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कांचीपुरम।

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आज आप की कांची लिए चलते है।मद्रास की बात करने का दिल है तो कामाक्षी मंदिर कांचीपुरम का वर्णन होना संभाविक है।कांचीपुरम मद्रास शहर या आज का चेन्नई के समीप एक उपनगर है।बहुत प्राचीन मंदिर और मठ है । मुझे मद्रास बोलना अच्छा लगता है तो कहीं आपको चेन्नई और मद्रास लिखते मिले तो दिमाग मत लगाइयेगा।
कांचीपुरम,कांची,भारत के 
तमिल नाडु राज्य का एक नगर महापालिका क्षेत्र है। यह खूबसूरत मन्दिरों का शहर है। यहां  कांचीपुरम् जिला का मुख्यालय भी है। इसे पूर्व में कांची या काचीअम्पाठी भी कहते थे।
यह पलार नदी के किनारे स्थित है, एवं अपनी रेशमी साडि़यों एवं मन्दिरों के लिये प्रसिद्ध है। यहां कई बडे़ मन्दिर हैं, जैसे वरदराज पेरुमल मन्दिर भगवान विष्णु के लिये, भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित  एकाम्बरनाथ मन्दिर, कामाक्षी अम्मा मन्दिर ,  कुमारकोट्टम,  कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, इत्यादि। यह नगर अपनी रेशमी साडि़यों के लिये भी प्रसिद्ध है। ये साडि़याँ हाथों से बुनी होती हैं, एवं उच्च कोटि की गुणवत्त होती है। उत्तरी तमिलनाडु में स्थित कांचीपुरम भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में एक माना जाता है। हिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थस्थल हजार मंदिरों के शहर के रूप में भी उलेखित हैै। आज भी कांचीपुरम और उसके आसपास 126 शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं।  कांचीपुरम प्राचीन चोल और पल्लव राजाओं की राजधानी थी। मंदिरों के अतिरिक्त यह शहर हैंडलूम इंडस्ट्री और खूबसूरत रेशमी साड़ियों के लिए सर्वविख्यात है।
यहां के मुख्य धार्मिक पर्यटन स्थल है कैलाशनाथ मंदिर, कांचीपुरम शहर के पश्चिम दिशा में स्थित यह मंदिर कांचीपुरम का सबसे प्राचीन और दक्षिण भारत के सबसे शानदार मंदिरों में एक है। इस मंदिर को आठवीं शताब्दी में पल्लव वंश के राजा राजसिम्हा ने अपनी पत्नी की प्रार्थना पर बनवाया था। मंदिर के अग्रभाग का निर्माण राजा के पुत्र महेन्द्र वर्मन तृतीय के करवाया था। मंदिर में देवी पार्वती और शिव की नृत्य प्रतियोगिता को दर्शाया गया है।यहां का वैकुंठ पेरुमल मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव राजा नंदीवर्मन पल्लवमल्ला ने करवाया था। मंदिर में भगवान विष्णु को बैठे, खड़े और आराम करती मुद्रा में देखा जा सकता है। मंदिर की दीवारों में पल्लव और चालुक्यों के युद्धों के दृश्य बने हुए हैं। मंदिर में 1000 स्तम्भों वाला एक विशाल हॉल भी है जो पर्यटकों को बहुत आकषित करता है। प्रत्येक स्तम्भ में नक्काशी से तस्वीर उकेरी गई हैं जो उत्तम कारीगर की प्रतीक हैं।
कामाक्षी अम्मा मंदिर या कामाक्षी मंदिर देवी शक्ति त्रिपुर सुंदरी के तीन सबसे पवित्र स्थानों में एक है। मदुरै और वाराणसी अन्य दो पवित्र स्थल हैं। 1.6 एकड में फैला यह मंदिर नगर के बीचोंबीच स्थित है। मंदिर को पल्लवों ने बनवाया था। बाद में इसका पुनरोद्धार 14 वीं और 17वीं शताब्दी में करवाया गया।
यहां बक दूसरा खूबसूरत वरदराज मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में उन्हें देवराजस्वामी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में 100 स्तम्भों वाला एक हाल है जिसे विजयनगर के राजाओं ने बनवाया था। यह मंदिर उस काल के कारीगरों की कला का जीता जागता उदाहरण है।
एकमबारानाथर मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को पल्लवों ने बनवाया था। बाद में इसका पुर्ननिर्माण चोल और विजयनगर के राजाओं ने करवाया। 11 खंड़ों का यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में एक है। मंदिर में बहुत आकर्षक मूर्तियां देखी जा सकती हैं। साथ ही यहां का 1000 पिलर का मंडपम भी खासा लोकप्रिय है।यहां एक सुंदर पक्षी विहार या अभ्यारण भी है।वेदानथंगल और किरीकिरी पक्षी अभ्यारण।यह दोनों पक्षी अभयारण्य कांचीपुरम के अंदरूनी भाग में स्थित हैं। वेदानथंगल 30 हेक्टेयर और किरीकिरी 61 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह अभयारण्य बबूल और बैरिंगटोनिया पेड़ो से भरे हुए हैं। इन अभ्यराण्य में पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साइबेरियन पक्षियों को देखा जा सकता है। पिन्टेल्स, स्टिल्ट्स, गारगानी टील्स और सैंडपाइपर जसी पक्षियों की प्रजातियां यह नियमित रूप से देखी जा सकती हैं। इन दोनों अभ्यराण्य में तकरीबन 115 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
कांचीपुरम का निकटतम एयरपोर्ट चैन्नई है जो लगभग 75 किलोमीटर दूर है। चैन्नई से कांचीपुरम लगभग 2 घंटे में पहुंचा जा सकता है।रेल मार्ग से
कांचीपुरम का रेलवे स्टेशन चैन्नई या मद्रास चेन्गलपट्टू, तिरूपति और बैंगलोर से जुड़ा है। मद्रास से हर एक घण्टे में लोकल ट्रेन छूटती है जो तकरीबन तीन घण्टे का समय लेती है।सड़क मार्ग
कांचीपुरम तमिलनाडु के लगभग सभी शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है। विभिन्न शहरों से कांचीपुरम के लिए नियमित अंतराल में बसें चलती हैं। मद्रास के कोएम्बेडयू बस स्टैंड से आपको हर 30 मिनट में बस मिलेगी।और तकरीबन दो से ढाई घंटे में कांची कामाक्षी देवस्थानम के सामने उतार देगी। यहां उतर कर आप मंदिर में प्रवेश कर कांची स्तम्भ के दर्शन कर सकते है।अपने पैरों को बहते पानी से धोकर आप मंदिर गर्भगृह की तरफ बढ़ते है।मंदिर सुबह साढ़े पांच बजे से दोपहर सवा बारह बजे तक खुलता है।और फिर शाम में साढ़े चार से रात सवा आठ तक। मंदिर के प्रांगण में खूबसूरत दीप स्तम्भ भी है। मंदिर के गुम्बद सोने के जड़े है।एक अलग ही अनुभूति होती है यहां।मंदिर प्रांगण में खूबसूरत तालाब है।आध्यत्म की अनुभूति की जा सकती है। मंदिर से आप पैदल बसस्टैंड तक जा सकते है।बस सबसे आसान साधन है मद्रास से कांची आने के लिए। बस स्टैंड पे केले के भजिये और कॉफी का आनंद लीजये। मुरकु 120 रुपया किलो मिलेंगे। खाइये पीईये दर्शन कर आनंद लाभ लीजिये और अपने गंतव्य पे समय से पहुंच जाइये।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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