से अमीर।मित्रों हम सब किसी न किसी रूप में अमीर है ही।कुछ ऐसा है ही जो दूसरे आप से पाना चाहते है।अपनी अमीरी की पहचान कीजिये।उसमे समृद्ध होते जाईये।नकारत्मकता को कभी न अपनाईये।आप सब अमीर और बहुत अमीर है।पैसे का होना भी बहुत जरूरी है । पैसे से अमीर मेहनत और भाग्य का अंश है पर ये ही सब अमीरी है ये आवश्यक नहीं है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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