🌹🙏🏼*******************✍🏼🌹
सड़क जीवन के कुछ विषय पे काफी साथ चलती नज़र आती है।हम लोग इसका लुत्फ रोज किसी न किसी तरह उठाते ही है।कभी हंस के कभी गुस्सा हो के कभी गाली दे के।सड़क सफर करने का और मंज़िल पे पहुंचने का आसान साधन है।इसका विकास मनुष्य के विकास के साथ ही हुआ।पहले पहल मनुष्य ने आवा जाही के लिए इनका निर्माण किया।कच्चे रास्ते गांव कस्बो शहरों को जोड़ते थे।नदी के उथले तल ढूंढ़ के रास्ते बनाये जाते थे।पहाड़ काट में पगडंडियों का निर्माण होता था।ज्यादतर काम हाथ से होता था।नया दौर पिक्चर में इसे बखूबी समझा जा सकता है।आज भी लकड़ियों के बने पुल इस्तेमाल में है।ये सब की जरूरत मंजिलों को कैसे कम समय में तह किया जाये इसके लिए पड़ी।दार्शनिक और साम्राज्य विस्तार वादी लोगों ने नई जगाहें वादियाँ मैदान तलाशे।पहुंचने के लिए रास्ते बना डाले।हिंदुस्तान का शेर शाह सूरी मार्ग सम्भवतः हमारे यहां का सबसे लंबा कच्चा रास्ता बनाया गया सदूर पूर्व से उत्तर को जोड़ा गया।बहुत सी सराय और मील पत्थर लगाए गए।ऐसे ही सिल्क रोड भी है।जो सम्भवतः सबसे खतरनाक दर्रों से होकर गुजरती है।इंसान के विकास की कहानी कहती है ये सड़कें।इन्ही सड़कों से जुड़ी हमारी जिंदगी है।हमने भी अपनी बहुत सी मंज़िलें दिमाग में बना के रखीं है।सब की राहें भी जुदा जुदा होती।उधाहरण नौकरी शादी घर जिनपे अलग अलग रास्तों से हम आगे बढ़ते है।जिसने काबलियत की राह पकड़ी उसे नौकरी में आसानी या उसकी गाड़ी कहें निर्विघ्न चिकने रास्ते या कैरियर के रास्ते जल्दी तह करती गयी।शादी भी ऐसा ही एक रास्ता है।अपने घर की चाह भी ऐसा रास्ता है।हम चलते है।जब तक सड़क अच्छी है गाड़ी चलाने का बड़ा मजा आता है।मंजिल पे समय से पहुंच जाते है।ना थकते है ना परेशान होते है।जैसे ही रोड़ पे गड्ढे हो तो हमारा नुकसान भी होता है।येही कुछ जीवन में जब होता है जब प्रस्थितियाँ साथ न दे रही हों।बाधायें हमारी सड़क के गड्ढे बन खड़ी रहती है।फिर हमे कभी कभी सारी रोड ही टूटी फूटी मिलती है।1घण्टे की राह 5 घंटे लगवाती है।येही कुछ जीवन में लगातार आ रही मुसीबतों के रूप मे होता है।एक मंजिल तह करने में सालों निकल जाते है।लोग अपना घर ही रिटायरमेंट पे बनवा पाते है।राहें मंज़िल तक तो लाती है पर सड़क के हिसाब से।जीवन की मंजिलों को ढूंढती सड़क को निर्विघ्न और चिकनी बनाने के लिये तैयारी समय मेहनत भाग्य के साथ ईमानदारी और दिमाग लगता है।और साफ़ सुधरी अच्छी सड़क पर दौड़ती जिंदगी अपनी मंज़िलें समय पे तेह कर अपने अंतिम पड़ाव पे सकूँन आराम और आनंद से पहुंचती है।फिर कोई कष्ट की खास अनुभूति नही होती। दोस्तों अपनी जीवन रूपी गाड़ी को अच्छी सड़क पे दौड़ाने का पर्यत्न करें।मंज़िलें आसान लगेंगी वरना गड्ढे और खराब सड़क पे सफर लंबा हो तह मुश्किल से होगा और गाड़ी कहीं बीच खराब हो जाये इसकी संभावना हमेशा बनी ही रहेगी।आप की सड़क आप का ज्ञान आप का व्यवहार आप की सकरात्मक सोच और आपकी ईमानदार मेहनत के नतीजे से बनती है।कोशिश कीजिये मंजिलों की दूरी दूरी नही रहेगी।
जय हिंद।
****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment