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गांधी।

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बड़ी पुरानी याद आ गई।स्कूल की।हम ने जब उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लिया तो हम कक्षा 6 में आये।बड़ा सुंदर सरकारी स्कूल था हमारा।जब पहले दिन प्रवेश किया आज भी दिन याद आ जाता है।बात मगर कुछ और करनी थी जिसकी शुरुआत इसी स्कूल से हुई थी ।आज गांधी जी की बहुत याद आ रहीं है।एक गाना भी "साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल , देदी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल"। पूरी दुनिया में क्रांति का नया इतिहास रच दिया बापू ने। एक संदेश पूरी दुनिया को दे गए धैर्य के साथ बिना लड़े विरोध से हक़ की लड़ाई में जो जीत दिला सके। मन मजबूत तन सहनशील और सोच परिपक्कव आप के विरोध को नई दिशा दे सकता है। तलवारें झुका सकता है।उपवास आप के आक्रांताओं के होश उड़ा सकता है।सादगी आप को परिधानों में श्रेष्ठ कर सकती है।आप एक प्रेम का संदेश एक मजबूत बुद्धि तन और मन की सादगी से दे सकते हो। बैरी के मन में भी प्रेम की लो जला सकते हो। सामने वाले का गुस्सा हमेशा नही रह सकता ये गांधी जी बखूबी जानते थे और एक सीमा के पार जा के उसे अपनी पूर्वत स्तिथि में लौटना ही होता था। इंसान की नज़र में इंसानियत कोई मजहब लिए नही होती ।वो आप की प्राकृतिक अवस्था है ही।बस हमारा दिमाग भटक जाता है।इसलिए गांधी जी के ज्ञान के विषय में येही कहा जाता है कि इंसान को सर्वप्रथम सत्य के साथ सत्यमय होना चाहिए। नैतिकता का ज्ञान मनुष्य जीवन का आधार स्तंभ है।फिर आती है शिक्षा जो मनुष्य का मौलिक अधिकार भी है और ये ही सत्य और नैतिकता से  उसकी मुलाकात करवाता है।जहां सत्य नैतिकता है वहां साहस का वास है।जहां साहस है वहां मंज़िलें सदा आप के इंतज़ार में है। इनसब के लिए आप को स्वावलंबी होना चाहिए। जिससे आप का पत्तन केवल जीविका अर्जन के लिए न हो।आप स्वावलंबी रहे और देश भी इससे मजबूती हांसिल करें। इसी तरह इंद्रियां आप के काबू में रहें।जिससे आप का नैतिक पत्तन न हो सके।गांधी दर्शन एक पूर्ण जीवन दर्शन है।जिसे पूरा जिया जा सकता है।एक बेहतर स्वावलंबी समाज और देश की स्थापना की जा सकती है।उसे पढ़ने वाले काफी कुछ सकारत्मक सोच में वृद्धि कर पाते है।हिंसा को अपने से दूर कर सकने में सक्षम हो जाते है।सत्य की राह जीवन का अंग होती है। ईश्वर में आस्था आप को बौद्धिक सांत्वना से पूर्ण रखती है। अपना पखाना खुद साफ करना समाज की विषमता को खत्म कर आप को स्वच्छता की तरफ ले जाता है। आप को भीतर से मजबूत व्यक्तित्व के निर्माण में सहायता करता है।कोई एक थप्पड़ मारे तो आप दूसरा गाल आगे कर दें ये आज भी प्रासंगिक है।येही समाज में फैली वैमनस्य का इलाज भी। गांधी दर्शन पढ़  कर एक पेपर होता था ।पास करने पे एक सर्टिफिकेट भी मिलता था। तीन बार पेपर दिया।तीसरे साल में जा के सर्टिफिकेट मिला। तीन साल ने एक जीवन दर्शन दे दिया।कुछ पढ़ा कुछ समझा कुछ अपनाया कुछ सीखा और आज आप को बयान कर दिया।चुप भी विरोध है और मूक विरोध बंदूक से कहीं कारगर है। ये उस वक़्त भी प्रासंगिक था अब भी है।समाज को आज फिर गांधी जी की दिखाई राह पे जाने की जरूरत है। आपसी भेद भाव भूल के गले लगने की जरूरत है।समाज में फैली विसंगतियों को दूर करने की जरूरत है।इसके लिए गांधी दर्शन से उत्तम कुछ भी नही।कभी मौका लगे तो पढ़ें ।राष्ट्रपिता को कोटि कोटि नमन।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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